झांसी और बुंदेलखंड के लिए भारत की पाकिस्तानी आतंकियों पर विजय दोगुनी खुशी लेकर आई है। ऐसा इसलिए कि जिन कर्नल सोफिया कुरैशी ने एयर स्ट्राइक की कमान संभाली है, वह बुंदेलखंड से ही हैं। उनकी शुरूआती शिक्षा झांसी से हुई। इतना ही नहीं उन्होंने दुश्मन को उस
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छतरपुर के नौगांव में जन्मी कर्नल सोफिया कुरैशी के चाचा वली मोहम्मद नौगांव में रहते हैं। सोफिया के चचेरे भाई और मैकेनिकल इंजीनियर मोहम्मद रिजवान ने बताया कि सोफिया की शुरूआती पढ़ाई यहीं झांसी से हुई है। वह हमेशा से पढ़ाई में जहीन रहीं। शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भारतीय सेना में चयन के बाद पीएचडी और टीचिंग कैरियर भी छोड़ दिया। उनका कहना है कि लेफ्टीनेंट बनने के बाद पदोन्नति मिलने पर कैप्टन हुईं और झांसी में तैनात रहीं। यहां उनका मेजर पद पर प्रमोशन हुआ। यहां से उन्हें गांधीनगर में लेफ्टीनेंट कर्नल के तौर पर तैनाती मिली। गुजरात में तैनाती के दौरान ही उन्हें कर्नल रैंक पर प्रमोशन मिला।
ताऊ BSF से रिटायर्ड होकर झांसी में ही रहे
सोफिया के ताऊ इस्माइल कुरैशी बीएसएफ से रिटायर्ड होने के बाद भट्टागांव में रहने लगे। दो साल पहले उनकी मौत हो चुकी। सोफिया की चचेरी बहन शबाना कुरैशी का कहना है कि परिवार के सभी बच्चों के लिए सोफिया रोल मॉडल हैं। सभी उनकी तरह बनना चाहते हैं। उनको देखकर ही उनके भाई इकबाल बीएसएफ में भर्ती हुए। पूरे परिवार के लिए आज खुशी का मौका है। सोफिया की भाभी ने भी इसे गर्व का पल बताया। परिवार के लोगों को आस-पड़ोस के लोगों ने पहुंचकर बधाई दी।
शौर्य की इबारत पहले भी लिख चुकी हैं सोफिया
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी आतंकियों को जहन्नुम पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वालीं कर्नल सोफिया के चचेरे भाई रिजवान ने बताया कि बहन सोफिया कुरैशी देश सेवा में कई इतिहास बना चुकी हैं। बोले हमारे खानदान में कई लोग सेना में रहे हैं। यही वजह है कि कर्नल सोफिया के खून में देशसेवा और सेना में जाने का जज्बा रहा। उन्होंने सेना में रहते हुए कई उपलब्धि हासिल की हैं। बताया…
सबसे बड़े विदेशी सैन्य अभ्यास में कमान संभाली
मार्च 2016 में जब वह लेफ्टिनेंट कर्नल थीं तो उन्होंने बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया था और ऐसा करने वाली वह पहली महिला अफसर थीं। यह अभ्यास आज तक भारत की ओर से किया गया सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है।
18 देशों ने लिया था सैन्य अभ्यास में भाग
2 मार्च से 8 मार्च तक पुणे में आयोजित इस युद्ध अभ्यास में 18 देशों ने भाग लिया था, जिसमें आसियान के सदस्य देशों के साथ-साथ जापान, चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी वैश्विक शक्तियां शामिल थीं। सभी प्रतिनिधिमंडलों में सोफ़िया कुरैशी एकमात्र महिला अफसर थीं जो किसी टुकड़ी का नेतृत्व कर रही थीं। यह उनकी नेतृत्व क्षमता, समर्पण और उत्कृष्टता का शानदार प्रमाण है। सोफिया कुरैशी 40 सदस्यों वाली भारतीय टुकड़ी की कमांडिंग ऑफिसर थीं। उन्होंने Peacekeeping Operations (PKOs) और Humanitarian Mine Action (HMA) पर केंद्रित अहम प्रशिक्षण सत्रों का नेतृत्व किया। सोफिया कुरैशी ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी थी और 2010 से (PKOs) से जुड़ी हुई हैं।