इंफाल50 मिनट पहले
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सुरक्षाबलों ने थोउबाल, काकचिंग, बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों से 7 उग्रवादियों को गिरफ्तार भी किया है। – फाइल फोटो।
मणिपुर के चंदेल जिले में गुरुवार को असम राइफल्स और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए। भारत-म्यांमार बॉर्डर पर सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है।
सेना की ईस्टर्न कमान ने बताया- 14 मई को न्यू समताल गांव के पास उग्रवादियों की गतिविधि की जानकारी मिली थी। इसके बाद असम राइफल्स की यूनिट ने सर्च ऑपरेशन चलाया।
इसी दौरान उग्रवादियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में 10 उग्रवादी मारे गए। इनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुए हैं।
इधर, सुरक्षाबलों ने मणिपुर के 4 जिलों में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों से जुड़े सात उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां थोउबाल, काकचिंग, बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों से हुई हैं।

ईस्टर्न कमान ने ‘X’ पर मुठभेड़ की जानकारी दी।
राजधानी इंफाल से 130km दूर सर्च ऑपरेशन जारी
कोहिमा में रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (PRO) ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि इलाके में ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है। जैसे ही ऑपरेशन पूरा होगा, पूरी जानकारी साझा की जाएगी। मुठभेड़ चंदेल जिले के पहाड़ी इलाके में भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के करीब हुई है। यह इलाका राजधानी इंफाल से 130 किलोमीटर दूर है और यहां बहुत कम लोग रहते हैं।
पिछले 6 महीने में सेना के 2 बड़े ऑपरेशन
10 फरवरी: सेना ने 8 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया

जब्त की गई राइफल,पिस्टल और अन्य हथियारों के साथ सेना के जवान।
मणिपुर में सेना ने जॉइंट ऑपरेशन में 8 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है। सेना ने सोमवार को बताया कि असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस ने 2 से 8 फरवरी के बीच काकचिंग, थौबल, टेंग्नौपाल, विष्णुपुर, इंफाल ईस्ट और चंदेल जिलों में जॉइंट ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान उग्रवादियों से 25 हथियार और बड़ी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। पूरी खबर पढ़ें…
10 नवंबर: सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया

अधिकारियों ने कहा कि उग्रवादियों के पास एडवांस हथियार थे। उन्होंने इलाके की कई दुकानों को भी आग लगाई।
मणिपुर के जिरिबाम जिले में 10 नंवबर को CRPF जवानों ने एनकाउंटर में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया। घटना बोरोबेकेरा के जकुराडोर करोंग इलाके की है। यहां के पुलिस स्टेशन और CRPF चौकी पर इन उग्रवादियों ने हमला किया था। जवाबी कार्रवाई के दौरान CRPF का एक जवान घायल हुआ, उसका असम के सिलचर में इलाज जारी है। ये इलाका असम सीमा से लगा हुआ है। पूरी खबर पढ़ें…
13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है।
30 अप्रैल को 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
- कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
- मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
- नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
- सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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