पंजाब में मुक्तसर के सिंघेवाला गांव में अवैध रूप से चल रही पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 से ज्यादा लोग बठिंडा AIIMS में जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। जब हादसा हुआ, फैक्ट्री में पटाखे बन रहे थे। तारों से निकली चिंगारी वहां
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उस समय फैक्ट्री के एक हिस्से में कर्मचारी काम कर रहे थे, जबकि दूसरे हिस्से में शिफ्ट खत्म होने के बाद कुछ कारीगर आराम कर रहे थे। धमाका होते ही वहां भगदड़ मच गई। बाहर निकलने का एक ही मुख्य दरवाजा था, वहां भी धमाके हो रहे थे। इस कारण लोग अंदर ही फंस गए।
कारीगर टिंकू बताते है-

फैक्ट्री में धमाके के बाद जहां पर पटाखे बनाने थे, वो शेड से बना गोदाम मलबे में बदल गया। पटाखों में जैसे ही आग लगने पर धमाका हुआ, पास की बिल्डिंग का गोदाम की तरफ लगता हिस्सा टूटकर नीचे आ गिरा। उनकी आंखों के सामने ही पलभर में पूरा एरिया मलबे में दब गया।

शुक्रवार को फैक्ट्री में धमाके के बाद मलबा हटाते लोग और कर्मचारी।
शुक्रवार को दैनिक भास्कर जब इस फैक्ट्री पर पहुंचा तो यहां सिर्फ दो-तीन दीवारें ही नजर आईं। पूरी छत ढह चुकी थी। वहां राहत दल की ओर से बचाव कार्य जारी था, जो देर रात तक चलता रहा। यहां हादसा कैसे हुआ, कैसे लोगों ने अपनी जान बचाई और कौन इसके लिए जिम्मेदार? ऐसे ही कई सवालों के चौंकाने वाले जवाब चश्मदीदों टिंकू और अमित से मिले। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
फैक्ट्री के कारीगरों ने पूरी घटना सिलसिलेवार बताई…
- 300 पेटियों पर चिंगारी गिरी: कारीगर अमित ने बताया कि गुरुवार-शुक्रवार रात साढ़े 12 से 1 बजे का समय था। मैं और टिंकू दोनों काम के बाद सफाई कर रहे थे। उस समय हमने ऑर्डर वाली 300 पटाखों की पेटी पैक कर रख दी थी। कुछ देर में हम सोने वाले थे। पास के खेत में आग लग थी और ऊपर से बिजली की लाइन गुजर रही थी। वो चिंगारी पटाखों पर आ गिरी।
- हम चिल्लाए, सब बाहर भागने लगे: अमित ने आगे बताया कि जैसे ही चिंगारी पटाखों की पेटियों पर गिरी, वैसे ही धमाके शुरू हो गए। हमने बाकी साथियों को आवाज लगाई और वहां से बाहर की ओर भागे। उस समय कोई ऊपर तो कोई नीचे कमरे में सोया हुआ था। कोई मलबे के नीचे दबा हुआ था तो किसी को ईंटें-पत्थर लगे थे। हर जगह चिल्लाने की आवाजें आ रहीं थी।
- 2-3 दीवारों को छोड़कर छत नीचे आ गिरी: कारीगर टिंकू ने बताया कि जिस जगह हम काम कर रहे थे, वहां शेड लगा हुआ था। आगे लगने पर धमाका होते ही शेड और लोहे के गाटर उखड़कर दूर जा गिरे और ईंटें भी बीच से टूटकर दूर जा गिरीं। जब हम अपनी जान बचाने बाहर भाग रहे थे तो वह ईंटें भी कई लोगों को लगीं। धमाके तेज हुए तो 2-3 दीवारों को छोड़कर छत नीचे आ गिरी। इसके मलबे में कई लोग दब गए।
- आधा घंटा लगा बाहर निकलने में, एम्बुलेंस पहुंची: टिंकू ने आगे बताया कि करीब आधा घंटा लगा सभी को बाहर निकलने में। कुछ लोग मलबे के नीचे दबे थे। करीब एक से सवा घंटे बाद एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचीं। उन सभी ने मिलकर उनको मलबे के नीचे से बाहर निकाला। चार लोगों की उसी समय मौत हो गई थी। कई लोग तड़प रहे थे। उस समय तक किसी को कुछ पता नहीं था कि कौन बच गया और कौन नहीं।

मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालते लोग। 4 लोगों की मौत हो चुकी थी।
वर्करों के फैक्ट्री मालिक पर 2 आरोप….
- फैक्ट्री मालिक भागा, फोन बंद किया: अमित ने बताया कि फैक्ट्री मालिक भी करीब एक घंटे बाद आया। आते ही कुछ देर तक देखता रहा और कुछ लोगों को अस्पताल पहुंचाया। मगर बाद में उसका कोई पता नहीं लगा। मालिक ने न फोन उठाया तो न ही उनसे कोई संपर्क किया। कुछ देर बाद मालिक का फोन बंद आने लगा। हमारे फोन भी गुम हो गए। घरवालों से भी संपर्क नहीं कर पाए।
- एक माह की सैलरी भी नहीं मिली: टिंकू ने बताया कि यह पटाखों की फैक्ट्री दिसंबर 2024 से चल रही थी। उनमें से कुछ वर्कर शुरू से काम कर रहे थे तो कुछ डेढ़ से 2 माह पहले ही काम करने आए थे। काफी वर्करों की एक माह बीत जाने के बाद सैलरी भी नहीं मिली। हमें पता चला है कि मालिक के पास लाइसेंस भी नहीं था और न ही कोई कागज।

धमाकों और आगे के बाद फैक्ट्री मालिक एक बार मौके पर आया था। इसके बाद वह कार वहीं छोड़कर फरार हो गया।
तरसेम की फैक्ट्री, यूपी का है ठेकेदार ग्रामीण जसपाल सिंह ने बताया कि यह फैक्ट्री सिंघेवाला के तरसेम सिंह की है। फैक्ट्री में पटाखे बनाने का काम उत्तर प्रदेश के हाथरस निवासी ठेकेदार राजकुमार के अधीन होता था। ठेकेदार घटना के बाद से फरार है। घटनास्थल पर कार्सेर कंपनी के डिब्बों में तैयार पटाखे पड़े थे।
दो शिफ्टों में काम करते थे 40 कर्मचारी स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, फैक्ट्री 2 मंजिला थी। पहली मंजिल पर कुछ कमरे बने हुए थे। फैक्ट्री में ही सभी वर्करों के रहने की व्यवस्था की गई थी। यहां दो शिफ्टों में करीब 40 कर्मचारी काम करते थे, जिनमें से कुछ अपने परिवारों के साथ यहां रहते थे। अधिकतर कर्मचारी उत्तर प्रदेश और बिहार के थे।

सुखबीर बादल ने दिया मदद का आश्वासन घायलों का हालचाल जानने के लिए शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बठिंडा बादल एम्स पहुंचे। उन्होंने सभी घायलों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। सुखबीर बादल ने डॉक्टरों से कहा कि घायलों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। आश्वासन दिया कि घायलों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो घायलों के उपचार का खर्च वह खुद वहन करेंगे।

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