Narendra Modi | Canada PM Modi G-7 Summit Invitation | कनाडा पीएम ने मोदी को G7 समिट का न्योता भेजा: मोदी ने कार्नी को चुनाव जीतने की बधाई दी; ट्रूडो के समय संबंध खराब हुए थे

Actionpunjab
6 Min Read


नई दिल्ली8 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
भारत 2019 से अब तक 5 बार G7 समिट में शामिल हो चुका है। - Dainik Bhaskar

भारत 2019 से अब तक 5 बार G7 समिट में शामिल हो चुका है।

कनाडा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G7 देशों की समिट में शामिल होने के लिए न्योता भेजा है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को फोन कर समिट के लिए बुलाया है। मोदी ने X पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है।

मोदी ने आमंत्रण के लिए कार्नी का आभार जताया और कनाडा के चुनाव में जीत हासिल करने पर बधाई भी दी। साथ ही कहा कि उन्हें समिट में कार्नी से मुलाकात का बेसब्री से इंतजार है।

यह समिट कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में 15 से 17 जून तक होगी। भारत को यह न्योता समिट शुरू होने के ठीक 8 दिन पहले मिला है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कनाडा इस समिट को लिए भारत को न्योता नहीं भेज रहा है। इसके पीछे पिछले कुछ वक्त से दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को वजह माना जा रहा था। भारत 2019 से इस समिट में गेस्ट के तौर पर शामिल होता आ रहा है।

तस्वीर 2024 में इटली में हुई G7 समिट की है।

तस्वीर 2024 में इटली में हुई G7 समिट की है।

अब तक किन्हें मिला है न्योता?

हर साल G7 की मेजबानी करने वाला देश कुछ मेहमान देशों को आमंत्रित करता है। अब तक कनाडा ने भारत से पहले सिर्फ यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया को निमंत्रण भेजा है। बाकी किसी गेस्ट देश के नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

भारत-कनाडा संबंधों में खटास क्यों आई

2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका हो सकती है।

भारत ने इन आरोपों को बेहूदा और राजनीति से प्रेरित कहकर सिरे से खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंधों को डाउनग्रेड कर लिया था।

G7 की बैठक में PM मोदी शामिल होने जा रहे वो संगठन क्या है?

G7 दुनिया के सात विकसित और अमीर देशों का समूह है। जिसमें अभी कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है।

इसकी शुरुआत शीत युद्ध के दौरान उस समय हुई जब एक तरफ सोवियत संघ और उसके समर्थन वाले देशों ने मिलकर वॉरसा के नाम से एक ग्रुप बनाया था। वहीं, दूसरी तरफ पश्चिम के औद्योगिक और विकसित देश थे।

1975 में वामपंथ विरोधी पश्चिमी देश फ्रांस, इटली, वेस्ट जर्मनी (उस समय जर्मनी दो टुकड़ों में बंटा था) अमेरिका, ब्रिटेन और जापान एक मंच पर आते हैं। उनका मकसद अपने हितों से जुड़े अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर एक साथ बैठकर चर्चा करना होता है। तब से इस अनौपचारिक संगठन की शुरुआत होती है। शुरुआत में ये 6 देश थे, 1976 में कनाडा के शामिल होने से ये G7 हो गया।

तस्वीर 1975 में फ्रांस में हुई पहली G6 देशों की बैठक की है।

तस्वीर 1975 में फ्रांस में हुई पहली G6 देशों की बैठक की है।

1998 में G7 संगठन के दूसरे फेज की शुरुआत होती है। जब रूस को इसमें शामिल किया जाता है। इस समय रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन थे। तब रूस की पॉलिसी भी अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन वाली थी। G7 में रूस के शामिल होने के बाद इसका नाम G8 हो गया। 2014 में क्रिमिया में रूस की घुसपैठ के बाद उसे संगठन से बाहर कर दिया गया था।

G7 का काम क्या है

  • G7 संगठन की पहली बैठक में सऊदी की ओर से शुरू की गई ऑयल क्राइसिस से निपटने के लिए योजना बनाई गई थी।
  • साथ ही उस समय एक्सचेंज रेट क्राइसिस शुरू हुआ था। इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका ने डॉलर की वैल्यू को सोने से डी-लिंक कर दिया था।
  • अमेरिका ने ऐसा दुनिया में सोने की बजाय डॉलर के दबदबे को बढ़ाने के लिए किया था। हालांकि इससे दूसरे देशों के लिए आर्थिक परेशानियों शुरू हो गईं।
  • पश्चिमी देशों को लगा कि उन्हें फाइनेंशियल लेवल पर पॉलिसी बनाने के लिए एक साथ आने की जरूरत है, ताकि वे आपस में अपने बिजनेस और ट्रेड के मसले सुलझा पाएं।
  • तब से लगातार हर साल इस संगठन की बैठक होती है। ये देश दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

————————-

कनाडा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें….

कनाडा की पहली हिंदू विदेश मंत्री बनीं अनीता आनंद:गीता पर हाथ रखकर शपथ थी; सरकार में 3 भारतवंशी शामिल

भारतीय मूल की अनीता आनंद को कनाडा की नई विदेश मंत्री बनीं। उन्होंने पिछले महीने गीता पर हाथ रखकर पद की शपथ ली। कनाडा में 28 अप्रैल को आम चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *