Delhi Judge Yashwant Varma Resignation; Ex CJI Sanjiv Khanna | Parliament | CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा था: नहीं दिया तो पद से हटाने की सिफारिश की; संसद ने हटाया तो पेंशन नहीं मिलेगी

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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इनहाउस रिपोर्ट के आधार पर तब के CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की थी। - Dainik Bhaskar

इनहाउस रिपोर्ट के आधार पर तब के CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की थी।

पूर्व CJI संजीव खन्ना ने इनहाउस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस यशवंत वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था। इसके लिए राजी ने होने पर CJI खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों ने हवाले से यह जानकारी दी है।

इससे पहले ANI ने बताया था कि केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव ला सकती है। कानूनी जानकारों के मुताबिक अगर वे इस्तीफा देते हैं तो उन्हें रिटायर्ड जज की तरह पेंशन और अन्य लाभ मिलेंगे। संसद में प्रस्ताव लाकर हटाए जाने पर पेंशन वगैरह कुछ नहीं मिलेगा।

दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लग गई थी। आग बुझाने पहुंची फायर सर्विस टीम को बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। मामला बढ़ने पर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि, उन्हें कोई भी न्यायिक काम नहीं दिया जा रहा है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के मिले अधजले नोटों के वीडियो का हिस्सा। इसमें अधजले नोट बोरी से गिरते दिख रहे हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के मिले अधजले नोटों के वीडियो का हिस्सा। इसमें अधजले नोट बोरी से गिरते दिख रहे हैं।

संसद में मौखिक इस्तीफा भी दिया जा सकता है कानूनी जानकार बताते हैं कि जस्टिस वर्मा संसद के किसी भी सदन में सांसदों के सामने अपना पक्ष रखते हुए पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं। उनके मौखिक बयान को ही इस्तीफा मान लिया जाएगा।

संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, हाईकोर्ट का जज राष्ट्रपति को अपना साइन किया त्यागपत्र दे सकते हैं। जज के इस्तीफे के लिए किसी अनुमोदन जरूरत नहीं होती।

जज अपनी चिट्ठी में पद छोड़ने की तारीख भी लिख सकते हैं। ऐसे मामले में वे उस तारीख से पहले इस्तीफा वापस भी ले सकते हैं।

जस्टिस वर्मा का परिवार ही स्टोर रूम इस्तेमाल करता था जिस स्टोर रूम में आग लगने के बाद जली नकदी मिली थी, वह जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के कब्जे में था। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी थी।

तब के CJI संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 22 मार्च को इनहाउस पैनल बनाया था। पैनल ने 4 मई को CJI को दी अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था।

पैनल ने इलेक्ट्रॉनिक सबूतों, गवाहों और जांच के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला था। पैनल ने 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए थे। इनमें दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा और फायर सर्विस चीफ भी थे। दोनों अफसर आग लगने के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचने वालों में से थे।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि 14 मार्च, 2025 की रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद स्टोर रूम से नकदी हटाई गई थी। पैनल में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं।

2018 में 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में आया था नाम जस्टिस वर्मा के खिलाफ 2018 में गाजियाबाद की सिंभावली शुगर मिल में गड़बड़ी मामले में CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी।

शिकायत में कहा गाय था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है। जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। मामले में CBI ने जांच शुरू की थी।

हालांकि, जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

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