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नई दिल्ली4 घंटे पहले
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को PM मोदी को लेटर लिखा है। इसमें लोकसभा के डिप्टी स्पीकर (उपाध्यक्ष) के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है।
खड़गे ने लेटर में लिखा-

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लगातार दो लोकसभा कार्यकालों के लिए खाली रहा है। 17वीं लोकसभा के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं चुना गया था। यह चिंताजनक मिसाल मौजूदा 18 लोकसभा में भी जारी है। यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
देश में अबतक 14 डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। इतिहास रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए। जिससे संसद में संतुलन और निष्पक्षता बनी रहे। हालांकि यह कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
16वीं लोकसभा (2014) में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि 17वीं लोकसभा (2019) में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। 18वीं लोकसभा (2024) में भी किसी को डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया है।

16वीं लोकसभा (2014) में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को डिप्टी स्पीकर बनाया गया था।
खड़गे ने लिखा- बिना देरी के डिप्टी स्पीकर के चुनाव कराए जाएं
खड़गे ने लिखा- मैं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद के खाली होने के संबंध में मौजूदा अत्यंत चिंताजनक मामले की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहा हूं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव का प्रावधान है। संवैधानिक रूप से उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के बाद सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है।
उन्होंने लिखा कि पहले की बातों को ध्यान में रखते हुए और सदन की सम्मानित परंपराओं और हमारी संसद के लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मैं आपसे बिना किसी देरी के लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ करने का अनुरोध करता हूं।
केंद्र सरकार क्यों नहीं करा रही डिप्टी स्पीकर चुनाव
17वीं लोकसभा (2019-2024) में केंद्र की भाजपा सरकार के पास 303 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत था, जिसके कारण सरकार को विपक्ष के साथ समझौता करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। विपक्षी नेताओं के मुताबिक सरकार ने जानबूझकर यह पद खाली रखा। क्योंकि इसे विपक्ष को देना पड़ता, विशेष रूप से कांग्रेस को जो सरकार की प्राथमिकता नहीं थी।
18वीं लोकसभा (2024-वर्तमान) में भी यही स्थिति बनी। भाजपा के पास 240 सीटें हैं। NDA गठबंधन के पास 293 सीटें हैं, जो बहुमत से अधिक हैं। इसके बावजूद सरकार ने विपक्ष की मांग को नहीं स्वीकारा।
विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। क्योंकि विपक्ष ने स्पीकर के लिए NDA उम्मीदवार को समर्थन देने की शर्त में डिप्टी स्पीकर का पद मांगा था।
लोकसभा में विपक्ष का नंबर गेम 17वीं लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर कांग्रेस के पास केवल 55 सीटें थीं, जो विपक्ष के नेता (LOP) के लिए आवश्यक न्यूनतम सीटों (लोकसभा की कुल सीटों का 10%) से कम थीं। सरकार ने तर्क दिया कि विपक्ष की कम संख्या के कारण डिप्टी स्पीकर का पद देना उचित नहीं था।
18वीं लोकसभा में विपक्ष की ताकत बढ़ी, कांग्रेस के पास 99 सीटें हैं। विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर के पद की मांगा, लेकिन सरकार ने नहीं दिया। वर्तमान में ये पद खाली है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 क्या है
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव से संबंधित है। इसके मुताबिक, लोकसभा के सदस्य दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेंगे। अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त (जैसे, इस्तीफा, निधन, या हटाने के कारण) होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा।
अनुच्छेद में ‘जितनी जल्दी हो सके’ बात कही गई है, लेकिन कोई तय समय सीमा नहीं दी गई है। जिसके कारण डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति में देरी को लेकर विवाद है, जैसा कि 17वीं और 18वीं लोकसभा में देखा गया है।

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