shaniwar and Chaturthi yog on 14th June, Significance of ganesh chaturthi vrat in hindi, Ganesh Mantra puja vidhi | शनिवार और चतुर्थी का योग 14 जून को: व्रत-उपवास के साथ ही तेल से करें शनिदेव का अभिषेक, गणेश जी के 12 नामों का करें जप

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5 घंटे पहले

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शनिवार, 14 जून को आषाढ़ कृष्ण गणेश चतुर्थी व्रत है। इस तिथि भगवान गणेश के लिए व्रत-उपवास और पूजन किया जाता है। इस बार शनिवार को ये चतुर्थी होने से इस दिन भगवान गणेश के साथ ही शनि देव और हनुमान जी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भगवान गणेश चतुर्थी तिथि पर ही प्रकट हुए थे, इसी वजह से वे इस तिथि के स्वामी हैं। गणेश जी की प्रकट तिथि होने की वजह से चतुर्थी पर भक्त व्रत-उपवास करते हैं, विशेष पूजा-पाठ करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

  • ज्योतिष में शनिवार का स्वामी ग्रह शनि को माना जाता है, इसलिए शनिवार को शनिदेव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। जानिए शनिवार और चतुर्थी के योग में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
  • शनिवार को सुबह जल्दी उठें, स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
  • घर के मंदिर में गणेश की मूर्ति स्थापित करें। भगवान को दूर्वा, जल, पंचामृत अर्पित करें। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं, धूप-दीप जलाएं।
  • ऊँ गणेशाय नम: मंत्र का जप करते हुए पूजा करें। गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर निराहार रहना चाहिए, जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फल, दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं।
  • गणेश जी के सामने दीपक जलाकर भगवान के 12 नाम मंत्रों का जप करना चाहिए- 12 नाम मंत्र – ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
  • पूजा पूरी होने के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें और गणेशजी से दुख दूर करने की प्रार्थना करें।
  • शनिवार और चतुर्थी के योग में शनि को तेल चढ़ाएं, तेल से अभिषेक करें, ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें। अपराजिता के नीले फूल शनि को चढ़ाएं। ऐसा करने से कुंडली के शनि दोषों का असर शांत होता है। साढ़ेसाती और ढय्या से जुड़े दोषों का असर भी कम होता है।
  • शनिवार और चतुर्थी के योग में हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें।

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