इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री व पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान को 2016 के चर्चित यतीमखाना मामले में राहत नहीं दी। कोर्ट ने उनकी याचिका को पहले से लंबित अन्य आरोपियों की याचिका से संबद्ध कर दिया है। इन सभी पर तीन जुलाई को एक साथ सुनवाई होगी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने आजम खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई. जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद को सुनकर दिया। सुनवाई के दौरान आजम खान व अन्य के ख़िलाफ़ चल रहे मुकदमे पर रोक लगाने की मांग करते हुए यह तर्क़ दिया कि जब तक मुख्य गवाहों की दोबारा गवाही नहीं कराई जाती और केस से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज रिकॉर्ड में नहीं लाई जाती, तब तक निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
कोर्ट ने आजम खान और वीरेन्द्र गोयल की याचिका को उसी लंबित याचिका से संबद्ध करने का निर्देश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि इस मामले में इस न्यायालय से कोई अंतरिम आदेश नहीं है।
एडवोकेट शाश्वत आनंद के अनुसार याचिका में ट्रायल कोर्ट के गत 30 मई के आदेश को चुनौती दी है। ट्रायल कोर्ट ने याची की उस मांग को अस्वीकार कर दिया, जिसमें 12 एफआईआर के सूचनादाताओं और मुख्य अभियोजन गवाहों, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फरअहमद फारूकी को पुनः बुलाने की मांग की गई थी। याचिका के अनुसार जिस वीडियोग्राफी का उल्लेख खुद फारूकी ने किया है, वह याचियों की घटनास्थल पर अनुपस्थिति को साबित कर सकती है और अभियोजन के पूरे मामले को खोखला कर देती है। याचिका में कहा गया है कि यह मुकदमा संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का घोर उल्लंघन है और राजनीतिक द्वेष प्रेरित कार्रवाई है। उन्होंने मुकदमे को रद्द करने की मांग भी की है।
गौरतलब है कि यतीमखाना प्रकरण को लेकर रामपुर कोतवाली में दर्ज मुकदमे में आजम खान और अन्य पर डकैती, घर में अनधिकृत प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं। मामले में आरोपी मो. इस्लाम उर्फ इस्लाम ठेकेदार की याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 11 जून को उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को तीन जुलाई तक अंतिम निर्णय देने से रोक दिया था।