Bhagwat said- India does not have to become a golden bird, it has to become a lion | भागवत बोले-भारत को सोने की चिड़िया नहीं, शेर बनना है: दुनिया ताकत की भाषा समझती है; विश्व गुरु भारत कभी भी युद्ध का कारण नहीं बनेगा

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कोच्चि10 मिनट पहले

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भागवत ने ये बातें केरल में शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा में कहीं। - Dainik Bhaskar

भागवत ने ये बातें केरल में शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा में कहीं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें फिर से सोने की चिड़िया नहीं बनना है, बल्कि हमको शेर बनना है। दुनिया शक्ति की ही बात समझती है और शक्ति संपन्न भारत होना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाए और उसे कहीं भी अपने दम पर जीवित रहने की क्षमता प्रदान करे। भागवत ने ये बातें केरल में शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा में कहीं।

उन्होंने कहा;-

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हमेशा ‘भारत’ ही कहना चाहिए, न कि इसका अनुवाद करना चाहिए। विकसित, विश्व गुरु भारत कभी भी युद्ध का कारण नहीं बनेगा।

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भागवत के भाषण की 2 अहम बातें…

1. मनुष्य के पास भगवान या राक्षस बनने का विकल्प मोहन भागवत ने कहा कि मनुष्य के पास भगवान या राक्षस बनने का विकल्प है। राक्षस बनकर वह अपनी और दूसरों की जिंदगी बर्बाद करता है, जबकि भगवान बनकर वह स्वयं और समाज का उत्थान करता है।

शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सही दिशा में ले जाना है, ताकि वह भूखा न रहे और आत्मनिर्भर बन सके। शिक्षा केवल आजीविका तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति को नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त बनाए।

2. भारत युद्ध का कारण नहीं बनेगा भागवत ने स्पष्ट किया कि विकसित भारत और विश्व गुरु भारत कभी युद्ध का कारण नहीं बनेगा, बल्कि यह विश्व में शांति और समृद्धि का संदेशवाहक होगा। भारत की यह पहचान उसकी शिक्षा प्रणाली और सांस्कृतिक मूल्यों से और मजबूत होगी।

भागवत बोले- आज का इतिहास पश्चिमी दृष्टिकोण से लिखा गया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने चार दिन पहले पाठ्यक्रमों में बदलाव की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत को सही रूप में समझने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

भागवत ने कहा- आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह पश्चिमी दृष्टिकोण से लिखा गया है। उनके विचारों में भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। विश्व मानचित्र पर भारत दिखता है, लेकिन उनकी सोच में नहीं। उनकी किताबों में चीन और जापान मिलेंगे, भारत नहीं।

RSS चीफ ने कहा, ‘पहले विश्व युद्ध के बाद शांति की बातें की गईं, किताबें लिखी गईं और राष्ट्र संघ (League of Nations) बना, लेकिन दूसरा विश्व युद्ध हुआ। फिर संयुक्त राष्ट्र बना, लेकिन आज भी लोग चिंतित हैं कि कहीं तीसरा विश्व युद्ध न हो जाए।

संघ प्रमुख मंगलवार को दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा- दुनिया को अब एक नई दिशा की जरूरत है और यह दिशा भारतीयता से ही मिलेगी।

भारतीयता सिर्फ नागरिकता नहीं RSS प्रमुख ने कहा कि भारत का मतलब केवल किसी भौगोलिक सीमा में रहना या नागरिकता पाना नहीं है। भारतीयता एक दृष्टिकोण है, जो पूरे जीवन के कल्याण की सोच रखता है। धर्म पर आधारित यह दृष्टिकोण चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन का हिस्सा मानता है। इनमें मोक्ष अंतिम लक्ष्य है।

भारत कभी सबसे समृद्ध राष्ट्र था भागवत ने कहा कि धर्म की इसी जीवनदृष्टि के चलते भारत कभी दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र था। आज भी पूरी दुनिया उम्मीद करती है कि भारत उसे रास्ता दिखाएगा। इसलिए हमें खुद को और अपने राष्ट्र को तैयार करना होगा। शुरुआत खुद से और अपने परिवार से होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोगों को आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या वे अपने दैनिक जीवन में भारतीय दृष्टिकोण का पालन कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने सुधार और बदलाव के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

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