5 सितंबर यानी आज शुक्रवार को देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर उच्च माध्यमिक स्कूल, सतपुड़ा में कार्यरत लेक्चरर विकास अग्रवाल को उनके शिक्षा, समाज सेवा और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित क
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विकास अग्रवाल आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने के पीछे उनके पिता का सपना है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2008 में एक निजी सीमेंट कंपनी में क्वालिटी कंट्रोल के केमिस्ट के रूप में की थी। वहां वे साल 2013 तक कार्यरत रहे, लेकिन फिर उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर शिक्षक बनने का फैसला किया। यह फैसला उन्होंने अपने पिता रमेश चंद्र अग्रवाल के सपने को पूरा करने के लिए लिया। उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा शिक्षक बने और समाज की सेवा करे।
कई बार हुए सम्मानित, अब फिर मिलेगा राज्य स्तरीय पुरस्कार
शिक्षा और सामाजिक कार्यों में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए विकास अग्रवाल को अब राज्य स्तरीय सम्मान मिलने जा रहा है। इससे पहले भी उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। साल 2022 में उन्हें राज्य स्तर का प्रेरक भामाशाह सम्मान मिला था। उसी साल उन्हें जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान भी दिया गया। साल 2023 के गणतंत्र दिवस पर भी उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया था।
चुनावों के समय भी विकास अग्रवाल ने जिम्मेदारी से काम किया। वे मीडिया सेल में रहते हुए समन्वय का काम संभालते थे। इसी के चलते उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर ने सम्मानित किया। 2023 के चुनाव में भी जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल द्वारा उन्हें सम्मान मिला।

साल 2022 में राज्यस्तरीय भामाशाह प्रेरक अवॉर्ड से सम्मानित करते हुए तत्कालीन शिक्षा मंत्री बी डी कल्ला।
2017 से उच्च माध्यमिक स्कूल सतपुड़ा में कार्यरत
विकास अग्रवाल वर्तमान में उच्च माध्यमिक स्कूल, सतपुड़ा में बतौर लेक्चरर कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति यहां साल 2017 में हुई थी, जब उन्होंने RPSC परीक्षा पास की थी। इससे पहले वे साल 2013 में खरड़ी बावड़ी स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए थे, जहां वे मैथ और साइंस पढ़ाते थे।
शिक्षा की मजबूत नींव
विकास अग्रवाल ने अपनी पढ़ाई को हमेशा गंभीरता से लिया। उन्होंने M.Sc., हिंदी साहित्य में M.A., B.Ed., और BJMC (पत्रकारिता में गोल्ड मेडल के साथ) की डिग्रियां प्राप्त की हैं। इतनी विविध विषयों में पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया।

गणतंत्र दिवस पर योग्यता सम्मान 2023 से सम्मानित करते हुए तत्कालीन राज्यमंत्री सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत, जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और एसपी राजन दुष्यंत।
बालिका शिक्षा और ड्रॉपआउट बच्चों को दोबारा जोड़ा
अपने शिक्षक जीवन में विकास अग्रवाल ने विशेष रूप से बालिका शिक्षा पर जोर दिया है। उन्होंने न सिर्फ स्कूल में बेटियों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया, बल्कि जो बच्चियां किसी कारणवश ड्रॉप आउट हो गई थीं, उन्हें भी दोबारा शिक्षा से जोड़ने का काम किया। उनका कहना है कि गांव की बच्चियों को कई बार सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती, जिस कारण वे पीछे रह जाती हैं। इसीलिए वे लगातार कोशिश करते हैं कि ऐसी बच्चियां इन योजनाओं का लाभ उठा सकें।
अब तक वे पिछले 7 सालों में 17 बालिकाओं को सरकारी योजना के तहत स्कूटी दिलवा चुके हैं। इसके अलावा स्कूल से बाहर जाने के बाद भी अगर किसी छात्र को कॉलेज या करियर में कोई परेशानी होती है, तो वे हर समय उनके साथ खड़े रहते हैं।
पर्यावरण संरक्षण की ओर भी विशेष ध्यान
खरड़ी बावड़ी स्कूल में कार्यकाल के दौरान उन्होंने स्कूल परिसर में कई जड़ी-बूटी वाले पौधे लगाए और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। यह काम सिर्फ पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने बच्चों में एक संवेदनशील सोच विकसित करने की भी कोशिश की।
स्कूल डेवलपमेंट के लिए जुटाए 50 लाख रुपए
सिर्फ पढ़ाने तक सीमित न रहते हुए विकास अग्रवाल ने स्कूल के भौतिक विकास के लिए भी भरपूर योगदान दिया। उन्होंने पूर्व प्रिंसिपल मूलसिंह चौहान और सत्यनारायण लक्ष्यकार के साथ मिलकर स्कूल में कई विकास काम करवाए। सबसे पहले उन्होंने भामाशाहों को जोड़ा और करीब 50 लाख रुपए का सहयोग जुटाया।
इस राशि से स्कूल में नई पानी की टंकी, बालिकाओं के लिए अलग टॉयलेट, क्लासरूम, और बाउंड्री वॉल को ऊंचा करवाने जैसे काम किए गए। कुछ काम अभी भी पाइपलाइन में हैं और वे लगातार प्रयास कर रहे हैं कि स्कूल का माहौल और बेहतर हो।
NGO में काम कर पहले ही शुरू कर दी थी समाज सेवा
शिक्षक बनने और फैक्ट्री में काम करने से पहले विकास अग्रवाल एक NGO के साथ भी जुड़े रहे। यहां रहते हुए भी उन्होंने बालिका शिक्षा पर खास काम किया था। यह उनके सामाजिक सरोकारों की शुरुआत थी, जिसे उन्होंने शिक्षक बनकर और ज्यादा मजबूती दी।
बच्चों के लिए हमेशा तैयार रहने वाले शिक्षक
विकास अग्रवाल सिर्फ स्कूल में पढ़ाने तक सीमित नहीं हैं। वे बच्चों की शिक्षा, सामाजिक सहायता, सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनके जीवन से जुड़े हर पहलू में मदद करने की कोशिश करते हैं। चाहे बच्चा स्कूल में हो या स्कूल के बाहर, अगर उसे किसी तरह की मदद की ज़रूरत हो, तो विकास अग्रवाल हर समय उनके लिए खड़े रहते हैं।
परिवार ने भी दिया शिक्षा को महत्व
विकास अग्रवाल का जन्म 5 फरवरी 1980 को बड़ीसादड़ी विधानसभा क्षेत्र में हुआ था। वे आठ बहनों के इकलौते भाई हैं और बचपन से ही पूरे परिवार के लाडले रहे हैं। उनके पिताजी रमेश चंद्र अग्रवाल, LIC के डेवलपमेंट अधिकारी थे, जिनका निधन 83 वर्ष की उम्र में हुआ। पिता का सपना था कि बेटा शिक्षक बने और समाज के लिए कुछ करे और विकास ने इसे पूरी तरह निभाया। उनकी मां सुशीला देवी हाउस वाइफ है। उनका कहना है कि उनके माता पिता ने शिक्षा पर हमेशा जोर दिया। इसलिए उनके अलावा उनकी चार बहने भी टीचर है।