कोयंबटूर40 मिनट पहले
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अमित शाह बुधवार को कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन में आयोजित महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुए थे।
तमिलनाडु में ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी पर जारी विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान सामने आया है। शाह बुधवार को कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन में आयोजित महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुए थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा- सबसे पहले, मैं दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल न बोल पाने के लिए माफी मांगना चाहता हूं। मैं महाशिवरात्रि के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे सद्गुरु के निमंत्रण पर यहां आने का अवसर मिला।
ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर साउथ के राज्यों और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से विवाद बना रहा है। 2019 में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद विवाद और बढ़ गया। नई शिक्षा नीति के तहत हर राज्य के छात्रों को तीन भाषा सीखनी होगी, जिनमें से एक हिंदी होगी।
तमिलनाडु में इसको लेकर काफी विरोध हो रहा है। राज्य में मौजूदा सरकार के कार्यकर्ता जगह-जगह हिंदी लिखे नामों पर कालिख पोत रहे हैं।

यह तस्वीर 24 फरवरी की है। DMK कार्यकर्ता पोलाची रेलवे स्टेशन पर हिंदी में लिखा नाम मिटाते हुए।
CM एमके स्टालिन बोले- एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार तमिलनाडु CM एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा था कि केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो उनका राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है।
भाजपा नेता बोले- भाषा विवाद पर स्टालिन का दोहरा रवैया तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने स्टालिन पर भाषा विवाद को लेकर पाखंडी होने का आरोप लगाया। सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में, अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में सरकारी स्कूल के छात्रों को तीसरी भाषा सीखने नहीं दी जा रही है। जबकि CBSE और मैट्रिकुलेशन प्राइवेट स्कूलों में यह लागू है।
अन्नामलाई के राज्य सरकार से 3 सवाल
- अगर आप हिंदी सीखना चाहते हैं, तो क्या आपको अपने बच्चों को उन प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन कराना होगा जो DMK के कार्यकर्ताओं के हैं।
- राज्य की मौजूदा सरकार इस मामले पर दोहरा रवैया अपना रही है। जिसमें अमीरों के लिए एक नियम और गरीबों के लिए दूसरा नियम है।
- आपकी पार्टी के सदस्य, जो पेंट के डिब्बे लेकर घूम रहे हैं। अपने बयान में हिंदी और अंग्रेजी के बीच अंतर स्पष्ट करना भूल गए हैं।
23 फरवरी को शिक्षा मंत्री ने स्टालिन को लेटर लिखा था ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा था। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की।
उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।’
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने लेटर में मई 2022 में चेन्नई में पीएम मोदी के ‘तमिल भाषा शाश्वत है’ के बायन का जिक्र करते हुए लिखा- मोदी सरकार तमिल संस्कृति और भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मैं अपील करता हूं कि शिक्षा का राजनीतिकरण न करें।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद विवाद और बढ़ा
ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर साउथ के राज्यों और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से विवाद बना रहा है। 2019 में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद विवाद और बढ़ गया। नई शिक्षा नीति के तहत हर राज्य के छात्रों को तीन भाषा सीखनी होगी, जिनमें से एक हिंदी होगी।
तमिलनाडु में हमेशा से दो भाषा नीति रही है। यहां के स्कूलों में तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। 1930-60 के बीच यहां भाषा को लेकर कई आंदोलन हुए हैं।
2026 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ट्राई लैंग्वेज को बढ़ावा देगी
इस बीच बीजेपी ने राज्य में ट्राई लैंग्वेज को बढ़ावा देने की मुहिम तेज कर दी है। बीजेपी ने अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में को लेकर 1 मार्च से अभियान शुरू करने की तैयारी में है।
नई अभियान की शुरुआत 2026 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई के देखरेख में होगा। उन्होंने DMK पर 1960 की पुरानी नीति पर अड़े रहने का आरोप लगाया है।

बीजेपी का यह कदम तमिलनाडु में राजनीतिक परिदृश्य में पैर जमाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने अब तक हुए चुनाव में कामयाबी नहीं मिली है।
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2016 में राज्य के सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 4 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। हालांकि 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में कोई खाता नहीं खुल पाया।
क्या है न्यू एजुकेशन पॉलिसी, जिस पर विवाद हो रहा NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को 3 भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी 3 भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं।
प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में 3 भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।
गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा
5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।
किसी भाषा को अपनाना अनिवार्य नहीं
राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की स्वतंत्रता है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाएंगे। किसी भी भाषा को अनिवार्य रूप से थोपने का प्रावधान नहीं है।
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