Tamil Nadu CM MK Stalin Vs Modi Govt; National Education Policy | स्टालिन बोले- हमारे सामने भाषा-डिलिमिटेशन की लड़ाई: कहा- राज्य को बचाने के लिए हर आदमी को खड़ा होना पड़ेगा, एक रहना होगा

Actionpunjab
11 Min Read


चेन्नई16 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
स्टालिन बोले- निर्वाचन क्षेत्रों का डिलिमिटेशन हमारे राज्य के आत्म-सम्मान, सामाजिक न्याय और लोगों के कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है। - Dainik Bhaskar

स्टालिन बोले- निर्वाचन क्षेत्रों का डिलिमिटेशन हमारे राज्य के आत्म-सम्मान, सामाजिक न्याय और लोगों के कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है।

तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने अपने जन्मदिन पर जनगणना आधारित सीट बंटवारे (Delimitation) और ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने राज्य की जनता से इस मुद्दे पर एकजुट होकर विरोध करने की अपील की।

स्टालिन ने X पर वीडियो शेयर करते हुए कहा- तमिलनाडु आज दो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहला भाषा की लड़ाई, जो हमारी पहचान है और दूसरा हमारे निर्वाचन क्षेत्रों का डिलिमिटेशन, जो हमारा अधिकार है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप हमारी लड़ाई को लोगों तक पहुंचाएं।

तमिलनाडु CM ने कहा- निर्वाचन क्षेत्रों का डिलिमिटेशन हमारे राज्य के आत्म-सम्मान, सामाजिक न्याय और लोगों के कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है। प्रत्येक लोगों को अपने राज्य की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए।

स्टालिन ने 5 मार्च को 40 राजनीतिक पार्टियो को बैठक के लिए बुलाया है। इसमें डिलिमिटेशन, NEET परीक्षा, ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी और केंद्र से मिलने वाले फंड पर भी चर्चा होगी।

तमिलनाडु गवर्नर बोले- युवाओं को लैंग्वेज चुनने की आजादी मिलनी चाहिए

ट्राई लैंग्वेज वॉर के बीच तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने कहा कि हिंदी का विरोध के बीच स्टूडेंट्स को साउथ की भाषा भी देखने को नहीं मिल रही है। यह सही नहीं है। युवाओं को लैंग्वेज चुनने की आजादी मिलनी चाहिए।

गवर्नर ने कहा कि मैंने साउथ तमिलनाडु के कई हिस्सों के नेताओं, स्टूडेंट, बिजनेस और हेल्थ जगत के लोगों से बातचीत की है। उन्होंने NEP को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

DMK ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री के खिलाफ काले झंडे दिखाए

इस बीच फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन – तमिलनाडु (FSO -TN) और DMK ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार के तमिलनाडु में आने पर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय मंत्री IIT मद्रास में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चेन्नई में हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ काले झंडे दिखाए।

परिसीमन क्या है?

परिसीमन का अर्थ है लोकसभा अथवा विधानसभा सीट की सीमा तय करने की प्रक्रिया। परिसीमन के लिए आयोग बनता है। पहले भी 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं।

लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से होगी। ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग 78 सीटों के इजाफे की संभावना है। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है। इसलिए सरकार समानुपातिक परिसीमन की तरफ बढ़ेगी, जिसमें जनसंख्या संतुलन बनाए रखने का फ्रेमवर्क तैयार हो रहा है।

कर्नाटक CM बोले- गृह मंत्री के बयान भरोसे लायक नहीं

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 27 फरवरी को कहा कि भाजपा दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह का बयान भरोसेलायक नहीं हैं। दरअसल शाह ने 26 फरवरी को कहा था कि परिसीमन की वजह से दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट कम नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री की बातों से ऐसा लगता है कि या तो उनके पास जानकारी का अभाव है या फिर कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश सहित साउथ के राज्यों को नुकसान पहुंचाने की जानबूझकर मंशा है।

परिसीमन का फ्रेमवर्क क्या होगा?

परिसीमन आयोग से पहले सरकार ने फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। प्रतिनिधित्व को लेकर मौजूदा व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं होगी, बल्कि जनसांख्यिकी संतुलन को ध्यान में रखकर एक ब्रॉडर फ्रेमवर्क पर विचार जा रहा है।

समानुपातिक प्रतिनिधित्व क्या होगा?

तमिलनाडु-पुडुचेरी में लोकसभा की 40 सीट है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान की 80 सीटों से 14 सीट बढ़ती हैं तो इसकी आधी अर्थात 7 सीट तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। अर्थात सीट बढ़ाने के लिए जनसंख्या ही एक मात्र विकल्प नहीं है।

आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्‌टी में बढ़ेंगी उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। किसी लोकसभा में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दूसरी जगह 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा।

अल्पसंख्यक बहुल सीटों का क्या होगा?

देश के 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20%से 97%तक है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर जनसांख्यिकी संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है।

महिला आरक्षण के बाद क्या होगा?

1977 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के बाद इसे डिफ्रीज करना लाजमी है। जनसंख्या वृद्धि दर में प्रभावी नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा।

कैसे शुरू हुआ ट्राई लैंग्वेज वॉर

धर्मेंद्र प्रधान ने 15 फरवरी को वाराणसी के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु की राज्य सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया था।

18 फरवरी को उदयनिधि स्टालिन बोले- केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें

चेन्नई में डीएमके की रैली में उदयनिधि स्टालिन ने कहा- ” धर्मेंद्र प्रधान ने हमें खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा जब हम तीन-भाषा फॉर्मूला स्वीकार करेंगे। लेकिन हम आपसे भीख नहीं मांग रहे हैं। जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं। केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें।

23 फरवरी को शिक्षा मंत्री ने स्टालिन को लेटर लिखा

ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा था। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की।

उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।’

धर्मेंद्र प्रधान ने अपने लेटर में मई 2022 में चेन्नई में पीएम मोदी के ‘तमिल भाषा शाश्वत है’ के बायन का जिक्र करते हुए लिखा- मोदी सरकार तमिल संस्कृति और भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मैं अपील करता हूं कि शिक्षा का राजनीतिकरण न करें।

25 फरवरी को एमके स्टालिन बोले- हम लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं

तमिलनाडु CM एमके स्टालिन ने कहा- केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो उनका राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है।

NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को 3 भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी 3 भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं।

प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में 3 भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।

गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा

5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।

किसी भाषा को अपनाना अनिवार्य नहीं

राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की स्वतंत्रता है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाएंगे। किसी भी भाषा को अनिवार्य रूप से थोपने का प्रावधान नहीं है।

……………………….

ये खबर भी पढ़ें…

तमिलनाडु CM बोले- हिंदी ने 25 भाषाओं को खत्म किया: यूपी-बिहार कभी हिंदी क्षेत्र नहीं थे; हिंदी मुखौटा और संस्कृत छुपा हुआ चेहरा

तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने गुरुवार को कहा कि जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। स्टालिन ने 27 फरवरी को X पर पोस्ट करते हुए कहा- एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई है। पूरी खबर पढ़ें…

सिद्धारमैया बोले- गृह मंत्री की बात भरोसे लायक नहीं:भाजपा परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि भाजपा दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह का बयान भरोसेलायक नहीं हैं। दरअसल शाह ने 26 फरवरी को कहा था कि परिसीमन की वजह से दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट कम नहीं होगी। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *