JDU ने वक्फ बिल संशोधन बिल पर मोदी सरकार का समर्थन किया है। इसके बाद से CM नीतीश कुमार की पार्टी में घमासान मचा हुआ है। बगावत शुरू हो गई है। बिल को समर्थन देने से नाराज 4 मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है।
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इनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव सिए मो. तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर से पार्टी सदस्य मो. दिलशान राईन , और खुद को मोतिहारी के ढाका विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी बताने वाले मोहम्मद कासिम अंसारी शामिल हैं।
दोनों ने वक्फ बिल पर समर्थन पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि पार्टी ने लाखों मुसलमानों का भरोसा तोड़ा है। हालांकि, पार्टी ने उनके दावों को खारिज करते हुए कहा है कि इनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।
इधर, बिल पर जदयू के समर्थन को लेकर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि- ‘नीतीश कुमार सेक्युलर थे, हैं और रहेंगे.. लेकिन पार्टी के नेता नहीं है। वो आरक्षण विरोधी हैं। उनका पार्टी पर कोई कंट्रोल नहीं है।’

मुस्लिम नेताओं में नाराजगी, बोले- नीतीश ने भरोसा तोड़ा
मोहम्मद कासिम अंसारी ने CM को लिखे पत्र में कहा, ‘वक्फ बिल पर समर्थन देकर JDU ने अपनी सेक्युलर छवि वाला भरोसा तोड़ा है। लाखों मुसलमानों का यकीन टूटा है। साथ ही लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के दिए भाषण से भी लोग आहत हुए हैं।’
वहीं, मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने कहा, ‘JDU के समर्थन से लाखों-करोड़ों मुस्लिमों को धक्का लगा है। ललन सिंह के बयान काफी दुख हुआ है। मैं कई साल तक इस पार्टी में रहा। लेकिन अब इस्तीफा दे रहा हूं।’

2 पूर्व MLC पहले ही जता चुके नाराजगी
कानूनी लड़ाई लड़ने की चेतावनी
एदारा-ए-शरिया के अध्यक्ष और JDU नेता पूर्व MLC मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने वक्फ बिल पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि-‘अब कम्युनल और सेक्युलर में कोई फर्क नहीं रह गया है। इदारे शरिया देश के सभी हाई कोर्ट में लीगल सेल की बैठक करेगी। इस पर जल्द फैसला लेगी। दीवार पर लिखने से नहीं दिमाग से काम लेना होगा।’

वक्फ बोर्ड की जमीन छीनने की कोशिश
वहीं, CM नीतीश कुमार के करीबी JDUयू MLC गुलाम गौस भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘BJP की सरकार हमेशा मुस्लिमों के खिलाफ ही काम करती है। इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की जमीन को छीनने की कोशिश की जा रही है। वक्फ के पास जो जमीन है, उससे मुसलमानों की भलाई के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं।’

बिहार में वक्फ की जमीन पर कई आवासीय विद्यालय बनाए गए हैं। जहां छात्र पढ़ते हैं। केंद्र सरकार ने पहले मौलाना आजाद फाउंडेशन का स्कॉलरशिप बंद किया। उसके बाद अल्पसंख्यकों के लिए बजट में कटौती की। मुसलमानों के लिए केंद्र सरकार ने पहले तीन तलाक, घर वापसी जैसे नियम बनाए। सिर्फ मुसलमानों में ही सुधार की जरूरत नहीं है। देश भर में 7 लाख एकड़ वक्फ की भूमि पर केंद्र की नजर है।
JDU बोली- पार्टी से लेना-देना नहीं
JDU की ओर से इन इस्तीफों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया है कि मोहम्मद कासिम अंसारी और नवाज मलिक पार्टी के किसी भी आधिकारिक पद पर नहीं हैं। पार्टी ने स्पष्ट किया कि इन दोनों नेताओं का JDU के संगठनात्मक ढांचे से कोई लेना-देना नहीं है।
जदयू के जिला अध्यक्ष मंजू देवी ने कहा है कि डॉ. कासिम अंसारी अब पार्टी के सदस्य नहीं हैं। कासिम अंसारी की एक तस्वीर साझा करते हुए ढाका प्रखंड अध्यक्ष नेहाल ने आरोप लगाया कि वे कांग्रेस नेताओं के साथ दिख रहे हैं। नेहाल ने कासिम अंसारी को जदयू की सदस्यता से जुड़े प्रमाण पेश करने की चुनौती भी दी।
बताया जा रहा है कि जदयू की टिकट पर उन्होंने कभी चुनाव लड़ा ही नहीं। डॉ. कासिम अंसारी ने राजनीति में अपनी पहचान बनाने के लिए पहले AIMIM का दामन थामा था, लेकिन जब वहां से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा। कासिम की जमानत जब्त हो गई थी।
चर्चा ये भी है कि अगर उन्हें पार्टी से इस्तीफा देना था तो जिला अध्यक्ष को सौंपना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसे सीधे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को संबोधित कर दिया।
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