High Court notice Mayor Raj rani Malhotra Seema Pahuja caste certificate | गुरुग्राम मेयर को जाति प्रमाणपत्र पर हाईकोर्ट का नोटिस: मेयर राजरानी की चुप्पी, सीमा बोली-मैं खुद कोर्ट गई हूं, अगली सुनवाई 22 मई को होगी – gurugram News

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गुरुग्राम में भाजपा प्रत्याशी राजरानी मल्होत्रा पौने दो लाख वोट से जीतकर मेयर बनी है।

गुरुग्राम नगर निगम की मेयर राजरानी मल्होत्रा के जाति प्रमाण पत्र संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से पिछड़ा वर्ग-ए की जाति का प्रमाण पत्र बनवा कर चुनाव लड़ा है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील न

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इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी। मेयर राजरानी मल्होत्रा और उनके पति तिलक राज मल्होत्रा ने अब इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार किया है। उनका कहना है कि अभी तक कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और आश्वास्त है कि वे सही है। उनका ये भी कहना है कि वे मीडिया में अभी कोई स्टेटमेंट नहीं देना चाहते हैं। वहीं सीमा पाहुजा का कहना है कि वे खुद भी कोर्ट गई हैं और भाजपा मेयर का जाति प्रमाण पत्र सही नहीं है।

गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा।

गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा।

एडीसी ने जारी किया प्रमाण पत्र

याचिकाकर्ता का दावा है कि राजरानी मल्होत्रा को पिछड़ा वर्ग-ए की जाति का प्रमाण पत्र 16 फरवरी को रविवार के दिन एडीसी द्वारा जारी किया गया। नियमों के अनुसार एडीसी इस तरह के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत नहीं है।

उन्होंने मांग की गई है कि भाजपा की राज रानी मल्होत्रा और कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहुजा को जारी की गई पिछड़ा वर्ग-ए की जाति प्रमाण पत्र को अवैध घोषित कर रद्द किया जाए, क्योंकि इन्हें कथित रूप से फर्जी और अवैध तरीके से जारी किया गया है।

सामान्य वर्ग से आती हैं मेयर!

याचिकाकर्ता यश प्रजापति के मुताबिक गुरुग्राम नगर निगम का मेयर का पद पिछड़ा वर्ग-ए के लिए आरक्षित था। दोनों ही उम्मीदवारों ने बीसी-ए श्रेणी के अंतर्गत मेयर पद के लिए नामांकन दाखिल किया था, जबकि वे वास्तव में खत्री जाति से हैं, जो सामाजिक रूप से सामान्य वर्ग में आती है, न कि हरियाणा सरकार द्वारा अधिसूचित बीसी-ए श्रेणी की सुनार या अन्य किसी पिछड़े वर्ग से।

सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप

उन्होंने दावा किया कि यह प्रमाण पत्र सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से, बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जाति की पुष्टि किए बिना जारी किए गए। याचिका में यह भी कहा गया है कि हरियाणा नगर निगम (संशोधन) अधिनियम 2023 के तहत राज्य के बीसी-ए वर्ग के नागरिकों को स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व देने का वैधानिक अधिकार मिला है, लेकिन जब ऐसे लोग, जो इस वर्ग के नहीं हैं, फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए चुनाव लड़ते हैं और पद हासिल करते हैं, तो इससे वास्तविक बीसी-ए वर्ग के लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है।

जिले के अधिकारियों को की थी शिकायत

उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने पर उन्होंने प्रमाण के साथ गुरुग्राम के अधिकारियों से मिलकर शिकायत दी थी। दोनों प्रत्याशियों के प्रमाण पत्र रद्द कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है और दोनों को मिले लाभ अब तक वापस नहीं लिए गए हैं।

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