क्राइम फाइल्स में आज 20 साल पुराना एक अनोखा केस। जोधपुर के डांगियावास इलाके के पीथावास में एक ट्रक जल रहा था। पुलिस की सूचना पर फायर बिग्रेड पहुंची और आग बुझाई। आग बुझने के बाद पुलिस ने जांच की तो ट्रक में 2 कंकाल मिले।
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पुलिस ने ट्रक के नंबर से डिटेल निकाली। ड्राइवर की शिनाख्त हो गई, लेकिन खलासी की नहीं हो पाई। आखिरकार पुलिस ने दोनों कंकाल ड्राइवर के परिजनों को सौंप दिए। मर्ग दर्ज कर फाइल बंद कर दी।
इस घटना के बीस साल बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच से आए एक कॉल ने पुलिस के होश उड़ा दिए। जोधपुर पुलिस जिसे मृत मानकर फाइल बंद कर चुकी थी, वह शख्स जिंदा निकला।
आखिर कौन था ये शख्स और क्या थी पूरी कहानी? जानने के लिए पढ़िए यह रिपोर्ट…

जोधपुर के डांडियावास इलाके में पुलिस को अल सुबह जलते ट्रक की सूचना मिली थी। (फोटो AI जनरेटेड)
1 मई 2004, जोधपुर, सुबह 4 बजे लोकसभा चुनाव का वक्त था। डांगियावास थाने में एक ग्रामीण ने सूचना दी कि थाने के सामने की ओर चार सौ मीटर की दूरी पर पीथावास फांटे पर एक ट्रक में आग लगी है।
थाने से दो काॅन्स्टेबल मौके पर पहुंचे। आग बुझाने की कोशिश की। ट्रक गत्तों से भरा था। ऐसे में आग तेज हो गई।
पुलिस ने फायर ब्रिगेड को सूचित किया गया। मौके पर पहुंची फायर बिग्रेड ने आग बुझाई। आग बुझने के बाद देखा तो ड्राइवर साइड में और उसके पास की सीट पर दो कंकाल पड़े थे। ड्राइवर और खलासी इस हादसे में जिंदा जल गए थे।
नंबर प्लेट से पता चला कि ट्रक दिल्ली में किसी बालेश कुमार के नाम से रजिस्टर्ड था। पुलिस ने डिटेल निकलवा कर बालेश कुमार के पिता से संपर्क किया।
बालेश के पिता, पत्नी व भाई जोधपुर पहुंचे। पिता ने बताया कि बालेश ने नेवी से रिटायर्ड होने के बाद ट्रक खरीदा। खुद ड्राइवरी करता था और माल की सप्लाई करता था। बालेश ही अपने खलासी के साथ माल सप्लाई के लिए दिल्ली से निकला था।
ड्राइवर की तो शिनाख्त हो गई थी, लेकिन खलासी के बारे में अब भी पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था। खलासी के बारे में जानकारी जुटाने जाेधपुर पुलिस दिल्ली पहुंची, लेकिन वहां भी कोई जानकारी नहीं मिली।
इधर बालेश के परिवार ने कहा कि खलासी के शव का भी वह अंतिम संस्कार कर देंगे। इस पर पुलिस ने दोनों कंकाल बालेश के परिजनों को सौंप दिया। मर्ग दर्ज कर फाइल बंद कर दी।

ट्रक दिल्ली के बालेश नाम के युवक का था। वह खुद अपना ट्रक चलाता था। खलासी के बारे में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला था। (फोटो AI से जनरेटेड)
2023 में आए एक कॉल से फिर खुला केस 2023 में तत्कालीन डीसीपी अमृता दुहन के पास दिल्ली क्राइम ब्रांच से एक कॉल आया। 2004 में डांगियावास में हुई ट्रक जलने की घटना का ब्योरा मांगा। डीसीपी ने तत्कालीन डांगियावास थानाधिकारी मनोज कुमार परिहार से ट्रक हादसे की डिटेल मांगी। डिटेल दिल्ली क्राइम ब्रांच को भेज दी गई।
तत्कालीन आईओ व थानाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि दिल्ली पुलिस से जानकारी मिली कि ट्रक में मिला कंकाल बालेश कुमार का नहीं था, वह तो जिंदा है।
खुद को मरा हुआ साबित करने के लिए उसने यह साजिश रची थी। वह एक कत्ल के आरोप में वांटेड था। खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए उसने ये साजिश रची।
वह दिल्ली के ट्रांसपोर्ट नगर से दो खलासी को साथ लेकर आया और जोधपुर के डांगियावास आकर यह साजिश रची।
मनोज परिहार ने पटियाला कोर्ट से तिहाड़ जेल में बंद बालेश से पूछताछ की परमिशन ली। पूछताछ में बालेश ने 2 लोगों की हत्या की बात कबूली। इसके बाद केस की फाइल को फिर ओपन किया गया। आरोपी बालेश को तिहाड़ जेल से प्रोटेक्शन वारंट पर जोधपुर लाया गया।

बालेश एक मर्डर केस में वांटेड था, इसी से बचने के लिए उसने अपनी मौत की कहानी रची।
बालेश और उसके घरवालों के खिलाफ दर्ज था मुकदमा पूछताछ में सामने आया कि मूलत: दिल्ली के उत्तम नगर का रहने वाले बालेश कुमार व उसके पिता चन्द्रभान सोनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। मामले में बालेश के भाई भीमसिंह, महेन्द्रसिंह व विशनलाल, पत्नी संतोष, साले निरंजन कुमार, सास मूर्तिदेवी, भाभी प्रेम व अनीता, ससुर किशनचंद को भी आरोपी बनाया गया है।
चूंकि ट्रक में जिंदा जले दो लोगों की शिनाख्त नहीं हुई ऐसे में थानाधिकारी मनोज कुमार ने बालेश के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया। वर्तमान में बालेश कुमार दिल्ली में हत्या व धोखाधड़ी के मामले में तिहाड़ जेल में बंद है।
- बालेश कुमार ने दो मर्डर क्यों किए?
- 20 साल तक कैसे वह पुलिस से बच कर दिल्ली में ही रह रहा था?
कल पार्ट–2 में पढ़िए इन सवालों के जवाब…
