राजस्थान के टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है। प्रदेश में 140 बाघ-बाघिन और शावक हैं। हर साल नए शावकों की क्वार्टर सेंचुरी लगने लगी है। पिछले साल सरिस्का, रणथंभौर, मुकंदरा, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 25 शावक जन्मे हैं। यही रफ्तार र
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सरिस्का में मई-जून में टाइगर की हाफ सेंचुरी पूरी होने की संभावना है। ऐसा सरिस्का अभयारण्य घोषित होने के बाद पहली बार होगा। ऐसे में मध्यप्रदेश से टाइगर सरिस्का लाने की भी जरूरत नहीं होगी। हाल में सरिस्का में टाइग्रेस ST-30 ने 3 शावकों को जन्म दिया था।
वहीं अब जंगल के आस-पास बसे गांवों का जल्द विस्थापन (शिफ्ट) किया जाएगा। सरकार ने 2002 के पैकेज के अनुसार- गांवों के विस्थापन पर सहमति दे दी है। ऐसा, प्रदेश में बाघों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए किया जाएगा।

सरिस्का, रणथंभौर से गांवों के विस्थापन, पैकेज, नए शावक और होटलों को लेकर वन राज्य मंत्री संजय शर्मा से दैनिक भास्कर ने बातचीत की। मंत्री ने क्या कहा, पढ़िए…
प्रदेश के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी
भास्कर- प्रदेश में टाइगर की संख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है?
वन मंत्री- राजस्थान में पिछले एक साल में रणथंभौर और सरिस्का में कुल 25 नए शावक जन्मे हैं। एक शावक की मृत्यु हुई है। अभी 4 दिन पहले सरिस्का, नाहरगढ़ और रणथंभौर में 10 शावक आए हैं। आगे भी नए शावक आएंगे। प्रदेश में 140 बाघ-बाघिन और शावक हैं।
भास्कर- आने वाले दिनों में क्या बड़ा बदलाव देखेंगे?
वन मंत्री- पहले, सरिस्का में बाहर से टाइगर लाने का सोचा था। अब यहां टाइगर की संख्या तेजी से बढ़ी है। करीब एक महीने में 6 से 7 टाइगर और आने वाले हैं। इससे करीब 50 टाइगर हो जाएंगे।
ऐसे में बाहर से टाइगर लाने की जरूरत नहीं है। बाघिन भी बहुत संख्या में हैं। उत्तराखंड और मध्यप्रदेश से आने वाले टाइगर को मुकंदरा और विषधारी अभयारण्य में भेजा जाएगा। गर्मी खत्म होने के बाद टाइगर और टाइग्रेस लाए जाएंगे।
भास्कर- क्या अब सरिस्का में टाइगर की संख्या ज्यादा है? इससे पहले कब संख्या ज्यादा रही थी?
वन मंत्री- सरिस्का में जब टाइगर की संख्या जीरो हो गई थी, उससे पहले सरिस्का में 44 से ज्यादा टाइगर थे। अब बहुत जल्द सरिस्का में टाइगर की संख्या 50 होने वाली है। रणथंभौर और सरिस्का में करीब-करीब बराबरी पर पहुंच गए हैं। अलवर शहर के पास बाला किला क्षेत्र में टाइगर और टाइग्रेस देखे जाते हैं।

सरिस्का के जंगल में टाइग्रेस एसटी-30 अपने तीन शावकों के साथ।
मंत्री बोले- जंगल के पास बसे गांवों का विस्थापन जरूरी
भास्कर- इतनी संख्या में टाइगर होने पर सरिस्का से गांवों के विस्थापन की कितनी जरूरत है?
वन मंत्री- टाइगर रिजर्व के आस-पास जंगलों में गांव बसे हुए हैं। टाइगर की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में गांवों का विस्थापन जरूरी हो गया है। रणथंभौर में 18 और सरिस्का में 16 गांवों का विस्थापन होना बाकी है।
ग्रामीणों से बार-बार समझाइश की जा रही है। ग्रामीणों की मांग है कि 2002 के अनुसार- विस्थापन का पैकेज मिले। इसको लेकर सीएम बजट में घोषणा की है।
अब सीएस लेवल पर पुराने विस्थापन को मंजूरी मिल सकती है। उस समय जो नाबालिग थे और अब बालिग हो गए, उनको भी लाभ मिलेगा। गांव वालों की इच्छा के अनुसार पैकेज देने के प्रयास हैं।
भास्कर- विस्थापित होने वाले परिवारों को जमीन कहां दी जाएगी?
वन मंत्री- सरिस्का में 700 से 800 परिवार अलग-अलग गांवों में रह रहे हैं। इतनी ही संख्या करीब रणथंभौर में हैं। हमें बड़ी जमीन चिह्नित करने की जरूरत है। किशनगढ़बास और तिजारा में जमीन ढूंढ़ी है। अलवर के अलावा कोटपूतली, दौसा और थानागाजी में भी जमीन चिह्नित की है। जहां गांव वालों की प्राथमिकता होगी, वहीं जमीन देने का प्रयास किया जाएगा।
भास्कर- सरिस्का में होटलों को लेकर दिक्कतें कायम हैं। सरिस्का का कैचमेंट एरिया तय नहीं हुआ है। ये असमंजस कैसे दूर होगा?
वन मंत्री- वन विभाग और पर्यटन एक-दूसरे के पूरक हैं। जो घूमने आएगा, वो होटलों में रुकेगा। सरिस्का वन क्षेत्र टहला के आस-पास अच्छे होटल हैं, लेकिन सरिस्का के सदर गेट की तरफ होटल नहीं हैं।
इसके लिए सरकार प्रयासरत है कि बड़े नामी होटल अलवर आएं। कुछ नियमों में भी शिथिलता देने के प्रयास हैं ताकि वन्यजीवों को भी परेशान न हो। अभी सीटीएच का निर्धारण होना है। उसके बाद यहां भी अच्छे होटल आ सकेंगे।

सरिस्का से टाइगर का होगा विस्थापन
भास्कर- अब सरिस्का से टाइगर और सरिस्का में बसे गांवों का विस्थापन होगा?
वन मंत्री- प्रदेश के टाइगर रिजर्व में हर दो साल में 50 से ज्यादा शावक जन्म लेंगे, जिसके कारण सरिस्का और रणथंभौर से टाइगर का विस्थापन करना जरूरी हो जाएगा। हम जल्द सरिस्का से टाइगर विस्थापन भी करने लगेंगे। पहले जंगल में बसे ग्रामीणों का विस्थापन किया जाएगा।
भास्कर- मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच कौनसा कॉरिडोर बन रहा है। उसकी क्या तैयारी चल रही है?
वन मंत्री- रणथंभौर के टाइगर एमपी तक जाते हैं। कूनो के चीते करौली तक आ जाते हैं। उसको लेकर सीएम भजनलाल ने एमपी सरकार के सीएम से बात की। दोनों सरकारों में मौखिक सहमति बनी कि कॉरिडोर बनाया जाए।
कॉरिडोर का रास्ता मुकंदरा, कोटा और एमपी को जोड़ते हुए बनेगा। एमओयू होना है और फाइल सीएमओ तक गई है। एमओयू होने के बाद पूरा कॉरिडोर बनेगा। इसके बाद चीता यहां तक आ सकेंगे और टाइगर उधर जा सकेंगे। दोनों सुरक्षित भी रहेंगे। टूरिस्ट भी चीता व टाइगर देख सकेंगे।
प्रदेश के टाइगर रिजर्व में हर दो साल में 50 से ज्यादा नए शावक जन्म लेंगे। सरिस्का और रणथंभौर से टाइगर का विस्थापन करना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद मुकंदरा व रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में तेजी से विस्थापन होगा। सरिस्का व रणथंभौर में 700 से ज्यादा परिवारों का विस्थापन भी जल्दी हो सकता है। अब सरकार ने 2002 के पैकेज के अनुसार विस्थापन करने पर सहमति दे दी है।

सरिस्का अभयारण्य में वन्यजीवों को खाद्य सामग्री डालने पर पाबंदी है। मानव दखल अधिक होने के कारण इस तरह की चेतावनी लगानी पड़ती है।

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सरिस्का टाइगर रिजर्व की ‘बाघिन ST-2’ के कारण ही आज सरिस्का बाघों से आबाद है। करीब 20 साल सरिस्का पार्क बाघों के शिकार के कारण बाघ विहीन हो गया था। पार्क में फिर से बाघों की दहाड़ गूंजे इसलिए टाइगर-टाइग्रेस के रिलोकेशन की प्लानिंग हुई। (पढ़ें पूरी खबर)