ढाका19 मिनट पहले
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मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट के डायरेक्टर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नाजिम-उद-दौला ने सोमवार को ढाका कैंट में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
बांग्लादेश की सेना ने देश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के तख्तापलट की अटकलों को अफवाह बताया है।
बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक सेना मुख्यालय के सीनियर अधिकारियों ने सोमवार को ढाका कैंट में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है और हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है।
दूसरी तरफ सेना ने रखाइन कॉरिडोर को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए समझौता नहीं करने की बात कही। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में सेना ने कहा,

गलियारा एक संवेदनशील मुद्दा है। बांग्लादेश की सेना कभी भी ऐसी किसी कार्रवाई में शामिल नहीं होगी जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो।
सरकार और सरकार में तकरार खुलकर सामने आई
बांग्लादेश में पिछले हफ्ते अंतरिम सरकार और सेना के बीच टकराव खुलकर सामने आया था। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमा ने 22 मई को सैन्य मुख्यालय में अपने अधिकारियों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए।
आर्मी चीफ ने चेतावनी दी कि यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लेने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे पर सेना मार्च से ही कह रही है कि हमारी सहमति के बिना इसे बनाना अवैध है।

म्यांमार सीमा पर गलियारा बनाने को लेकर सरकार-सेना में टकराव
दरअसल, बांग्लादेश में म्यांमार सीमा पर रखाइन जिले में मानवीय गलियारा बनाने की कथित योजना को लेकर सेना और सरकार आमने-सामने है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने घोषणा की थी कि अंतरिम सरकार ने अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर पर सहमति व्यक्त कर दी है।
जब यह बात सेना को पता चली तो उनकी तरफ से नाराजगी जताई गई। आर्मी चीफ वकार ने 21 मई को इसे खूनी कॉरिडोर बताया और अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो संप्रभुता के लिए हानिकारक हो। न ही किसी को ऐसा करने की इजाजत दी जाएगी।
इसके बाद यूनुस सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी देश के साथ म्यांमार सीमा पर रखाइन कॉरिडोर को लेकर समझौता नहीं किया है।
यूनुस बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार बने रहेंगे
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। इससे पहले माना जा रहा था कि वो राजनीतिक और सैन्य दबाव के चलते इस्तीफा दे सकते हैं।
मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद प्लानिंग एडवाइजर वाहिदुद्दीन महमूद ने कहा- मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हम लोगों को भी नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। न्यूज एजेंसी यूएनबी के मुताबिक सलाहकार परिषद की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी।
वहीं, सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने स्पष्ट रूप से दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनाव को लेकर चर्चा और सड़कों पर संघर्ष की रणनीतियां बन रही हैं।

यूनुस को अगस्त 2024 में हसीना के तख्तापलट के बाद चीफ एडवाइजर बनाया गया था।
खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं।
सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।
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