सोनिया गांधी IGMC अस्पताल में करीब 2 घंटे रहीं। चेकअप के बाद वह अपनी गाड़ी में रवाना हो गईं।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का शनिवार को अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ गया। इलाज के लिए उन्हें शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) अस्पताल में लाया गया। यहां डॉक्टरों की टीम ने उनकी जांच की।
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IGMC के सीनियर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राहुल राव ने कहा, “सोनिया गांधी रूटीन जांच के लिए आई थीं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की टीम ने उनके जरूरी टेस्ट किए। जांच के बाद वह अस्पताल से लौट गईं।
वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर नरेश चौहान ने कहा, सोनिया गांधी को कुछ मामूली स्वास्थ्य समस्याओं के कारण रूटीन जांच के लिए अस्पताल में लाया गया। उनकी हालत स्थिर है।
सोनिया गांधी 2 जून को ही शिमला आई थीं। वह यहां छराबड़ा में फार्म हाउस पर ठहरी हुई हैं। जबकि, उनकी बेटी प्रियंका गांधी उनसे 2 हफ्ते पहले ही यहां आ गई थीं।

शिमला में IGMC के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी।
गर्मियों में छुट्टी मनाने आता है गांधी परिवार प्रियंका गांधी का शिमला से 13 किलोमीटर दूर छराबड़ा में एक फार्महाउस है। यह घर पहाड़ी शैली में बनाया गया है। इंटीरियर में देवदार की लकड़ी से सजावट की गई है। मकान के चारों तरफ हरियाली और पाइन के खूबसूरत पेड़ हैं। सामने हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ नजर आते हैं। सोनिया, प्रियंका और राहुल गांधी अक्सर गर्मियों में छुट्टियां मनाने के लिए यहां आते हैं।

शिमला के छराबड़ा में प्रियंका गांधी का फार्म हाउस।
मार्च 2024 में भी बिगड़ी थी सोनिया की तबीयत मार्च 2024 में भी सोनिया गांधी को तबीयत बिगड़ने के चलते दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 76 साल की सोनिया को बुखार आने की वजह से एडमिट किया गया था। सोनिया का इलाज कर रहे डॉ. डीएस राणा ने बताया कि सोनिया सीनियर कंसल्टेंट की निगरानी में हैं। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। इसके पहले 5 जनवरी 2024 को भी उन्हें वायरल इन्फेक्शन के चलते दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में एडमिट होना पड़ा था।
सोनिया 2022 में कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थीं 12 जून 2022 को भी सोनिया गांधी को कोरोना होने के कारण गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 1 जून को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इससे पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था। लेकिन कोरोना के चलते तारीख बदल दी गई थी।

सोनिया गांधी के बारे में सबकुछ जानिए…
कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान हुई थी राजीव से मुलाकात सोनिया गांधी का पूरा नाम अन्टोनिया एड्विज अल्बीना मैनो है। 9 दिसंबर 1946 को इटली के लुसियाना में उनका जन्म हुआ। 1965 में ग्रीक रेस्तरां में राजीव गांधी से मुलाकात हुई थी, जो उस समय कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे। सोनिया वहां स्मॉल लैंग्वेज कॉलेज में पढ़ रही थीं।
इसके तीन साल बाद यानी 1968 में राजीव और सोनिया की शादी हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों अनुसार हुई। इसके बाद सोनिया भारत आकर ससुराल में अपनी सास और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ रहने लगी थीं। 1970 में राहुल और 1972 में प्रियंका का जन्म हुआ।
सोनिया और राजीव दोनों ही परिवार से जुड़े राजनीतिक करियर से दूर थे। राजीव पायलट थे और सोनिया घर में परिवार की देखभाल करती थीं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया इस दौरान जनता के संपर्क से बचती रहीं।

सन 1968 में राजीव और सोनिया की शादी हुई थी। इस तस्वीर में उनके साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (दाएं से पहले) भी हैं।
पति की हत्या के बाद भी सियासत से दूर ही रहीं राजीव गांधी की 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान बम ब्लास्ट के दौरान हत्या कर दी गई थी। तब भी सोनिया ने सियासत में रुचि नहीं ली। पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, लेकिन 1996 तक कांग्रेस कमजोर होने लगी थी। माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, ममता बनर्जी, जीके मूपनार, पी. चिदंबरम और जयंती नटराजन जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस के उस समय के अध्यक्ष सीताराम केसरी के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
पार्टी कई खेमों में बंट गई थी।कांग्रेस को एकजुट करने के लिए 51 वर्ष की उम्र में सोनिया 1997 में पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनीं और 62 दिन बाद ही 1998 में अध्यक्ष भी बन गईं। तब से 2017 तक वे पार्टी की अध्यक्ष बनी रहीं। यह एक रिकॉर्ड है। इस बीच, सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा गरमाया था। 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी। 1999 में ही सोनिया ने बेल्लारी (कर्नाटक) और अमेठी (उत्तरप्रदेश) से चुनाव लड़ा और दोनों जगह चुनाव जीता भी।
अंतरात्मा की आवाज पर प्रधानमंत्री पद ठुकराया
- 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तब कांग्रेस ने लेफ्ट सहित अन्य दलों को साथ लेकर यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस) बनाया। उन्होंने मनमोहन सिंह को जिम्मेदारी सौंपी। खुद प्रधानमंत्री न बनने पर उन्होंने कहा कि “मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी है।’
- 2004 में उन्होंने अमेठी सीट से अपने बेटे राहुल को चुनाव लड़वाया और खुद रायबरेली सीट पर शिफ्ट हो गईं। जहां से वह आज भी सांसद हैं। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे पर सोनिया ने 2006 में संसदीय सीट से इस्तीफा दिया और उपचुनाव में जीतकर भी आईं।
- सोनिया की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति के कहने पर ही सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) कानून लागू करने में अहम भूमिका निभाई।
- दो अक्टूबर 2007 को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जुलाई 2007 को प्रस्ताव पारित किया और यह दिन अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
- 2004, 2007, 2009 में सोनिया गांधी फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल रहीं। वह दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों में से एक थीं।
- 2009 के आम चुनावों में सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1991 के बाद पहली बार 200 से ज्यादा सीटें जीतीं और सत्ता में वापसी की। इस बार भी मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनाया गया।
- 2013 में सोनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर लगातार 15 साल रहने का रिकॉर्ड बनाया। 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन (44 सीटें) किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। 2024 में उन्होंने राज्यसभा सांसद की शपथ ली।
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