Saint Kabir’s teachings, kabir jayanti 2025, lesson of sant kabir about devotion, life management tips about work and worship | संत कबीरदास की सीख- काम और भक्ति में संतुलन बनाएं: काम के बीच भक्ति कैसे करें? कबीरदास ने पनघट से पानी भरकर लौटती महिला का उदाहरण देकर समझाया

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10 घंटे पहले

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बुधवार, 11 जून को संत कबीर की जयंती है। संत कबीर के कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतार लेने से हमारी कई समस्याएं आसानी से खत्म हो सकती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर लोग भक्ति नहीं कर पाते हैं। दैनिक कामों के साथ भक्ति कैसे की जा सकती है, ये हम संत कबीरदास की एक कहानी से सीख सकते हैं। जानिए ये कहानी…

संत कबीरदास कपड़ा बुनने का काम करते थे। वे सुबह से शाम तक काम करते रहते थे, लेकिन साथ ही भगवान का स्मरण भी करते रहते थे। उनका हर पल भक्ति से जुड़ा हुआ था।

एक बार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि आप भक्त हैं, लेकिन सारा दिन तो कपड़ा ही बुनते रहते हैं तो भक्ति कब करते हैं?

कबीर मुस्कुराए और बोले आओ, तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर थोड़ा टहलते हुए देता हूं।

वह व्यक्ति और कबीरदास जी पैदल-पैदल चल दिए। रास्ते में उन्होंने एक महिला को देखा जो पनघट से पानी भरकर लौट रही थी। उसके सिर पर पानी से भरा घड़ा था, वह मस्ती में गीत गा रही थी, और घड़ा न तो गिर रहा था न ही पानी छलक रहा था।

संत कबीर ने कहा कि इस महिला को देखो, उसका ध्यान घड़े पर भी है, रास्ते पर भी और गाने पर भी। यही तरीका मेरा भी है। मैं काम में भी लगा हूं और मेरा ध्यान ईश्वर पर भी है।

कहानी की सीख: जीवन में संतुलन जरूरी है

कबीरदास की ये सीख आज भी हमारे काम की है। ये बताती है कि जीवन केवल धन कमाने या केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। इन दोनों का संतुलन ही जीवन को सुखी और शांत बना सकता है। जीवन में संतुलन बनाना चाहते हैं तो ये 5 टिप्स अपना सकते हैं…

  • अलग-अलग बातों के साथ मन को एकाग्र रखें – जैसे वह महिला घड़ा, रास्ता और गाना, इन तीनों बातों पर ध्यान दे रही थी, वैसे ही हम भी अलग-अलग काम करते हुए मन को एकाग्र रख सकते हैं।
  • दैनिक कामों के साथ ही भक्ति भी करें – काम के साथ-साथ मानसिक शांति के लिए ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए। जैसे सुबह के समय मंत्र, भजन या श्लोक सुनते हुए घर के काम कर सकते हैं।
  • ध्यान करें – रोज कुछ देर ध्यान या प्रार्थना से मानसिक ऊर्जा बनी रहती है, जिससे आप बेहतर ढंग से कार्य कर सकते हैं।
  • काम को भी साधना मानें – कबीरदास जी की तरह अपने काम को भी पूजा समझें। ऐसा करने से काम में मन लगा रहेगा और काम बोझ नहीं लगेगा।
  • कार्य और भक्ति में संतुलन बनाएं – भक्ति के लिए अपने कार्य छोड़ना जरूरी नहीं है, हमें सिर्फ अपने काम और भक्ति में संतुलन बनाने की जरूरत है।

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