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12 घंटे पहले
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हम सब अपने अनुभव से, शिक्षा से और गुरुजनों से नया ज्ञान हासिल करते रहते हैं, लेकिन ज्ञान की किसी बात को सिर्फ जान लेना काफी नहीं है। जब तक हम ज्ञान का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब तक हमें लाभ नहीं मिलेगा। कुछ लोग ज्ञान को सहेज लेते हैं, जैसे कोई बेशकीमती चीज हो, उसका सही जगह इस्तेमाल नहीं करते हैं और सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। ये बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं…
लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत के दो शिष्यों की शिक्षा पूरी हो गई थी। गुरु ने दोनों शिष्यों को थोड़े-थोड़े गेहूं दिए और कहा – इन्हें संभालकर रखना। एक साल बाद मैं लौटूंगा। ध्यान रखना, गेहूं खराब नहीं होने चाहिए।
दोनों शिष्यों को गेहूं देकर गुरु वहां से आगे बढ़ गए। अब दोनों शिष्यों ने गुरु के दिए हुए ज्ञान और आदेश दो अलग-अलग तरीकों से अपनाया।
पहला शिष्य – पूजा में विश्वास रखने वाला था। उसने गेहूं एक सुरक्षित डिब्बे में रख दिए। रोज उसकी पूजा करने लगा, जैसे गुरु का प्रसाद हो।
दूसरा शिष्य – पहले शिष्य से थोड़ा समझदार था। उसने गेहूं खेत में बो दिए। गेहूं बोए, सींचे, मेहनत की और जब फसल आई, तो उसके पास पहले से कई गुना ज्यादा गेहूं थे।
एक साल बाद… दोनों शिष्यों के पास गुरु लौट आए।
गुरु को देखते ही पहला शिष्य वह डिब्बा ले आया, जिसमें उसने गेहूं रखे थे। गुरु ने डिब्बा खोला तो उसमें रखे गेहूं सड़ चुके थे, कीड़े लग चुके थे।
दूसरा शिष्य गेहूं से भरा थैला ले आया, ये देखकर गुरु मुस्कराए। उन्होंने कहा कि जिसने बोया, उसने पाया। जिसने बस संभाला, उसने खोया। ज्ञान भी ऐसा ही है। जब तक तुम उसे अपने काम में नहीं उतारते, वो सड़ने लगता है। ज्ञान को प्रयोग में लाओ, तभी वह जीवित रहता है और तब वह तुम्हें भी जीवित और सफल बनाए रखता है।
इस कथा की सीख
- ज्ञान कोई बर्तन में रखा प्रसाद नहीं है, जो बस सजाकर रखा जाए। ज्ञान एक बीज की तरह है। अगर हम किसी बीज को जमीन में नहीं डालते हैं तो वह कभी अंकुरित नहीं होगा। पूजा अच्छी है, पर बुद्धि का इस्तेमाल करना भी जरूरी है।
- सच्चा शिष्य वो नहीं, जो गुरु की बात बस याद रख ले, सच्चा शिष्य वो है जो गुरु की बातें समझकर अपने जीवन में उतारता है।
- ध्यान रखें – कोरा ज्ञान बोझ होता है। उपयोग किया गया ज्ञान, ताकत बनता है। बांटा गया ज्ञान प्रकाश बनता है। आपके पास जो ज्ञान है, वो सिर्फ आपके लिए नहीं है। उसे दुनिया को दो। अपने कर्म में अपनाओं। क्योंकि गेहूं डिब्बे में रहेगा, तो सड़ेगा और खेत में जाएगा, तो बढ़ेगा। ज्ञान खुद तक रहेगा तो नष्ट हो जाएगा, दूसरों के साथ ज्ञान बंटेगा तो बढ़ता रहेगा।