छात्र ने एक्स. पर पोस्ट की थी अपनी आपबीती।
प्रयागराज के MNNIT (मोतीलाल नेहरू नेहरू प्रोद्यौगिकी संस्थान) के एमटेक छात्र कुलदीप श्रीवास्तव ने एचओडी व अन्य कर्मचारियों पर नंगा करने व गोली चलाने के आरोप लगाए थे। यह आरोप उसने डायरेक्टर को मेल के जरिए भेजी थी। आज तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिप
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वहीं, दूसरी ओर पीड़ित छात्र कुलदीप श्रीवास्तव ने जांच कमेटी पर सवाल उठाए। उसने कहा कि कमेटी ने मुझसे पूछताछ के लिए बुलाया तक नहीं। न ही मेरी बात सुनी गई है। मेरा बयान तक जांच कमेटी ने नहीं लिया तो जांच कैसे हो गई?
कुलदीप ने कहा, यदि उसने जो आरोप HOD व अन्य पर लगाए हैं उसमें एक भी झूठा निकला तो मैं खुद थाने पर अपने खिलाफ FIR दर्ज कराऊंगा। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान पीड़ित छात्र कुलदीप ने बताया कि मुझे और मेरे परिजनों को अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दी रही है। मुझे प्रलोभन भी दिया जा रहा है। मैं अकेले ही आवाज उठाऊंगा इसका परिणाम चाहे जो हो। कहीं न कहीं छात्र ने जो आरोप लगाए हैं वह सही है। लेकिन इस बात को संस्थान की ओर से दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
“HOD के चेंबर की CCTV से सब साफ हो जाएगा”
कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, HOD वीएस त्रिपाठी ने मुझे कॉल करके बुलाया था और RTI वापस लेने के लिए दबाव बना रहे थे। दरअसल, छात्र कुलदीप श्रीवास्तव ने RTI के जरिए संस्थान से जुड़े कई अहम सवाल पूछे थे। इसी बात से HOD आदि नाराज थे। आरटीआई वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। एचओडी ने रिकार्डिंग करने के संदेह पर उसके सारे कपड़े उतरवा दिए। उसने संस्थान के डायरेक्टर को मेल के जरिए यह शिकायत की तो मामले में जांच के लिए कमेटी बना दी गई।
इस पर कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, यदि HOD के चेंबर की CCTV की जांच कराई जाए तो सब स्पष्ट हो जाएगा। उसमें साफ दिख जाएगा कि मेरे साथ क्या किया गया है। मेरे मोबाइल और लैपटाप घंटों तक किसके पास जमा था यह पता नहीं। उसमें से काफी साक्ष्य डिलीट करने का प्रयास भी किया गया।
जानिए, छात्र कुलदीप ने क्या आरोप लगाए
एमटेक (संचार प्रणाली) के छात्र कुलदीप श्रीवास्तव मूलत: वाराणसी जनपद के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने एक्स. पर भी पोस्ट करके न्याय की गुहार लगाई है। लिखा, 24 जून को सुबह 10.26 बजे मुझे लैब अटेंडेंट अजय शर्मा और फिर ईसीईडी के विभागाध्यक्ष का कॉल आया। मुझे कार्यालय आकर रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। जब मैं विभागाध्यक्ष के केबिन में प्रवेश किया तो कई लोग मौजूद थे। बिना मेरी सहमति के मेरे बैग की तलाशी ली गई और रिकार्डिंग डिवाइस रखने के संदेह पर मेरे सारे कपड़े उतरवा दिए गए।
इतना ही नहीं, एचओडी ने मेरी कनपटी पर साइलेंसर लगी रिवाल्वर भी लगा दी। भागने का प्रयास किया तो गोली चला दी। डॉ. धर्मेंद्र दीक्षित व प्रो. बसंत कुमार ने बीच बचाव कर लिया और केबिन खोलने में सफल रहा। मुझे प्रो. बसंत कुमार के केबिन में ले जाया गया ताकि मैं ठीक हो जाऊं। इसके पहले 23 जून को भी मुझे एचओडी के कमरे में बुलाकर आरटीआई वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया था। धमकी दी गई कि यदि आरटीआई वापस नहीं लेते हो तो कारण बताओ नोटिस जारी की जाएगी और बर्खास्तगी की जाएगी।
रजिस्ट्रार रमेश पांडेय का कहना है कि तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। कमेटी ने एक जुलाई को अपनी रिपोर्ट दे दी है जिसमें सभी आरोप गलत पाए गए हैं।