Delhi Judge Yashwant Varma Cash Controversy; Supreme Court | Kapil Sibal | कैश कांड केस-जस्टिस वर्मा की याचिका पर आज फिर सुनवाई: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था- आप जांच कमेटी के सामने क्यों पेश हुए

Actionpunjab
8 Min Read


  • Hindi News
  • National
  • Delhi Judge Yashwant Varma Cash Controversy; Supreme Court | Kapil Sibal

नई दिल्ली9 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। - Dainik Bhaskar

जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।

सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई होगी। याचिका में इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने की अपील की गई है। रिपोर्ट में घर में कैश मिलने के मामले में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया है।

28 जुलाई को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से पूछा था, ‘आप जांच कमेटी के सामने क्यों पेश हुए। क्या आपने पहले वहां से फैसला अपने हक में लाने की कोशिश की’। वहीं, जस्टिस वर्मा की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील रखी।

यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।

यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।

जस्टिस वर्मा की अपील- जल्द से जल्द बेंच गठित करें इससे पहले जस्टिस वर्मा की ओर से 23 जुलाई को हुई सुनवाई में कहा गया था कि इसमें कुछ संवैधानिक मुद्दे हैं। कृपया जल्द से जल्द बेंच गठित करें। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले पर सुनवाई के लिए नई बेंच गठित करेंगे।

दूसरी तरफ, संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही भी शुरू हो गई है। जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए 152 सांसदों ने 21 जुलाई को लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला को ज्ञापन सौंपा। राज्यसभा में 50 से ज्यादा सांसदों ने प्रस्ताव पर साइन किए।

वहीं, सुनवाई से चीफ जस्टिस बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया है। उनका कहना है कि मेरे लिए इस केस की सुनवाई में शामिल होना उचित नहीं होगा, क्योंकि मैं पहले भी इसका हिस्सा रहा हूं।

याचिका में जस्टिस वर्मा बोले- घर से नोट मिलना साबित नहीं करता कि ये मेरे थे 18 जुलाई को जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने तर्क दिया था कि उनके आवास के बाहरी हिस्से में कैश बरामद होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि वे इसमें शामिल हैं, क्योंकि आंतरिक जांच समिति ने यह तय नहीं किया कि नकदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली।

समिति के निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए उनका तर्क दिया है- ये अनुमान पर आधारित है। याचिका में जस्टिस वर्मा का नाम नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट डायरी में इसे ‘XXX बनाम भारत सरकार व अन्य’ के टाइटल से दर्ज किया गया है।

जस्टिस वर्मा ने 5 सवालों के जवाब मांगे जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में 5 सवालों के जवाब मांगे हैं, साथ ही 10 तर्क दिए हैं, जिनके आधार पर जांच समिति की रिपोर्ट रद्द करने की मांग और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

जस्टिस वर्मा ने याचिका में कहा है कि नोटों की बरामदगी पर समिति को इन 5 सवालों के जवाब देने चाहिए थे-

  1. बाहरी हिस्से में नकदी कब, कैसे और किसने रखी?
  2. कितनी नकदी रखी गई थी?
  3. नकदी असली थी या नहीं?
  4. आग लगने का कारण क्या था?
  5. क्या याचिकाकर्ता किसी भी तरह से 15 मार्च 2025 को ‘बची हुई नकदी’ को ‘हटाने’ के लिए जिम्मेदार था?

याचिका में जस्टिस वर्मा के 10 तर्क…

  • राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई महाभियोग सिफारिश अनुच्छेद 124 और 218 का उल्लंघन है।
  • 1999 की फुल कोर्ट बैठक में बनी इन-हाउस प्रक्रिया सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था है, न कि संवैधानिक या वैधानिक। इसे न्यायाधीश को पद से हटाने जैसे गंभीर निर्णय का आधार नहीं बनाया जा सकता।
  • जांच समिति का गठन बिना औपचारिक शिकायत के सिर्फ अनुमानों और अप्रमाणित जानकारियों से किया। यह इन-हाउस प्रक्रिया के मूल उद्देश्य के ही खिलाफ है।
  • 22 मार्च 2025 को प्रेस विज्ञप्ति में आरोपों का सार्वजनिक उल्लेख किया। इससे मीडिया ट्रायल शुरू हो गया और उनकी प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचा।
  • न साक्ष्य दिखाए, न आरोपों के खंडन करने का मौका दिया। मुख्य गवाहों से मेरी अनुपस्थिति में पूछताछ हुई। CCTV फुटेज को सबूत के तौर पर नहीं लिया गया।
  • समिति ने नकदी किसने रखी, वह असली थी या नहीं, आग कैसे लगी जैसे मूल प्रश्नों को अनदेखा किया।
  • समिति की रिपोर्ट अनुमानों और पूर्व धारणाओं पर आधारित थी, न कि किसी ठोस सबूत पर। यह गंभीर कदाचार सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त है।
  • जांच रिपोर्ट मिलने के कुछ ही घंटों में तत्कालीन चीफ जस्टिस ने इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने की चेतावनी दी। पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया।
  • पिछले मामलों में न्यायाधीशों को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका मिला था। इस मामले में परंपरा की अनदेखी हुई।
  • रिपोर्ट गोपनीय बनाए रखने के बजाय उसके अंश मीडिया में लीक और तोड़-मरोड़ कर दिए गए, जिससे छवि खराब हुई जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकेगी।

संसद में आएगा महाभियोग प्रस्ताव

लोकसभा में 145 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के संबंध में स्पीकर ओम बिरला को याचिका सौंपी।

लोकसभा में 145 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के संबंध में स्पीकर ओम बिरला को याचिका सौंपी।

21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी है। सभी पार्टियों से बात हो चुकी है और संसद की राय एकजुट है।

रिजिजू ने आगे बताया कि लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की है। जिन पार्टियों के सिर्फ एक-एक सांसद हैं, उनसे भी बात करूंगा, ताकि संसद का यह रुख सर्वसम्मति वाला हो।

अब 3 स्लाइड में जस्टिस वर्मा कैश केस का पूरा मामला समझिए…

——————————-

जस्टिस वर्मा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

जस्टिस वर्मा को सरनेम से बुलाने पर वकील को फटकार:सुप्रीम कोर्ट बोला- क्या वे आपके दोस्त हैं, मर्यादा में रहिए; जस्टिस के खिलाफ महाभियोग आएगा

सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके सरनेम से संबोधित करने पर एक वकील को फटकार लगाई। दरअसल, वकील मैथ्यूज नेदुम्परा जस्टिस वर्मा को सिर्फ वर्मा कहकर संबोधित कर रहे थे। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *