Assam Miya-Land; BJP Vs Congress | Bengali Muslim Family Population | BJP नेता बोले- असम कभी मिया लैंड नहीं बनेगा: बंगाली मूल के मुसलमानों ने हिंदुओं को अल्पसंख्यक बना दिया; यहां मूल निवासी खतरे में

Actionpunjab
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गुवाहाटी38 मिनट पहले

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असम की कुल आबादी 3.66 करोड़ है। इनमें 1.17 करोड़ के आसपास मुस्लिम हैं। सरकार का कहना है कि इनमें 42 लाख ही स्वदेशी हैं। - Dainik Bhaskar

असम की कुल आबादी 3.66 करोड़ है। इनमें 1.17 करोड़ के आसपास मुस्लिम हैं। सरकार का कहना है कि इनमें 42 लाख ही स्वदेशी हैं।

असम प्रदेश भाजपा ने एक में कहा है कि CM हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार मिया लैंड बनाने के सपने को कभी साकार नहीं होने देगी। बंगाली मूल के मुसलमानों के अवैध कब्जे वाली हर जमीन को मुक्त कराना और हर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए को असम से बाहर निकालना भाजपा की पहली और असली जिम्मेदारी है।

प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता किशोर कुमार उपाध्याय ने कहा कि पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमानों के आक्रमण के कारण, असम के कई जिलों में मूल निवासी आबादी पहले से ही गंभीर खतरे में है। इसी का फायदा उठाते हुए अशरफुल हुसैन और विधायक शेरमन अली मिया संग्रहालय की मांग के साथ मियालैंड एजेंडे को बढ़ा रहे हैं।

भाजपा ने कांग्रेस को इसके लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि उसके शासन के दौरान एक करोड़ से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक राज्य में आए। लंबे समय से चली आ रही उनकी कोशिश को किसी भी हालत में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

भाजपा ने दिया जनगणना के आंकड़ों का हवाला

जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उपाध्याय ने बताया कि धुबरी जिले में मुस्लिम आबादी 1991 में 9.38 लाख से बढ़कर 2011 में 15.53 लाख से ज्यादा हो गई। यानी कुल 6.14 लाख की वृद्धि, जबकि इसी दौरानहिंदुओं की आबादी में सिर्फ 5,563 की वृद्धि हुई।

उन्होंने दावा किया कि बारपेटा जिले में 1991 और 2011 के बीच हिंदुओं की आबादी में लगभग 65,000 की गिरावट आई, जबकि मुसलमानों की आबादी में 4.21 लाख से ज्यादा की वृद्धि हुई।

क्या है मिया, मियालैंड, और मिया संग्रहालय, जिस पर विवाद हो रहा

असम के शिबसागर, बरपेटा जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में मिया मुसलमान परिवार रहते हैं। कहा जाता है कि ये लोग बाढ़, नदी कटाव के चलते सालों पहले यहां आकर बसे। स्थानीय लोग अक्सर यह सवाल उठाते हैं कि क्या वे असम के मूल निवासी हैं। कहीं-कहीं उन्हें 10 दिन में राज्य छोड़ने की धमकी तक दी गई है।

लंबी दाढ़ी, टोपी, लुंगी वाले लोग ‘मियां’: निचले असम या ब्रह्मपुत्र तट पर बसे करीब 70 लाख मुस्लिम बांग्ला भाषी हैं। नदी ही इनके गुजर-बसर का एकमात्र जरिया है। निचले असम में किसी भी मुस्लिम बहुल गांव में प्रवेश करते ही अधिकांश लोगों के चेहरे पर लंबी दाढ़ी, सिर पर जालीनुमा टोपी, लुंगी और कुर्ता नजर आने लगेगा। इनकी असमिया बोली में बंगाली लहजा मिलेगा।

विधायक शेरमन अली और कार्यकर्ता अशरफुल हुसैन जैसे लोग मिया कविता जैसी विवादास्पद सांस्कृतिक पहलों और श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में मिया संग्रहालय की मांग कर रहे हैं।

5 समुदायों को ही असमिया माना, बाकी बांग्ला भाषी

असम सरकार ने पांच समुदायों गोरिया, मोरिया, जोलाह, देसी और सैय्यद को ही स्वदेशी माना है। इनकी बसाहट ऊपरी असम यानी चाय बागानों के आसपास है। इनका बांग्लादेश से रिश्ते का कोई ​इतिहास नहीं है। मोरिया पिछड़े वर्ग से हैं। देसी कोच राजवंशी आदिवासी थे, जो वर्षों पहले धर्म बदलकर मुसलमान बने, इसलिए इन्हें असमिया ही मानते हैं।

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