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देहरादून24 मिनट पहले
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धराली पहुंचने वाले रास्ते में 4 जगह लैंडस्लाइड हुआ है। सड़क खोलने में 3-4 दिन और लग सकते हैं।
उत्तरकाशी के धराली गांव में हुए हादसे को 64 घंटे से भी ज्यादा समय हो गया। तीसरे दिन भी संसाधन नहीं पहुंचने की वजह से मलबे में दबे 60 से ज्यादा लोगों की तलाश अब तक शुरू नहीं हो पाई है। पूरी तरह से रेस्क्यू शुरू होने में 4 दिन और लग सकते हैं।
धराली गांव के 80 एकड़ में 20 से 50 फीट तक मलबा फैला है। इसे हटाने के लिए सिर्फ 3 जेसीबी मशीनें हैं। मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश के लिए हाईटेक थर्मल सेंसिंग उपकरण और बड़ी मशीनें चाहिए, लेकिन ये सामान 60 किमी दूर भटवाड़ी में 2 दिन से अटका हुआ है।
उत्तरकाशी से गंगोत्री तक एक ही सड़क है, जो धराली से गुजरती है। हर्षिल से धराली की 3 किमी की सड़क 4 जगह पर 100 से 150 मीटर तक खत्म हो चुकी है। भटवाड़ी से हर्षिल तक तीन जगह लैंडस्लाइड और एक पुल टूटा है। ऐसे में धराली तक सड़क खुलने में 3-4 दिन और लग सकते हैं।
उत्तरकाशी जिले के धराली में मंगलवार 5 अगस्त को दोपहर 1.45 बजे बादल फट गया था। गंगोत्री के पहाड़ों से बहने वाली खीर गंगा नदी में बाढ़ आ गई। तेज रफ्तार पानी के साथ आए मलबे ने 34 सेकेंड में धराली गांव को जमींदोज कर दिया था।
धराली में हुए हादसे की तस्वीर…

मैप से समझिए घटनास्थल को…

धराली हादसे पर प्रशासन और रेस्क्यू टीम के 4 अपडेट
- एसडीआरएफ कमांडर अर्पण यदुवंशी ने बताया कि मलबे में फंसे लोगों को निकालने का अभियान शुरू नहीं हो पाया है। हर्षिल घाटी में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल कर दी है।
- एसडीआरएफ आईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि धराली में 20 से 60 फीट ऊंचा मलबा है और इसके नीचे भी भी 60 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं।
- बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर ले. जनरल रघु श्रीनिवासन ने बताया कि 4 बड़े भूस्खलन और एक टूटे पुल को दुरुस्त कर धराली तक सड़क खोलने में 3-4 दिन और लग सकते हैं।
- प्रोजेक्ट शिवालिक के मुख्य अभियंता केबी नागराजा कुमार ने बताया कि एक छोटा पुल बह गया है। शुक्रवार शाम तक नया पुल शुरू कर पाएंगे। फिर भी धराली तक पहुंचने में 4 दिन लग जाएंगे।
आर्मी-NDRF ने 2 दिन में 307 पर्यटकों को निकाला

हर्षिल और गंगोत्री के बीच में फंसे लोगों को चिनूक हेलीकॉप्टर से जौलीग्रांट लाया गया है।
धराली में हादसे वाले दिन वक्त हर्षिल से गंगोत्री तक करीब 500 पर्यटक थे। बीते दो दिन में सेना और NDRF ने फंसे 307 पर्यटकों को हेलीकॉप्टर के जरिए निकाला। इनमें 131 गुजरात, 123 महाराष्ट्र, 21 मप्र, 12 यूपी, 6 राजस्थान, 28 केरल, 5 कर्नाटक, 3 तेलंगाना के हैं।
सेना बोलीं-रेस्क्यू के लिए मशीनों की कमी गुरुवार को एक जनरेटर देहरादून से चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए हर्षिल पहुंचाया गया। धराली में मशीनों का इंतजार कर रहे सेना की 2 इंजीनियर रेजिमेंट के कैप्टन गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 5 अगस्त को बादल फटने के बाद जवान 15 से 20 मिनट में यहां पहुंच गए थे। सभी तकनीकी विशेषज्ञ हैं, लेकिन मशीनें नहीं हैं। हम मौजूदा संसाधनों से ही काम चला रहे हैं। 250 से 300 सैन्यकर्मी और अन्य जवान रेस्क्यू में जुटे हैं। हमारा लक्ष्य एक हफ्ते में हर फंसे हुए व्यक्ति को बचाना है।

धराली की तरफ जाने वाले रास्ते पर काम जारी है। रास्ता ठीक होने पर राहत-बचाव काम में तेजी आ जाएगी।
बद्रीनाथ के लिए पंजीकरण रोके, केदारनाथ यात्रा भी रुकी धराली हादसे के बीच उत्तराखंड सरकार ने धराली आपदा और मानसून के सक्रिय होने के चलते बद्रीनाथ धाम यात्रा के पंजीकरण गुरुवार को रोक दिए गए। वहीं, केदारनाथ यात्रा तीसरे दिन भी शुरू नहीं हो सकी। करीब पांच हजार यात्री फाटा से सोनप्रयाग के बीच रुके हुए हैं। मध्यमहेश्वर यात्रा भी गौड़ार के पास रोक दी गई है।
धराली गांव के घर मलबे में डूब गए हैं…

अधिकारियों ने बताया कि अभी भी मलबे में करीब 150 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं।

धराली में तबाही के बाद का ड्रोन वीडियो।