Aam Aadmi Party Anurag Dhanda Statement Haryana Land Pooling Policy Update | आप नेता ने हरियाणा सरकार पर उठाए सवाल: बाेले – किसानों की जमीन पर डाका, ई-भूमि पोर्टल बना लूट का जरिया – New Delhi News

Actionpunjab
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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा जानकारी देते हु।

हरियाणा की बीजेपी सरकार अब सिर्फ किसानों की जमीन नहीं छीन रही, बल्कि उनकी पहचान, उनकी आजीविका और उनकी पीढ़ियों का हक भी निगलने पर आमादा है। ई-भूमि पोर्टल के जरिए जो कागजी विकास की स्कीम चलाई जा रही है, असल में वो दलालों और बिल्डर लॉबी के लिए खुला लूट

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जमीनों को सर्कल रेट से भी नीचे खरीदने

बीजेपी सरकार ने जिस बेरहमी से किसानों की जमीनों को सर्कल रेट से भी नीचे खरीदने का षड्यंत्र रचा है, वो इस बात का सुबूत है कि उन्हें न किसान की चिंता है, न खेत की, और न ही हरियाणा की कृषि संस्कृति की। सरकार खुद दलालों को इनाम देकर किसानों को बरबादी की ओर धकेल रही है, ये सरकार नहीं, जमीन हड़पने का कारख़ाना बन चुकी है।

10 एकड़ से कम ज़मीन रखने वाले 90 फीसदी किसानों को इस नीति से बाहर करके, उन्हें जानबूझकर दलालों के हवाले कर दिया गया है। ज़मीन तो ली जा रही है, लेकिन न मुआवज़ा वाजिब है, न प्रक्रिया पारदर्शी। किसान को सिर्फ सर्कल रेट पर धकेला जा रहा है जबकि बाजार रेट उससे तीन से चार गुना ज़्यादा है। मुआवजे के नाम पर सरकार झूठ परोस रही है और ज़मीन के असली हकदार को ठगने का काम कर रही है।

आम आदमी द्वारा द्वारा शेयर की गई जानकारी

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बडे़ लोगों ने खरीदी है जमीन

जिन इलाकों में ई-भूमि पोर्टल के जरिए नीति लाई जा रही है, वहां पहले से बीजेपी के मंत्रियों और बड़े नेताओं ने सैकड़ों एकड़ ज़मीन खरीद रखी है। क्या ये सिर्फ संयोग है या सत्ता का दुरुपयोग? जब किसान अपनी ज़मीन बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा,

तो सबसे पहले उन्हीं नेताओं की जेबें भरेंगी जिन्होंने नीति लागू होने से पहले ही जमीनें खरीद लीं। ये सिर्फ नीति नहीं, पूरी सत्ता संरचना को चौराहे पर खड़ा करके किसानों की लाशों पर कारोबार करने का मॉडल है। मुख्यमंत्री नायब सिंह पूरे प्रदेश को एक कॉरपोरेट प्रोजेक्ट में बदलने की हड़बड़ी में हैं। उन्हें न गांव बचाने की चिंता है,

न किसान की पुकार सुनने की फुर्सत। किसान अगर चुप है तो मजबूरी में, लेकिन बीजेपी की ये लूट ज्यादा दिन नहीं चलने वाली। ये वही सरकार है जो तीन काले कृषि कानूनों के ज़रिए दिल्ली की सड़कों पर किसानों को मरवाने से भी नहीं हिचकी, और अब हरियाणा की मिट्टी पर उनके हक को छीनने निकली है।

बड़े नेता चुप क्यों

मंत्री अनिल विज जैसे नेता, जो पहले खुद उपजाऊ ज़मीन पर IMT बनाने का विरोध करते थे, आज चुपचाप बैठे हैं। न बोल रहे हैं, न खड़े हो रहे हैं। क्या उनकी अंतरात्मा इस अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए नहीं बोल रही है? कांग्रेस की भूमिका भी यहां उतनी ही शर्मनाक है।

पूरे प्रदेश में विपक्ष का नाम तक लेने वाला कोई नहीं दिखता। एक साल से नेता प्रतिपक्ष तक तय नहीं किया गया, यानी बीजेपी को खुली छूट दे दी गई है कि वो किसान को लूटे, और कांग्रेस आंख मूंदकर तमाशा देखती रहे।

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