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- The Tradition Of Making Swastika First In Worship, Significance Of Swastika And Ganesh Puja, Ganesh Utsav 2025 In Hindi
16 घंटे पहले
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27 अगस्त से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। इस दिन भगवान गणपति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। गणेश पूजा हो, किसी अन्य देवी-देवता की आराधना या कोई भी धार्मिक कार्य, शुरुआत स्वास्तिक चिह्न बनाकर की जाती है। मान्यता है कि स्वास्तिक बनाकर किसी कार्य की शुरुआत की जाए तो वह कार्य बिना बाधा के पूर्ण हो जाता है।
स्वास्तिक का अर्थ और महत्व
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, स्वास्तिक शब्द दो भागों से मिलकर बना है: सु = शुभ और अस्ति = होना, अर्थात् सब कुछ शुभ हो। ये चिह्न न केवल शुभता का ही नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक माना जाता है।
स्वास्तिक की चार रेखाएं दर्शाती हैं चारों पुरुषार्थ को
स्वास्तिक का आकार गणित के धन चिह्न (+) के समान होता है, जो सकारात्मकता दर्शाता है। इसकी चार रेखाएं दर्शाती हैं:
चार पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
चार आश्रम – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास
चार युग – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग
चार लोक – भू, भुव: , स्व: , मह:
स्वास्तिक बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें…
- उल्टा स्वास्तिक घर में न बनाएं। उल्टा स्वास्तिक सिर्फ मंदिरों में किसी विशेष मनोकामना के लिए बनाया जाता है। मनोकामना पूर्ण होने पर उसी स्थान पर सीधा स्वास्तिक बनाना चाहिए।
- स्वास्तिक सुंदर और स्पष्ट होना चाहिए। टेढ़ा-मेढ़ा या अस्पष्ट स्वास्तिक न बनाएं। टेढ़ा-मेढ़ा स्वस्तिक पूजा में ध्यान भटका सकता है।
- कुछ लोग घर के बाहर गोबर से स्वास्तिक बनाते हैं, जिससे पवित्रता बनी रहती है।
- स्वास्तिक बनाने के लिए हल्दी, कुमकुम या सिंदूर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- वास्तु अनुसार, घर के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक बनाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती है और घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा करें स्थापित
27 अगस्त को घर में गणेश जी की मिट्टी से बनी प्रतिमा ही स्थापित करें, क्योंकि ये प्रतिमाएं विसर्जन करने के बाद आसानी से पानी में घुल जाती हैं और ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं होती हैं। जबकि पीओपी से बनी प्रतिमाएं आसानी से पानी घुलती नहीं हैं और ये पर्यावरण के लिए हानिकारक होती हैं, इसलिए पीओपी की गणेश प्रतिमा स्थापित करने से बचना चाहिए।
यदि आप स्वयं मिट्टी से गणेश मूर्ति बनाना चाहें, तो किसी नदी या तालाब के किनारे की शुद्ध काली मिट्टी और पीली मिट्टी के साथ भूसा मिलाकर मूर्ति तैयार कर सकते हैं। इसके लिए किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं होती। बस श्रद्धा और शुद्धता से मूर्ति बनानी होती है। आप चाहें तो बाजार से भी मिट्टी खरीदकर प्रतिमा बना सकते हैं।