3 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
- कॉपी लिंक

मशहूर सिंगर पलक मुच्छल के घर इस बार भी गणपति बप्पा विराजे हैं। हर साल की तरह इस बार भी उन्होंने पूरे हर्षोल्लास के साथ गणपति का स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की।
पलक ने बताया कि उनके लिए गणपति उत्सव केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भावनाओं और आस्था से जुड़ा सबसे अहम समय है।
पलक ने कहा कि उनके जीवन की सारी खुशियां, सफलता और उपलब्धियां बप्पा की कृपा से ही संभव हुई हैं। यही वजह है कि गणेशोत्सव उनके लिए साल का सबसे पसंदीदा और सबसे खुशनुमा समय होता है।
उन्होंने कहा, “जब बप्पा आते हैं तो लगता है जैसे पूरी दुनिया में उमंग और सकारात्मकता भर जाती है। मैं इन दिनों बेहद भावुक हो जाती हूं और बप्पा से हमेशा धन्यवाद कहती हूं। हर साल मेरी थैंक-यू लिस्ट और लंबी हो जाती है।”

भगवान की भक्ति का सबसे बड़ा साधन पलक के लिए जनसेवा है
पलक ने यह भी बताया कि उनके लिए भगवान की भक्ति का सबसे बड़ा साधन जनसेवा है। अपनी आवाज के जरिए वह लोगों की मदद कर पाती हैं और यह उनके लिए भगवान की सबसे बड़ी देन है।
उन्होंने कहा, “मैंने आज तक भगवान से कुछ मांगा नहीं, बस हमेशा आभार व्यक्त किया है। मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी तब होती है जब जिन बच्चों की सर्जरी करवाने में मदद करती हूं, वो सफल होती है। यह मेरे लिए बप्पा का आशीर्वाद है।”
इंदौर में अनंत चतुर्दशी तक गणपति की स्थापना होती थी: पलक
बचपन की यादों को शेयर करते हुए पलक ने कहा कि इंदौर में उनके घर पर अनंत चतुर्दशी तक गणपति की स्थापना होती थी। जब वह मुंबई आईं तो उसी परंपरा को आगे बढ़ाया।
उन्होंने बताया कि गणपति बप्पा पांच दिनों के लिए घर पर विराजते हैं और पूरा परिवार सेवा-भक्ति में डूब जाता है। विसर्जन का दिन उनके लिए हमेशा भावुक कर देने वाला होता है।
उन्होंने कहा, “पता ही नहीं चलता कि पांच दिन कैसे निकल जाते हैं। विसर्जन के समय मैं हमेशा रो पड़ती हूं।”

पलक मुच्छल गरीब बच्चों के हृदय रोगों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
जब पलक से पूछा गया कि अगर उन्हें बप्पा से कोई वरदान मांगना हो तो वह क्या चाहेंगी, तो उन्होंने जवाब दिया- “मैं यही चाहूंगी कि भगवान हर किसी को सेवा की भावना को कर्म में बदलने की शक्ति दें। जब हम दूसरों की सेवा करते हैं तो भगवान सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं।”
अपनी जिंदगी में भगवान के स्वरूप के सवाल पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले उनके माता-पिता और गुरुजन उनके लिए भगवान के समान हैं, लेकिन अब उनके पति भी उनके लिए भगवान के रूप में हैं।
गणेशोत्सव का जिक्र हो और मोदक की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। इस पर पलक ने कहा- “मैं सिर्फ प्रसाद के रूप में मोदक खाती हूं। बाकी फिटनेस का ध्यान हमेशा रखती हूं।”