पंजाब-हरियाणा में पानी प्रबंधन को लेकर हरियाणा सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) और पंजाब सरकार को एक खत लिखा है। इस खत में हरियाणा ने पंजाब से नहरी पानी घटाने को कहा है। हरियाणा सरकार ने तर्क दिया है कि बारिश के चलते पानी की डिमांड घटी है
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दरअसल, हरियाणा सरकार ने कहा है कि उसकी नहरों की ओर छोड़े जाने वाले 2,500 क्यूसेक पानी को कम किया जाए। जबकि एक सप्ताह पहले ही हरियाणा सीएम ने पंजाब सरकार को खत लिख बाढ़ की स्थिति में अतिरिक्त मदद की बात कही थी। जबकि उनके इस फैसले से राज्य के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि पानी का कम निकास सीधे-सीधे नदियों और बांधों पर दबाव बढ़ाएगा।
खत में कहा गया है कि 29 अगस्त 2025 को हरियाणा कॉन्टैक्ट प्वाइंट (HCP) पर पानी का डिस्चार्ज 8 हजार 894 क्यूसेक पाया गया, जबकि हरियाणा ने 7 हजार 900 क्यूसेक की मांग की थी। इससे पहले 26 अगस्त 2025 को हरियाणा ने इंडेंट घटाकर 7 हजार 900 क्यूसेक किया था, लेकिन पानी का डिस्चार्ज कम नहीं किया गया।
अब लगातार भारी बारिश होने के कारण नहर क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में पानी की मांग और घट गई है। इसी वजह से 29 अगस्त 2025 को एक और नया मांग पत्र दिया गया है, जिसमें केवल 6 हजार 250 क्यूसेक पानी की जरूरत बताई गई है।

हरियाणा की तरफ से बीबीएमबी को भेजा गया खत।
बीते माह अतिरिक्त पानी की कर रहा था मांग
विडंबना यह है कि हरियाणा ने बीते माह पंजाब से अधिक पानी देने की मांग की थी। कृषि और पेयजल जरूरतों का हवाला देते हुए राज्य सरकार अतिरिक्त सप्लाई चाहती थी। लेकिन अब जब खुद हरियाणा की नदियां उफान पर हैं तो उसने पानी कम करने का प्रस्ताव रखा है।
इस यू-टर्न ने सबका ध्यान खींचा है। खासकर इसलिए कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल ही में पंजाब के सीएम को पत्र लिखकर बाढ़ग्रस्त राज्य के साथ एकजुटता और मदद का आश्वासन दिया था।
बीबीएमबी ने अभी नहीं लिया फैसला
पंजाब में इस समय कई जिलों के सैकड़ों गांव पानी से घिरे हैं। राहत और बचाव अभियान लगातार जारी हैं। रावी, ब्यास और सतलुज का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान पर है। कई जगहों पर तट बांध टूटने की आशंका बनी हुई है। पंजाब सीएम भगवंत मान बार-बार मांग कर रहे हैं कि अब पड़ोसी राज्यों को अतिरिक्त पानी लेना चाहिए।
वहीं, हरियाणा सरकार की तरफ से भेजे गए खत के जवाब में बीबीएमबी की ओर से अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।