Canada BC government celebrate Jaswant Singh Khalra Day | Canada | British Columbia | British Columbia government | Jaswant Singh Khalra Day | Punjab-95 | कनाडा में मनाया जाएगा जसवंत सिंह खालड़ा डे: सरकार ने किया ऐलान, भारत में नहीं रिलीज हुई जीवन पर आधारित फिल्म – Jalandhar News

Actionpunjab
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मानवाधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाले और सिख नेता जसवंत सिंह खालड़ा की शहादत को कनाडा ने बड़ा सम्मान दिया है। ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की सरकार ने 6 सितंबर को आधिकारिक तौर पर जसवंत सिंह खालड़ा डे घोषित किया है।

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यह घोषणा उनकी गुमशुदगी की 30वीं बरसी पर की गई। वहीं दूसरी तरफ भारत में उन्हीं पर बनी फिल्म “पंजाब-95” सेंसरशिप के शिकंजे में फंसी हुई है और उस फिल्म पर 127 कट लगाने की मांग की जा रही है।

ब्रिटिश कोलंबिया सरकार ने किया ऐलान

ब्रिटिश कोलंबिया की सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि जसवंत सिंह खालड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित मानवाधिकार रक्षक थे और उनकी स्मृति को सदा जीवित रखना ब्रिटिश कोलंबिया के लोगों के लिए गर्व की बात है। प्रांत की लेफ्टिनेंट गवर्नर वेन्डी कोकिया ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर 6 सितंबर को जसवंत सिंह खालड़ा डे घोषित किया।

अनुराग सिंह के निर्देशन में बनी यह फिल्म जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन और संघर्ष को दर्शाती है। लेकिन फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने पास करने से पहले 127 कट लगाने की शर्त रखी है।

फिल्म से जुड़े लोग और मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। उनका कहना है कि खालड़ा का जीवन संघर्ष सच्चाई पर आधारित है, और अगर उनकी कहानी पर सेंसरशिप लगाई जाती है तो यह न्याय और इतिहास दोनों के साथ अन्याय होगा।

जारी किया गया पत्र, जिसमें जसवंत सिंह खालड़ा डे का ऐलान किया गया है।

जारी किया गया पत्र, जिसमें जसवंत सिंह खालड़ा डे का ऐलान किया गया है।

6 सितंबर 1995 को खालड़ा लापता हुए थे

जसवंत सिंह खालड़ा ने 1980 और 90 के दशक में पंजाब में हुए फर्जी एनकाउंटर और गुप्त दाह संस्कार जैसी घटनाओं का पर्दाफाश किया था। उन्होंने यह खुलासा किया कि हजारों निर्दोष सिख युवकों को बिना कानूनी प्रक्रिया के मौत के घाट उतार दिया गया और उनकी लाशों को अज्ञात शवों की तरह श्मशानों में जला दिया गया। उनकी इन खोजों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब में मानवाधिकार हनन की ओर दुनिया का ध्यान खींचा।

लेकिन 6 सितंबर 1995 को उन्हें दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। उस समय से ही वह सिखों के लिए प्रतिरोध और न्याय की आवाज बन गए।

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