प्रयागराज एक बार फिर बाढ़ की चपेट में आ गया है। बीते दो महीनों में यह पांचवीं बार है जब गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे शहर के निचले इलाकों में तबाही मच गई है। लगातार हो रही बारिश और नदियों के उफान से आधा शहर फिर से
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पिछले 10 दिनों के भीतर एक बार फिर पानी ने लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। लोग थक चुके हैं बार-बार घर का सामान समेटना, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है। कई लोगों को लगातार राहत शिविरों की शरण लेनी पड़ रही है।

हजारों घरों तक पहुंचा बाढ़ का पानी।
हजारों घर बाढ़ की चपेट में
गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। निचले इलाकों में पानी घुसने लगा है। छोटा बघाड़ा, राजापुर, गोविंदपुर, कैलाशपुरी, तेलियरगंज, और बेली गांव जैसे इलाकों में हजारों घर जलमग्न हो चुके हैं। नागवासुकी मंदिर के पास के रिहायशी क्षेत्रों में भी पानी घुस चुका है, जिससे लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं।

बाढ़ से कई इलाकों की गलियां हुई जलमग्न।
छात्रों एक लिए मुसीबत बनी बाढ़
प्रयागराज में बार-बार आने वाली बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानी यहां पढ़ाई के लिए किराये पर रहने वाले छात्रों को हो रही है। छोटा बघाड़ा, सलोरी, गोविंदपुर और राजापुर जैसे इलाकों में रह रहे छात्र बार-बार कमरा खाली करने, घर लौटने और फिर वापस आने की समस्या से जूझ रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बिजली, इंटरनेट और आवागमन बाधित होने से ऑनलाइन क्लासेज़ भी ठप हैं।

छात्रों को बाढ़ के पानी से होकर जाना पड़ रहा है।
गंगा-यमुना के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी
प्रशासन की ओर से जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी का जलस्तर रविवार रात तक 83.38 मीटर तक पहुंच चुका था, जबकि डेंजर लेवल 84.734 मीटर है। यानी गंगा अब खतरे के निशान से महज 1.35 मीटर नीचे है। वहीं, यमुना नदी का जलस्तर 83.35 मीटर दर्ज किया गया है। जलस्तर में हर 4 घंटे के अंतराल पर अपडेट जारी किया जा रहा है, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

कई इलाकों में नाव चलने लगी है, लोग घरों में हुए कैद।
10 तटीय इलाके जलमग्न, हजारों घर बाढ़ की चपेट में
जिला प्रशासन के अनुसार, प्रयागराज शहर और आसपास के 10 प्रमुख तटीय इलाके पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें कछार मऊ, मऊ सरैया, बघाड़ा, नेवादा, बेली, मेहदौरी, सोनौटी, बदरा, करछना तहसील का देहली और भगेसर गांव शामिल हैं। इन इलाकों में पानी घरों के अंदर तक घुस चुका है। सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में छोटा बघाड़ा, राजापुर, गोविंदपुर, कैलाशपुरी, तेलियरगंज और बेली गांव शामिल हैं। नागवासुकी मंदिर के पास के रिहायशी इलाकों में भी घरों तक पानी पहुंच चुका है, जिससे लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।

फिर से लोग अपने समान समेटने लगे।
प्रशासन और बचाव एजेंसियां अलर्ट मोड पर
बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने सभी संबंधित विभागों को अलर्ट कर दिया है। जल पुलिस, NDRF और प्रशासन की टीमें प्रभावित इलाकों में लगातार गश्त कर रही हैं। रिवर फ्रंट रोड पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है और यातायात बंद कर दिया गया है।

NDRF की टीम दारागंज में हुई तैनात।
राहत शिविरों में शरण ले रहे लोग
लगातार पांचवीं बार बाढ़ का सामना कर रही जनता अब थक चुकी है। बार-बार घर खाली करना, सामान समेटना और बच्चों-बुजुर्गों को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। रविवार शाम तक करीब 150 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है, जिनमें लगभग 600 से अधिक लोग शामिल हैं।

छोटा बघाड़ा के इलाकों में अन्दर की गलियां हुईं जलमग्न।
97 राहत शिविरों में केवल 3 सक्रिय
जिले में कुल 97 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं, लेकिन अभी तक केवल तीन शिविर ही सक्रिय किए गए हैं। सक्रिय राहत शिविरों में कैंट मैरेज हॉल (सदर बाजार न्यू कैंट), ऐनी बेसेंट स्कूल (ऐलनगंज), और महबूब अली इंटर कॉलेज (स्टैनली रोड, बेली चौराहा) शामिल हैं। प्रशासन की ओर से इन शिविरों में भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधा और अन्य आवश्यक इंतजाम किए जा रहे हैं।