5 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

फिल्ममेकर नीरज घायवान की फिल्म ‘होमबाउंड’ को ऑस्कर 2026 के लिए भारत की ऑफिशियल एंट्री के रूप में चुना गया है। शुक्रवार को इसे आधिकारिक तौर पर 2026 अकादमी अवॉर्ड के लिए बेस्ट इंटरनेशनल फीचर कैटेगरी के लिए चुना गया। फिल्म में ईशान खट्टर, विशाल जेठवा और जान्हवी कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कोलकाता में सिलेक्शन का ऐलान किया। चयन समिति के अध्यक्ष एन चंद्रा ने कहा कि अलग-अलग भाषाओं की कुल 24 फिल्में ऑस्कर में देश का प्रतिनिधित्व करने की दौड़ में थीं। होमबाउंड अब अगले साल ऑस्कर में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के लिए सौ से अधिक देशों की ऑफिशियल एंट्री के साथ पहले नॉमिनेशन और फिर पुरस्कार जीतने के लिए कंपीट करेगी।
फिल्म के प्रोड्यूसर करण जौहर की प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन ने इस मौके पर ट्वीट करके खुशी जाहिर की है। ट्वीट में लिखा गया- ‘हमें यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि होमबाउंड 98वें अकादमी अवॉर्ड में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के लिए भारत की ऑफिशियल एंट्री है।

बता दें कि अब तक भारत की तरफ से इस कैटेगरी में तीन भारतीय फिल्में ‘मदर इंडिया’, ‘सलाम बॉम्बे’ और ‘लगान’ नॉमिनेट हो चुकी हैं। हालांकि, किसी को भी जीत हासिल नहीं हुई। ऑस्कर में भारत की एकमात्र जीत ओपन कैटेगरी में मिली है। साल 2023 में डायरेक्टर एसएस राजामौली की फिल्म आरआरआर को मिली थी।
वहीं, इस फिल्म की बात करें तो हाल ही में, 50वें टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म इंटरनेशनल पीपुल्स च्वाइस अवॉर्ड की दौड़ में दूसरे स्थान पर रही। इससे पहले लगभग चार महीने पहले ‘होमबाउंड’ को कांस प्रीमियर में 9 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला था। इस साल कांस फिल्म फेस्टिवल में इंडिया की तरफ से ‘होमबाउंड’ एकमात्र फीचर फिल्म रही, जिसका वर्ल्ड प्रीमियर ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ सेक्शन में किया गया था।
इस खास मौके का वीडियो धर्मा प्रोडक्शन ने एक्स पर शेयर करते हुए लिखा था- ‘9 मिनट तक प्योर लव और शाबाशी! टीम होमबाउंड को @Festival_Cannes में सभी की सराहना मिल रही है।’ इस नजारे को देखकर फिल्म के प्रोड्यूसर करण जौहर और डायरेक्टर नीरज घायवान भावुक हो गए थे।

फिल्म की बात करें तो ‘होमबाउंड’ में ईशान खट्टर, विशाल जेठवा लीड भूमिका में हैं। वहीं, जाह्नवी का कैमियो है। फिल्म में दो दोस्तों की कहानी है। जो छोटे से उत्तर भारतीय गांव से आते हैं और पुलिस की नौकरी की तलाश में हैं लेकिन जैसे-जैसे वे अपने सपने के करीब पहुंचते हैं, उनकी मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। यह फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसका पहली बार जिक्र बशारत पीर ने 2020 के न्यूयॉर्क टाइम्स निबंध में किया था।