किशनगढ़बास कला मंच समिति द्वारा आयोजित श्रीरामलीला मंचन में शनिवार रात पंचवटी की पावन भूमी जीवंत हो उठी। “अलख निरंजन बोलो अलख निरंजन” भजन के साथ रावण के जोगी रूप में प्रवेश से वातावरण भक्तिरस और उत्सुकता से भर गया।
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कार्यक्रम में दर्शकों को एक के बाद एक लीला-दृश्यों का सजीव मंचन देखने को मिला। सबसे पहले इंद्रपुत्र जयंत द्वारा भगवान राम की परीक्षा, फिर अत्रि ऋषि, माता अनुसूइया और अगस्त्य ऋषि से राम का मिलन, पंचवटी में कुटी निर्माण, सूर्पनखा का सुंदरी रूप धरकर विवाह प्रस्ताव रखना और लक्ष्मण द्वारा उसका नाक-कान काटना—इन प्रसंगों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके बाद खर-दूषण का वध, रावण द्वारा मारीच को स्वर्ण मृग बनने के लिए उकसाना, राम का मृग के पीछे जाना, सीता का लक्ष्मण पर क्रोधित होना, लक्ष्मण रेखा का खींचना, रावण का आगमन और सीता हरण, मार्ग में जटायु-रावण युद्ध और शबरी-राम संवाद जैसे भावपूर्ण प्रसंगों ने श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं।
कलाकारों की अदाकारी बनी आकर्षण का केंद्र
60 वर्षीय महावीर अग्रवाल ने ‘सुंदरी’ बनकर ऐसा अभिनय किया कि दर्शक दंग रह गए। गौरतलब है कि वे पिछले 40 वर्षों से अलग-अलग महिला पात्रों को जीवंत करते आ रहे हैं। 14 वर्षीय अभिषेक ने शबरी की भूमिका में अपनी अदाकारी से सबका मन जीत लिया।
रावण बने खेम चंद्र यादव और लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे उनके बेटे मोहित यादव की पिता-पुत्र की जोड़ी ने खूब तालियां बटोरीं। राम की भूमिका पीयूष शर्मा, सीता हर्षित अग्रवाल, खर महेंद्र चौहान, दूषण विकास गोयल और मारीच हरीश गोयल ने निभाई। मंचन के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में सी.ए. किशन गुप्ता और मांगे लाल गुप्ता मौजूद रहे, जिन्होंने कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।