16 मिनट पहले
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कल 3 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये व्रत व्यक्ति को जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और रुके हुए कार्यों में सफलता मिलती है।
पापाकुंशा एकादशी पर करें ये शुभ काम
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें।
- दूध में केसर मिलाकर शंख में भरें और फिर भगवान का अभिषेक करें। मंत्र जप करें।
- विष्णु मंत्र: ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
- लक्ष्मी मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
- पूजा में घी का दीपक जलाएं, धूप और कर्पूर जलाएं, लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं।
- तुलसी के पत्तों के साथ दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
- देवी लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ाएं और इत्र अर्पित करें।
- लक्ष्मी पूजन के समय श्रीयंत्र को उनके चरणों में रखें, पूजन के बाद उसे तिजोरी में रखें।
शुक्रवार और एकादशी का योग: शुक्र ग्रह की भी करें पूजा
इस बार एकादशी शुक्रवार को पड़ रही है, जो शुक्र ग्रह का दिन है। शुक्र ग्रह की पूजा करने से वैवाहिक जीवन, सुख-संपत्ति और सौंदर्य से जुड़ी समस्याओं से राहत मिल सकती है।
शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। सफेद फूल अर्पित करें, बिल्व पत्र से श्रृंगार करें और चंदन का लेप करें।
एकादशी पर दान-पुण्य जरूर करें
सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को दीपक लगाएं।
पीपल के वृक्ष के नीचे पांच मुखी दीपक जलाएं।
लक्ष्मी पूजन में चांदी के सिक्के रखें।
शुक्रवार शाम को भी लक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन करें।
जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें।
गौशाला में दान दें और गायों को हरी घास खिलाएं।