Bangladesh Teachers Hiring Halt Reason; Muslims Protest | Muhammad Yunus | बांग्लादेश में म्यूजिक टीचर्स की भर्ती रद्द: कट्टरपंथियों के आगे झुके यूनुस; संगीत को इस्लाम के खिलाफ बताया था

Actionpunjab
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ढाका2 मिनट पहले

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने देश के सभी प्राइमरी स्कूलों में म्यूजिक और फिजिकल एजुकेशन के टीचर्स की भर्ती को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फैसला कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के विरोध के कारण उठाया गया है।

ये कई कट्टरपंथी बीते कई महीनों से लगातार संगीत को इस्लाम के खिलाफ बताकर इन टीचर्स की भर्ती रद्द करने की मांग कर रहे थे। शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को इस बदलाव से जुड़ी नई अधिसूचना जारी की।

मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी मसूद अख्तर खान ने कहा कि पिछले साल अगस्त में जारी नियमों में 4 तरह के पद शामिल थे, लेकिन अब नए नियमों में सिर्फ 2 पद रखे गए हैं। म्यूजिक और फिजिकल एजुकेशन के सहायक शिक्षकों के पद अब हटा दिए गए हैं।

कट्टरपंथी बोले- संगीत थोपना इस्लाम के खिलाफ साजिश

देश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी (JeI) और कई अन्य धार्मिक संगठनों ने संगीत को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का विरोध किया था। उनका कहना है कि म्यूजिक और डांस थोपना इस्लाम के खिलाफ साजिश है।

हिफाजत-ए-इस्लाम नाम के संगठन के सीनियर नेता साजिदुर रहमान ने कहा कि संगीत पढ़ाना इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है।

हालांकि, कई एक्सपर्ट्स ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। राशेदा चौधरी नाम की एजुकेशन एक्सपर्ट ने कहा कि सरकार को यह दिखाना चाहिए था कि संगीत और धार्मिक शिक्षा साथ-साथ चल सकती हैं।

उन्होंने कहा- सरकार को लोगों को समझाना चाहिए था कि संगीत और इस्लामी शिक्षा में कोई टकराव नहीं है। आखिर हम किस तरह का समाज बनाना चाहते हैं?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूनुस सरकार का यह कदम तालिबान जैसी सोच को बढ़ावा देता है। तालिबान ने भी इसी तरह अफगानिस्तान के स्कूलों में संगीत पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है।

बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का कहना था कि संगीत पढ़ाना इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है। फाइल फोटो

बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का कहना था कि संगीत पढ़ाना इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है। फाइल फोटो

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की धमकी दी थी

कट्टरपंथियों ने कुछ वक्त पहले सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर इस तरह के टीचर नियुक्त किए गए, तो बच्चे मजहब से दूर हो सकते हैं। उन्होंने मांग की थी कि स्कूलों में धार्मिक और नैतिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।

इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश के एक नेता सैयद रजाउल करीम ने कहा था- डांस और म्यूजिक सिखाने से बच्चे गलत रास्ते पर जा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने धमकी दी है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

बांग्लादेश में बढ़ रहीं कट्टरपंथी ताकतें

बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना का तख्तापलट के बाद अस्थिरता बढ़ी है और कट्टरपंथी ताकतें फिर से एक्टिव हो गई हैं। शेख हसीना के कार्यकाल में जिन संगठनों पर कड़ी कार्रवाई हुई थी, वे अब खुलकर सामने आ रहे हैं।

ORF की रिपोर्ट में भारतीय एजेंसियों के हवाले से बताया गया था कि बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और अंसरुल्लाह बंगला टीम (ABT) भारत में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इनके तार पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में दिखाई दिए हैं।

शेख हसीना के हटने के बाद कई कट्टरपंथी और आतंकी नेता या तो जेल से फरार हो गए या रिहा कर दिए गए। इनमें ABT प्रमुख मुफ्ती जशिमुद्दीन रहमानी और कई अन्य आतंकी शामिल हैं। अब जमात-ए-इस्लामी (JeI) और हिफाजत-ए-इस्लाम (HeI) जैसे संगठन फिर से एक्टिव हो गए हैं।

ढाका में 7 मार्च 2025 को “हिज्ब-उत-तहरीर” (HuT) नामक संगठन ने ‘मार्च फॉर खिलाफत’ के नाम से रैली आयोजित की थी। यह संगठन बांग्लादेश में खिलाफत यानी इस्लामी शासन व्यवस्था लागू करने की वकालत कर रहा है। यह युवाओं को भड़काने और उन्हें कट्टर विचारधारा की ओर मोड़ने में जुटा है।​​​​​​

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