Mayawati Akash Anand; UP BSP Successor Update | Bahujan Samaj Party | मायावती ने भतीजे आकाश से दूसरी बार उत्तराधिकार छीना: राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटाया, कहा- जीते जी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाऊंगी – Uttar Pradesh News

Actionpunjab
10 Min Read


तस्वीर 23 जून 2024 की। जब लखनऊ में बसपा की एक बैठक में आकाश आनंद ने मायावती के पैर छुए थे।

बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। एक साल में दूसरी बार आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा- जीते जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी।

.

मायावती ने यह ऐलान लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में किया। मायावती ने दो नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं। आकाश के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को जिम्मेदारी सौंपी है।

बैठक में बसपा के कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हुए। आकाश आनंद मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। पहले मंच पर दो कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन बाद में एक कुर्सी हटा ली गई। मंच पर अकेले मायावती ही बैठी रहीं।

भतीजे आकाश आनंद मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। बाद में उनके लिए लगाई गई कुर्सी हटा ली गई।

भतीजे आकाश आनंद मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। बाद में उनके लिए लगाई गई कुर्सी हटा ली गई।

मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारियां सौंपी और हटाया, जानिए

  • बसपा ने 10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें मायावती ने अपने सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया था। पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने भतीजे पर विश्वास जताया था।
  • हालांकि, 7 मई 2024 को आकाश की गलतबयानी की वजह से मायावती ने उनसे सभी जिम्मेदारियां छीन ली थीं। आकाश को अपने उत्तराधिकारी पद के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया था। मायावती ने कहा था कि आकाश अभी अपरिपक्व (इम्मैच्योर) हैं।
  • हालांकि, 47 दिन बाद मायावती ने अपना फैसला पलट दिया था। 23 जून 2024 को उन्होंने भतीजे आकाश को फिर से अपना उत्तराधिकारी बनाया और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी सौंप दी थी। अब फिर मायावती ने आकाश आनंद से सारी जिम्मेदारियां छीन ली हैं।
10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक के दौरान मायावती ने आकाश को उत्तराधिकारी बनाया था।

10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक के दौरान मायावती ने आकाश को उत्तराधिकारी बनाया था।

मायावती की 3 बड़ी बातें पढ़िए

  1. मेरे लिए पार्टी सबसे पहले, परिवार बाद में मैं यह बताना चाहती हूं कि बदले हुए हालात को देखते हुए अब हमने अपने बच्चों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला किया। इसका मकसद यह है कि भविष्य में हमारी पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो, जैसा कि अशोक सिद्धार्थ के मामले में हुआ। इतना ही नहीं, बल्कि मैंने खुद भी यह निर्णय लिया है कि मेरे जीते जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, जबकि परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी।
  2. आकाश को हटाने के पीछे उनके ससुर जिम्मेदार कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए अशोक सिद्धार्थ, जो आकाश आनंद के ससुर भी हैं। उन्हें पार्टी और मूवमेंट के हित में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में पार्टी को गुटों में बांटकर कमजोर करने का काम किया था। जहां तक आकाश आनंद का सवाल है, तो यह सभी को पता है कि उनकी शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से हुई है। अब जब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है, तो यह देखना जरूरी होगा कि उनकी बेटी पर उनके विचारों का कितना असर पड़ता है। वह आकाश आनंद को कितना प्रभावित कर सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी के हित में आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है। इसके लिए पार्टी नहीं, बल्कि पूरी तरह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार हैं, जिन्होंने आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को भी नुकसान पहुंचाया है। अब उनकी जगह, पहले की तरह ही आनंद कुमार पार्टी के सभी कार्यों को संभालते रहेंगे।
  3. सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू मिल्कीपुर में बसपा ने उपचुनाव नहीं लड़ा था। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। अब सपा किसे जिम्मेदार ठहराएगी? क्योंकि पहले सपा ने अपनी हार के लिए बीएसपी को दोषी ठहराने का झूठा प्रचार किया था।सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सिर्फ अंबेडकरवादी नीति और सिद्धांतों पर चलने वाली बीएसपी ही भाजपा और अन्य जातिवादी पार्टियों को हरा सकती है। यह बात पूरे देश के सभी समाज के लोगों को समझनी चाहिए।

15 दिन पहले आकाश को दिया था अल्टीमेटम बसपा सुप्रीमो ने 15 दिन पहले भतीजे आकाश आनंद को अल्टीमेटम दिया था। कहा था- बसपा का वास्तविक उत्तराधिकारी वही होगा, जो कांशीराम की तरह हर दुख-तकलीफ उठाकर पार्टी के लिए आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर लड़े और पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे।

मायावती के साथ डॉ. अशोक सिद्धार्थ। अशोक सिद्धार्थ की बेटी की शादी 2023 में मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई थी।

मायावती के साथ डॉ. अशोक सिद्धार्थ। अशोक सिद्धार्थ की बेटी की शादी 2023 में मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई थी।

आकाश के ससुर को भी पार्टी से बाहर निकाला 18 दिन पहले मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया था। उनके करीबी नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया। यह एक्शन संगठन में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर लिया था।

कहा था- दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह चेतावनी के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे। इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।

यह आकाश आनंद और डॉ. सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा की शादी की तस्वीर है। इसमें मायावती भी मौजूद रही थी।

यह आकाश आनंद और डॉ. सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा की शादी की तस्वीर है। इसमें मायावती भी मौजूद रही थी।

आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था।

आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है।

206 से 1 विधानसभा सीट पर सिमटी बसपा 2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा की अब हालत ये है कि विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 15.2 करोड़ वोटर में से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले थे।

2024 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 2019 में 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। ये विधानसभा चुनाव से भी लगभग 3 प्रतिशत कम था।

महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में मायूसी हाथ लगी

महाराष्ट्र-झारखंड के बाद मायावती को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी मायूसी हाथ लगी। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के नेशनल कॉआर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया था।

इसके बावजूद पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं डाल पाए। आलम ये रहा कि पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए। बसपा को कुल 55,066 (0.58 प्रतिशत) ही वोट मिल पाए।

यूपी में 2007 में बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन

यूपी की राजनीति में आज भले ही बसपा सुप्रीमो का दबदबा घटता दिख रहा है, लेकिन अब भी पार्टी के पास 10 प्रतिशत के लगभग वोटबैंक है। गठबंधन में ये किसी का भी पलड़ा भारी कर सकता है। बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2007 में रहा। तब बसपा अपने बलबूते सूबे की सत्ता में लौटी थी।

विधानसभा में तब उसके 206 विधायक जीत कर पहुंचे थे। पार्टी को तब 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। ये सफलता सोशल इंजीनियरिंग को माना गया था। बसपा एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपने उन्हें सुनहरे दौर में लौटने का सपना बुन रही है।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *