Donald Trump announces reciprocal tariffs | ‘आंख के बदले आंख’ की तर्ज पर टैरिफ लगाएंगे ट्रम्प: भारत को हर साल ₹61 हजार करोड़ का नुकसान, अमेरिकी सामान सस्ते हो सकते हैं

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नई दिल्ली1 घंटे पहलेलेखक: आदित्य मिश्रा

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20 जनवरी को पद संभालने के बाद ट्रम्प ने टैरिफ लगाने से जुड़ा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था। - Dainik Bhaskar

20 जनवरी को पद संभालने के बाद ट्रम्प ने टैरिफ लगाने से जुड़ा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था।

अमेरिका 2 अप्रैल से भारत पर ‘आंख के बदले आंख’ की तर्ज पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब यह कि भारत जितना टैरिफ अमेरिकी कंपनियों से आने वाले सामान पर लगाएगा अमेरिका भी उतना ही टैरिफ भारतीय कंपनियों के अमेरिका जाने वाले सामान पर लगाएगा।

ये ऐलान अमेरिका का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय समय के मुताबिक 5 मार्च को सुबह अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में किया। उन्होंने रिकॉर्ड 1 घंटा 44 मिनट का भाषण दिया।

अमेरिका इस फैसले से भारत पर क्या असर होगा? अमेरिका के राष्ट्रपति ऐसा क्यों कर रहे हैं। ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब हम इस स्टोरी में जानेंगे …

दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने पहली बार अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया।

दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने पहली बार अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया।

1. टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं वे सरकार को ये टैक्स देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए…

  • टेस्ला का साइबर ट्रक अमेरिकी बाजार में करीब 90 लाख रुपए में बिकता है।
  • अगर टैरिफ 100% है तो भारत में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ हो जाएगी।

2. रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?

रेसिप्रोकल का मतलब होता है- तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना। यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना। ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाएगा।

3. ट्रम्प ऐसा क्यों कर रहें है?

टैरिफ डोनाल्ड ट्रम्प के इकोनॉमिक प्लान्स का एक हिस्सा हैं। उनका कहना है कि टैरिफ से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार बढ़ेगा। इसके साथ ही टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा और इकोनॉमी बढ़ेगी।

2024 में अमेरिका में आयात का 40% से अधिक हिस्सा चीन, मैक्सिको और कनाडा से आए सामानों का था। कम टैरिफ से अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है।

2023 में अमेरिका को चीन से 30.2%, मेक्सिको से 19% और कनाडा से 14.5% व्यापार घाटा हुआ। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं।

ट्रम्प सरकार इसी घाटे को कम करना चाहती है। इसलिए, 4 मार्च 2025 से मेक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लागू हो गया है। चीन पर भी अतिरिक्त 10% टैरिफ लागू हो गया है। 2 अप्रैल से भारत पर भी रेसिप्रोकल टैरिफ लगने जा रहा है।

कम टैरिफ से अमेरिका को कैसे घाटा हो रहा है इसे एक उदाहरण से समझते हैं। हार्ले-डेविडसन सहित यूएस मेड मोटरसाइकिलों पर भारत में 100% टैरिफ है, लेकिन भारत से अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाली गाड़ियों पर इसके मुकाबले काफी कम टैरिफ है।

इससे अमेरिका को 2 नुकसान है…

  • पहला- गाड़ी महंगी होने के चलते कंपनी कभी भी भारत में अपना बिजनेस नहीं बढ़ा पाएगी।
  • दूसरा- कम एक्सपोर्ट से व्यापार घटा बढ़ता है। यानी, इकोनॉमी धीमी रफ्तार से बढ़ेगी।

4. भारत पर क्या असर होगा?

  • एक्सपोर्ट महंगा हो सकता है: रेसिप्रोकल टैरिफ से फूड प्रोडक्ट, टेक्सटाइल्स, क्लोदिंग, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, जेम्स एंड ज्वेलरी, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल जैसे की- इंडियन एक्सपोर्ट अमेरिकी बाजार महंगे हो सकते हैं। इससे ये सामान वहां कंपीट नहीं कर पाएंगे।
  • ट्रेड सर्पलस घट जाएगा: अभी भारत के सामान पर अमेरिका कम टैरिफ लगाता है जिससे भारत को ट्रेड सर्पलस का फायदा मिलता है। टैरिफ बढ़ने से भारत को ट्रेड सर्पलस से मिलने वाला फायदा कम हो सकता है।
  • इंपोर्ट बढ़ सकता है: अमेरिका के ज्यादा टैरिफ से बचने के लिए अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटाता है तो अमेरिकी चीजें भारतीय बाजार में सस्ती हो जाएंगी। इससे इन सामानों का इंपोर्ट बढ़ सकता है।
  • रुपया कमजोर हो सकता है: ज्यादा इंपोर्ट का मतलब, डॉलर की अधिक डिमांड। इससे रुपया कमजोर होगा और भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा। इसका मतलब अब अमेरिका से सामान खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे।
  • विदेशी निवेश बढ़ेगा: अगर भारत टैरिफ कम नहीं करता है तो अमेरिकी कंपनियां हाई टैरिफ से बचने के लिए भारत में ही अपने प्रोडक्शन पर जोर दे सकती हैं, इससे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट यानी FDI बढ़ेगा।
  • 7 बिलियन डॉलर का नुकसान: टैरिफ से भारत के ऑटो से लेकर कृषि तक के एक्सपोर्ट सेक्टर में चिंता बढ़ गई है। बिजनेस एनालिस्ट का मानना है कि ट्रम्प के टैरिफ बढ़ाने से भारत को हर साल लगभग 7 बिलियन डॉलर (61 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हो सकता है।

5. भारत का कौनसा सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होगा?

अमेरिका ने 2024 में भारत को करीब 42 बिलियन डॉलर (करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए) की वैल्यू का सामान बेचा है। इसमें भारत सरकार ने लकड़ी के उत्पादों और मशीनरी पर 7%, फुटवियर और ट्रांस्पोर्ट इक्विपमेंट्स पर 15% से 20% तक और फूड प्रोडक्ट्स पर लगभग 68% तक टैरिफ वसूला है।

अमेरिका का कृषि उत्पादों पर टैरिफ भारत के 39% की तुलना में 5% है। यदि अमेरिका कृषि उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला लेता है, तो भारत के कृषि और फूड एक्सपोर्ट पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। यहां टैरिफ अंतर सबसे अधिक है लेकिन ट्रेड वॉल्यूम कम है।

6. टैरिफ बढ़ाने का ऐलान 2 अप्रैल से ही क्यो ?

ट्रम्प टैरिफ बढ़ाने का ऐलान 1 अप्रैल 2025 से ही करने वाले थे, लेकिन इस दिन अप्रैल फूल होने के चलते लोग इसे मजाक समझ लेते। इसलिए उन्होंने 2 अप्रैल से टैरिफ बढ़ाने का फैसला लिया। ट्रम्प ने कहा कि वे टैरिफ को लेकर काफी गंभीर हैं और इसे मजाक नहीं बनने देने चाहते।

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