कांग्रेस के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद का विधानसभा चुनाव में हार के कारणों की जांच-पड़ताल का आज दूसरा दिन है। हालांकि, इससे पूर्व पार्टी हाईकमान द्वारा फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी भी प्रदेश के सभी नेताओं से बातचीत
.
हरिप्रसाद ने जिलावार नेताओं से बातचीत के जरिए फीडबैक लिया। मोटे तौर पर यह बात भी उभर कर सामने आई है कि संगठन की कमी और नेताओं की आपसी गुटबाजी की वजह से पार्टी पॉजिटिव माहौल के बाद भी चुनाव हार गई।
सूत्रों का कहना है कि मुलाकात के दौरान हुड्डा खेमे के नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाने की मांग भी उठाई। यह पहला मौका है जब बजट सत्र में भी कांग्रेस बिना नेता के भाग ले रही है। सीएलडी लीडर ही नेता प्रतिपक्ष बनेगा।

हरियाणा कांग्रेस के जिला प्रभारियों व संयोजकों के साथ ज्वाइंट बैठक करते पार्टी प्रभारी बीके हरिप्रसाद।
जॉइंट बैठक में लिया फीडबैक
चंडीगढ़ के सेक्टर-9 स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बीके हरिप्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक में सह-प्रभारी जितेंद्र बघेल व प्रफुल्ल गुडधे भी मौजूद रहे। सत्र चलने की वजह से कांग्रेस के अधिकांश विधायक चंडीगढ़ में ही मौजूद हैं। कई विधायकों को जिला संयोजक व प्रभारी की जिम्मेदारी भी दी हुई है। हरिप्रसाद ने जिला प्रभारियों व संयोजकों के साथ पहले ज्वाइंट बैठक की। इसके बाद उन्होंने जिलावार नेताओं के साथ बातचीत की।
नई दिल्ली में कर चुके बैठक
पिछले सप्ताह बीके हरिप्रसाद हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं के साथ नई दिल्ली में भी बैठक कर चुके हैं। सीएलपी लीडर, प्रदेशाध्यक्ष व संगठन गठन को लेकर उन्होंने हरियाणा के नेताओं से बातचीत की थी। इतना ही नहीं, वे अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी दे चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी नेतृत्व ने हरिप्रसाद को चंडीगढ़ भेजा है। चंडीगढ़ भेजने के पीछे भी मुख्य मकसद चुनाव में हार के कारणों का पता लगाना है।
लटका सकता है सीएलपी का फैसला
जिस तरह से नेतृत्व की ओर से नए सिरे से कवायद शुरू की है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि सीएलपी लीडर का फैसला और भी लटक सकता है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी हरियाणा में इन दिनों काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी वजह से फैसले में देरी भी हो रही है। बीके हरिप्रसाद बुधवार को भी चंडीगढ़ में नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इसके बाद वे राहुल गांधी को अपनी रिपोर्ट देंगे। उनकी रिपोर्ट के बाद नेतृत्व अगला फैसला लेगा।
पहले भी जाने गए कारण
हरियाणा में दस वर्षों की सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी भी थी और कांग्रेस के प्रति पॉजिटिव माहौल भी था। इसके बाद भी कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई। वहीं, भाजपा ने पिछले दो चुनाव से भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 48 सीटों के साथ तीसरी बार सरकार बनाई। नतीजों के बाद नेतृत्व ने वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा भेजा था। दिल्ली में भी बैठकें हुईं। हार के कारणों की समीक्षा भी की गई। लेकिन नेतृत्व की ओर से फिर भी कोई फैसला नहीं लिया गया।
हुड्डा ने भी की मुलाकात
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी विधानसभा सत्र के बाद कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। बीके हरिप्रसाद से मुलाकात करने के बाद वे निकल गए। बताते हैं कि 20 के करीब विधायकों ने हरिप्रसाद से मुलाकात की। इनमें से कई विधायक ऐसे हैं, जो जिला प्रभारी व संयोजक भी हैं। हुड्डा खेमे के अधिकांश विधायक पूर्व मुख्यमंत्री को ही विधायक दल का नेता बनवाना चाहते हैं।
11 सालों से संगठन नहीं
कांग्रेस नेताओं ने प्रभारी के सामने खुलकर कहा कि पिछले 11 वर्षों से राज्य में बिना संगठन के पार्टी चल रही है। 2014 में डॉ़ अशोक तंवर के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने संगठन को भंग किया था। उनके बाद कुमारी सैलजा भी प्रधान रही और अब चौ़ उदयभान को भी दो साल से अधिक का समय हो गया है। लेकिन पार्टी का संगठन नहीं बन पाया। नेताओं ने कहा कि ग्राउंड में बिना संगठन के लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।