लखनऊ2 मिनट पहले
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लखनऊ के विराम खंड स्थित लिटिल चैंप्स स्कूल में में लोक संस्कृति शोध संस्थान की ओर से फागोत्सव आयोजित किया गया। यहां के लोगों ने ढोल-मजीरे के साथ रंगों में सराबोर होकर होली खेली। फाग के पारंपरिक गीतों की धुन में सभी ने खूब आनंद लिया।
होली के बहाने सामाजिक बंधनों की मुक्ति का संदेश
इस अवसर पर कला समीक्षक डॉ. एसके गोपाल ने कहा कि होली के इस पर्व के दौरान समाज के कई प्रतिबंधों और मर्यादाओं के बंधन टूटते हैं। ये दिन हमें खुला आकाश, उल्लास और खुशी का एहसास कराता है। होली दुखी और निराश जीवन में भी रंग भरने भरती है।
देवताओं की होली से शुरू की बैठकी
होली की इस बैठकी का उद्घाटन सौम्या गोयल, प्रवीन गौर, माधुरी सोनी और उनके साथी कलाकारों ने गणेश, शिव, काली, हनुमान और राम की होली से किया। नृत्य गुरु निवेदिता भट्टाचार्य के निर्देशन में सुमन मिश्रा, मीहिका, अविका, विनीता मिश्रा, अथर्व श्रीवास्तव, आद्रिका मिश्रा, अव्युक्ता, गुनाश्री, संस्कृति और श्रीयादीप ने दिल छू लेने वाला नृत्य प्रस्तुत किया।

लोक संस्कृति शोध संस्थान से जुड़े लोगों ने गोमती नगर में होली मनाई। यहां के एक स्कूल के बच्चों के साथ बैठकी कर उन्हें लोक पर्वों के बारे में बताया।
प्रसिद्ध गायकों ने सजाई महफिल
इस दौरान विभिन्न गायकों ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। रश्मि उपाध्याय ने ‘मोरे सैंया सनेहिया ना आये’, नीलम वर्मा ने ‘नंदलाला मारे जायें केसर के फूलवा’, डॉ. उषा बाजपेयी ने ‘आज होली नये रंग की है’, अंजलि सिंह ने ‘मति मारो दृगन की चोट’ जैसे गीतों से महफ़िल को गर्माया। वहीं, शशि सिंह, कुमकुम मिश्रा, रचना गुप्ता और ज्योति किरन रतन ने भी अपने गीतों से आयोजन को जीवंत किया।
समारोह में प्रमुख अतिथि शामिल हुए
इस आयोजन के अंत में गुलाल उड़ाकर सभी ने एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं। इस शानदार आयोजन के संयोजन का जिम्मा ऋचा माथुर, संस्थान के अध्यक्ष जीतेश श्रीवास्तव और सचिव डा. सुधा द्विवेदी ने बखूबी निभाया।कार्यक्रम में पूर्व पुलिस महानिदेशक असित कुमार पाण्डा, आईएफएस रवीन्द्र. एन, गीता रवि, समाजसेवी अनूप गुप्ता और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में रंग-रंग का हिस्सा लिया।