ram navami on 6th April, chaitra navratri significance in hindi, lesson of ramayana, Lord Hanuman story | हनुमान जी की सीख: जानिए बड़े काम की शुरुआत करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

Actionpunjab
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10 घंटे पहले

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अभी चैत्र नवरात्रि चल रही है और 6 अप्रैल को रामनवमी है। इन दिनों में देवी पूजा के साथ ही रामायण का पाठ करने की भी परंपरा है। जो लोग पूरी रामायण नहीं पढ़ पाते हैं, इन्हें रामायण के किस्से पढ़-सुन सकते हैं। रामायण के किस्सों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे होते हैं, इन सूत्रों को जीवन में उतार लेने से हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। यहां जानिए हनुमान जी का एक ऐसा किस्सा, जिसमें भगवान ने बताया है कि बड़े काम की शुरुआत करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…

रामायण में सीता जी की खोज करते हुए वानरों का एक दल दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे पहुंच गया था। इस दल में हनुमान, अंगद और जामवंत भी थे। वानरों को जटायु के भाई संपाती ने बता दिया था कि देवी सीता लंका में हैं। अब हनुमान जी, जामवंत, अंगद और अन्य वानरों के सामने ये प्रश्न था कि लंका जाकर देवी सीता की खोज करेगा?

बहुत विचार-विमर्श करने के बाद ये तय हुआ कि हनुमान लंका जाएंगे। हनुमान जी को लंका जाकर देवी सीता की खोज करनी थी, ये बहुत बड़ा काम था। हनुमान जी ने देवी सीता को देखा भी नहीं था, ऐसे में ये काम बहुत मुश्किल भी था।

लंका जाने से पहले हनुमान जी ने तीन काम किए। पहला, सभी वानरों को प्रणाम किया। हनुमान जी के लिए काम करना जरूरी नहीं था, क्योंकि कुछ तो उनसे बहुत छोटे थे और कम योग्य थे, फिर भी उन्होंने सभी को मान देने के लिए सभी को प्रणाम किया। दूसरा काम, जामवंत की बातें ध्यान से सुनीं, जामवंत से मार्गदर्शन लिया। तीसरा काम, भगवान श्रीराम को हृदय में रखा यानी भगवान का ध्यान किया और फिर लंका की ओर उड़ान भरी।

इन तीनों कामों के बाद हनुमान जी ने सभी वानरों से कहा कि मेरा मन बहुत प्रसन्न है। जब तक मैं काम करके लौटूंगा, तब तक आप यहीं रहें।

हनुमान जी की सीख

जब भी कोई बड़ा काम करना हो तो विनम्रता, गंभीरता और प्रसन्नता स्वभाव में होनी चाहिए। विनम्रता ये थी कि हनुमान जी ने सभी वानरों को प्रणाम किया। गंभीरता ये थी कि उन्होंने बूढ़े और अनुभवी जामवंत की बातें ध्यान से सुनीं। प्रसन्नता ये थी कि उन्होंने भगवान को हृदय में रखा। इन तीन बातों से आत्मविश्वास जागा। हनुमान जी को अपनी कार्यशैली पर भरोसा था कि मैं सफल हो जाऊंगा। हमें भी काम की शुरुआत में ये 3 बातें अपने स्वभाव में रखनी चाहिए।

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