PM Narendra Modi Thailand Visit; Paetongtarn Shinawatra | Political Dynasty | ट्रक में ठूंसकर 78 मुस्लिमों को मार दिया था: थाईलैंड में अलग देश की मांग खत्म की, कौन है शिनवात्रा फैमिली, जिससे मिलेंगे मोदी

Actionpunjab
14 Min Read


बैंकॉक15 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

साल 2004 की बात है। थाईलैंड के दक्षिणी हिस्से में अलग मुस्लिम देश ‘पट्टानी’ के लिए भारी प्रदर्शन हो रहे थे। मुस्लिम बहुल नरथिवात राज्य में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 6 लोगों को गिरफ्तार किया। 25 अक्टूबर को इनकी रिहाई के लिए 2000 से ज्यादा मुस्लिम एक पुलिस स्टेशन में इकट्ठा हो गए।

अलगाववादियों और पुलिस में टकराव तेज हुआ। तब पीएम रहे थाकसिन शिनवात्रा ने इसे सख्ती से कुचलने का आदेश दिया। पुलिस ने हजारों लोगों को जबरन पकड़कर, उन्हें निर्वस्त्र किया और उनके हाथ पीठ के पीछे बांध दिए। उन्हें 26 ट्रकों में ठूंसकर 150 किमी दूर एक आर्मी कैंप भेज दिया गया।

7 घंटे बाद जब उन्हें कैंप में उतारा गया तो इनमें से 78 की दम घुटने से मौत हो चुकी थी। इस घटना से थाईलैंड सरकार की काफी आलोचना हुई। अलगाववादियों का समर्थन कर रहे मलेशिया ने भी इस पर नाराजगी जताई। लेकिन, इस घटना ने थाईलैंड की बौद्ध बहुल जनता के बीच थाकसिन को लोकप्रिय बना दिया। उन्हें लगा कि थाकसिन ही वो शख्स हैं जो देश को एकजुट रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

इन्हीं थाकसिन की बेटी पाइतोंगतार्न शिनवात्रा थाईलैंड की पीएम हैं, जिनसे पीएम मोदी थाईलैंड की यात्रा के दौरान मुलाकात करेंगे। थाकसिन शिनवात्रा का परिवार देश में सबसे ताकतवर और प्रभावशाली है। पुलिस की नौकरी करने वाले थाकसिन शिनवात्रा इतने ताकतवर कैसे हुए, स्टोरी में जानेंगे…

गृहयुद्ध से चीन की हालत खराब हुई तो परदादा थाईलैंड आए

साल 1850 की बात है। चीन में होंग शिउचुआन नाम के एक शख्स ने बौद्ध धर्म के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। होंग खुद को ईसा मसीह का छोटा भाई बताता था। उसने किंग राजवंश के खिलाफ बगावत कर चीन के दक्षिणी इलाके को हड़पने की कोशिश की।

इससे देश में भीषण गृहयुद्ध शुरू हो गया और इसमें 2 करोड़ लोग मारे गए। देश की हालत खराब हो चुकी थी। ऐसे में सेंग साएखु नाम के एक शख्स ने देश छोड़ दिया और सियाम चले आए। तब थाईलैंड को सियाम कहा जाता था। सेंग ने रेशम के कपड़े का बिजनेस शुरू किया और खूब तरक्की की।

1938 में साएखु परिवार ने थाई संस्कृति में घुलने-मिलने के लिए ‘शिनवात्रा’ टाइटल अपना लिया। थाकसिन साएखु परिवार के पांचवीं पीढ़ी के वंशज हैं। थाकसिन का जन्म 1949 में हुआ। थाकसिन के दादा चियांग साएखु परिवार के रेशम बिजनेस को और आगे ले गए और ‘शिनवात्रा सिल्क्स’ की स्थापना की।

थाकसिन के पिता लोएट शिनवात्रा ने भी अपने फैमिली बिजनेस को और आगे बढ़ाया। साथ ही राजनीति से भी जुड़े। लोएट 1968 से 1976 तक सांसद भी रहे। इससे थाकसिन को कम उम्र में ही राजनीतिक पहचान मिल गई।

पुलिस से बिजनेस में एंट्री, सबसे अमीरों की लिस्ट में शामिल

थाकसिन ने 1973 में रॉयल थाई पुलिस में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वे स्कॉलरशिप पर अमेरिका गए और वहां क्रिमिनल जस्टिस में मास्टर्स और डॉक्टरेट हासिल की। फिर वे थाईलैंड आए और पुलिस विभाग में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचे।

पुलिस में रहते हुए थाकसिन की मुलाकात पोटजमान नावादमरोंग से हुई और दोनों ने परिवार की रजामंदी से साल 1976 में शादी कर ली। थाकसिन की पत्नी बेहद अमीर घराने से थीं। उनकी नानी का संबंध राजपरिवार से था।

कुछ साल पुलिस की नौकरी करने के बाद थाकसिन ने 1987 में पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे दिया और टेलीकम्युनिकेशन बिजनेस से जुड़ गए। पुलिस में अच्छे पद पर रहे होने, ताकतवर परिवार का दामाद होने और पिता के राजनीति में होने का उन्होंने खूब फायदा उठाया।

उनकी कंपनी शिन कॉर्पोरेशन अगले कुछ सालों में देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर बन गई।

थाकसिन की कमाई इतनी बढ़ गई कि वे कुछ ही सालों में देश की सबसे अमीर हस्तियों में शुमार हो गए।

थाकसिन की कमाई इतनी बढ़ गई कि वे कुछ ही सालों में देश की सबसे अमीर हस्तियों में शुमार हो गए।

राजनीति में एंट्री लेते ही विदेश मंत्री बने थाकसिन

पिता के राजनीति में होने की वजह से थाकसिन के अंदर राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पहले से ही मौजूद थीं। उन्होंने साल 1994 में राजनीति में एंट्री ली और पलंग धम्मा पार्टी (PDP) से जुड़े।

इसी साल उन्हें थाईलैंड की गठबंधन सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया। हालांकि वे इस पद पर 3 महीने ही रह पाए और सरकार गिर गई। 1998 में उन्होंने अलग रास्ता अपनाते हुए थाई राक थाई (TRT) पार्टी की स्थापना की। TRT ने 2001 के चुनावों में लगभग आधी सीटें जीत लीं। थाकसिन थाईलैंड के 23वें प्रधानमंत्री बने।

थाकसिन ने गरीबों व ग्रामीण लोगों के लिए सस्ता स्वास्थ्य, कर्ज और विकास योजनाएं शुरू कीं। ये लोग जो राजा को भगवान का अवतार मानते थे, वे अब थाकसिन के करीब आने लगे। इससे राजा के समर्थकों और एक बड़े संपन्न वर्ग को लगा कि थाकसिन की बढ़ती ताकत उनकी पारंपरिक सत्ता को चुनौती दे रही है।

थाकसिन ने 2003 में ड्रग्स के खिलाफ सख्त मुहिम चलाई थी। इस मुहिम को वॉर ऑन ड्रग्स नाम दिया गया। सिर्फ 3 महीने में ड्रग्स कारोबार से जुड़े 2,500 से ज्यादा लोग मार दिए गए। इससे देश में ड्रग इंडस्ट्री की कमर टूट गई। अपराध कम हो गए। आम लोगों में थाकसिन बेहद लोकप्रिय हो गए, लेकिन मानवाधिकारों को लेकर उनकी आलोचना भी खूब हुई।

मुस्लिमों के अलग देश की मांग को सख्ती से कुचला

साल 2004 में दक्षिणी थाईलैंड में मुस्लिम अलगाववादी विद्रोह तेज हो गया था। वे कई दशकों से मुस्लिमों के लिए अलग ‘पट्टानी देश’ की मांग कर रहे थे। इसे पड़ोसी मुस्लिम बहुल देश मलेशिया का छुपा समर्थन मिल रहा था।

इसी से जुड़े मामले में अलगाववादियों और पुलिस में टकराव हो गया। थाकसिन ने इसे सख्ती से कुचलने का आदेश दिया। एक ही दिन में 85 मुस्लिम अलगाववादियों की मौत हो गई। इसमें से 78 दम घुटने से मारे गए जबकि 7 की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

प्रदर्शनकारियों को ट्रक में ले जाने से पहले उनके कपड़े उतार दिए गए और हाथ पीठ के पीछे बांध दिए गए।

प्रदर्शनकारियों को ट्रक में ले जाने से पहले उनके कपड़े उतार दिए गए और हाथ पीठ के पीछे बांध दिए गए।

इस घटना की वजह से थाकसिन सरकार की काफी आलोचना हुई। मलेशिया ने भी इस पर नाराजगी जताई, लेकिन बौद्ध बहुल जनता ने उनका समर्थन किया। उन्हें लगा कि थाकसिन देश को एकजुट और मजबूत रख सकते हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

इस घटना के एक साल के बाद 2005 में थाईलैंड में आम चुनाव हुए जिसे शिनवात्रा ने आसानी से जीत लिया। शिनवात्रा की पार्टी ने 500 में से 377 सीटें जीतीं और वे दोबारा पीएम बने। इसी बीच साल 2006 में थाकसिन ने शिन कॉर्पोरेशन में 49% की हिस्सेदारी एक सिंगापुर की कंपनी को 1.9 बिलियन डॉलर में बेच दी। इसके लिए थाकसिन ने जनवरी 2006 में ही एक कानून बनाया था।

नियमों के मुताबिक इस डील में थाकसिन को कोई प्रॉफिट टैक्स नहीं चुकाना पड़ा। इसे लेकर थाकसिन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा।

थाकसिन ने राजा से दुश्मनी मोल ली, तख्तापलट हुआ

इसी दौरान थाईलैंड में पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी (PAD) नाम के संगठन की स्थापना हुई। इससे जुड़े लोग पीले कपड़े पहनकर सरकार के खिलाफ रैलियां निकालने लगे। इसे यलो शर्ट्स आंदोलन कहा गया।

इससे देश में राजनीतिक अशांति पैदा हो गई। थाकसिन ने संसद भंग कर दी और फिर से चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। विपक्ष ने इस चुनाव का बहिष्कार कर दिया। ऐसे में थाकसिन की पार्टी आसानी से चुनाव जीत गई, लेकिन अदालत ने इस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। तत्कालीन राजा भूमिबोल अदुल्यदेज ने इसे अलोकतांत्रिक बताया और देश में फिर से चुनाव कराने का आदेश दिया।

देश में थाकसिन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और तेज हो गया। थाकसिन फिर भी पद पर बने रहे। इसी बीच थाकसिन संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क गए। मौका पाकर 19 सितंबर 2006 को सेना ने तख्तापलट कर उनकी सरकार गिरा दी। उनकी पार्टी TRT को भंग कर दिया गया और उन्हें राजनीति से प्रतिबंधित कर दिया गया।

थाकसिन के तख्तापलट के बाद उनके समर्थकों ने यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी अगेंस्ट डिक्टेटरशिप (UDD) संगठन की स्थापना की। इससे जुड़े लोग लाल रंग के कपड़े पहनकर थाकसिन के समर्थन में रैलियां निकालने लगे। इसे रेड शर्ट्स आंदोलन कहा गया।

थाकसिन ने विदेश में रहकर चलाई देश की राजनीति

थाकसिन को देश लौटने पर गिरफ्तारी का खतरा था। उन्होंने विदेश में शरण ले ली और दुबई में 15 साल तक निर्वासन में रहे। इस दौरान भी थाकसिन का असर थाईलैंड की राजनीति में बना रहा। उनकी गैरमौजूदगी में उनकी छोटी बहन यिंगलक शिनवात्रा ने 2011 में राजनीति में कदम रखा।

उन्होंने फ्यू थाई पार्टी का नेतृत्व किया। यिंगलक ने भारी बहुमत से चुनाव जीता और थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनकी सरकार ने थाकसिन की नीतियों को ही आगे बढ़ाया। 2014 में यिंगलक के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इसके चलते सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया।

यिंगलक पर चावल सब्सिडी घोटाले का आरोप लगा और 2017 में उन्होंने भी थाईलैंड छोड़ दिया। थाकसिन और यिंगलक दोनों निर्वासन में थे। हालांकि इस दौरान उनका राजनीति में प्रभाव बना रहा। इस दौरान फ्यू पार्टी लगातार चुनावों में मजबूत बनी रही।

15 साल के निर्वासन के बाद थाकसिन ने 2023 में वापस थाईलैंड लौटने का फैसला किया। उन्हें कुछ ही दिनों में शाही माफी मिल गई। 2023 में उनकी फ्यू थाई पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई और थाकसिन के करीबी माने जाने वाले स्रेथा थाविसिन प्रधानमंत्री बने।

हालांकि 1 साल बाद ही कैबिनेट में एक क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले वकील को शामिल करने के आरोप में कोर्ट ने थाविसिन को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया। इसके 2 दिन बाद थाकसिन की बेटी पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को देश का नया PM बनाया गया। हालांकि पाइतोंग्तार्न को थाकसिन शिनवात्रा की ‘कठपुतली’ कहा जाता है।

पिता थाकसिन के साथ पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा। (फाइल फोटो)

पिता थाकसिन के साथ पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा। (फाइल फोटो)

आमतौर पर तख्तापलट में जो भी लोग पद से हटाए जाते हैं। उन्हें राजनीति से बाहर कर दिया जाता है। वे कमजोर हो जाते हैं, लेकिन थाकसिन की ताकत बरकरार रही। 2 तख्तापलट झेलने के बाद भी वे अपने दोस्त और बेटी को प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हुए। यही वजह है कि उनके विरोधी भी दबे स्वरों में उन्हें रियल फाइटर मानते हैं।

थाइलैंड में राजा को ‘राम’ कहने के पीछे की कहानी

थाईलैंड में बौद्ध धर्म प्रमुख है, लेकिन उसकी संस्कृति पर हिंदू धर्म का गहरा प्रभाव है। रामायण थाईलैंड में बहुत लोकप्रिय है और इसे थाई भाषा में ‘रामकियन’ कहा जाता है। रामकियन को थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रंथ माना जाता है। रामायण में भगवान राम को एक आदर्श राजा माना जाता है। थाई राजा अपने आपको इस छवि से जोड़ते हैं, इसलिए उन्हें ‘राम’ की उपाधि दी गई।

थाईलैंड में राजा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और राम विष्णु के सातवें अवतार हैं। थाईलैंड का राष्ट्रीय चिह्न गरुड़ (विष्णु की सवारी) है, जो राम से जुड़ा है और राजशाही की शक्ति का प्रतीक है।

थाईलैंड में फिलहाल चक्री वंश के राजा हैं। इस वंश की स्थापना 1782 में फ्रा बुद्ध योद्फा चुलालोक ने की थी। उन्हें रामा प्रथम नाम दिया गया। तब से हर राजा के साथ राम जोड़ा जाने लगा। जब राम प्रथम ने बैंकॉक को राजधानी बनाया, तो उन्होंने रामकियन को बढ़ावा दिया। वर्तमान राजा महा वजिरालोंगकोर्न को रामा X कहा जाता है, क्योंकि वे वंश के दसवें राजा हैं।

थाईलैंड के नौंवे राजा महा वजिरालोंगकोर्न अपनी पत्नी से गिफ्ट लेते हुए।

थाईलैंड के नौंवे राजा महा वजिरालोंगकोर्न अपनी पत्नी से गिफ्ट लेते हुए।

———————————

सोर्स लिंक-

  1. 1. https://www.aljazeera.com/news/2023/8/22/profile-billionaire-and-former-thai-pm-thaksin-shinawatra
  2. 2. https://www.hrw.org/news/2014/10/25/thailand-no-justice-10-years-after-tak-bai-killings
  3. 3. https://www.crisisgroup.org/asia/south-east-asia/thailand/southern-thailand-problem-paramilitaries
  4. 4. https://www.aljazeera.com/news/2024/2/19/as-thailands-thaksin-goes-free-questions-about-his-political-future-loom
  5. 5. “God’s Chinese Son: The Taiping Heavenly Kingdom of Hong Xiuquan” by Jonathan D. Spence

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *