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आपके दूध में पानी या यूरिया है
घी में तेल या आलू की मिलावट है
मिठाई में इस्तेमाल मावा मिलावटी है
…तो आसानी से आप इस शक को दूर कर सकते हैं। बस एक सैंपल लीजिए और अपने नजदीकी राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) की लैब पर पहुंच जाइए। वहां आप इस सैंपल की फ्री में जांच करा सकेंगे। आपको तुरंत आपके मोबाइल पर जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। जिससे पता चल जाएगा कि सैंपल मिलावटी है या नहीं और अगर है तो कितनी मिलावट है?
आरसीडीएफ ने दूध और दूध से बने उत्पादों में मिलावट को जड़ से समाप्त करने की दिशा में ये पहल की है। भास्कर रिपोर्टर ने जयपुर स्थित आरसीडीएफ की लैब में जाकर सैंपल ले जाने से लेकर रिपोर्ट आने तक का पूरा प्रोसेस जाना।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

कैसे कराएं जांच?
- चाहे किसी भी ब्रांड का घी या दूध हो, उपभोक्ता को बस 50 एमएल का सैंपल लेकर आरसीडीएफ के लैब में पहुंचना है।
- घी-दूध की जांच कराने के लिए नाम, मोबाइल नंबर और घर का पता जैसी बेसिक जानकारी देनी होगी।
- अत्याधुनिक मशीनों द्वारा आपके दिए हुए सैंपल की जांच की जाएगी।
- एक दिन में आपको वॉट्सऐप पर जांच रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
- रिपोर्ट से पता चल जाएगा कि सैंपल मिलावटी है या नहीं और अगर है तो कितनी मिलावट है?
- इसमें ध्यान रखने की बात ये कि अगर सैंपल में मिलावट पाई जाती है और आप दोषी पर आगे की कानूनी कार्रवाई करना चाहते है तो बिल जरूर साथ लेकर जाएं।
- इस पूरी जांच के लिए आपको किसी तरह की कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी।

कैसे होती है जांच?
सैंपल को उच्च तकनीक वाली मशीनों में रखा जाता है, जिससे उसमें मौजूद तत्वों का विश्लेषण किया जाता है। पहले सैंपल को निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है, ताकि मिलावट की पहचान आसान हो सके।
मशीन की सहायता से दूध में मौजूद मिलावट तत्वों का पता लगाया जाता है, चाहे वह पानी हो या कोई अन्य हानिकारक पदार्थ।
लगभग आधे सैंपल जांच में सब-स्टैंडर्ड पाए गए
आरसीडीएफ ने राजस्थान भर में जनवरी में कुल 10,094 सैंपल लिए, जिनमें से 4,837 सैंपल सब-स्टैंडर्ड पाए गए। इनमें ऐसे तत्व मिले जो स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक नहीं थे, लेकिन निर्धारित मापदंडों पर खरे नहीं उतरते थे। इनमें पानी की मिलावट भी शामिल थी।
वहीं, 140 सैंपल एडल्टरेटेड पाए गए। यानी इनमें स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक तत्व मौजूद थे। इसी तरह, 24 मार्च से 2 अप्रैल तक कुल 1,063 सैंपल लिए गए, जिनमें से 369 सब-स्टैंडर्ड और 11 एडल्टरेटेड पाए गए।

लैब में एडवांस मशीनों से 25 तरह की मिलावट की जांच की जा सकेगी।
कौन-कौन सी मिलावट की जांच संभव?
वर्तमान में प्रयोगशाला में कुल 25 प्रकार की मिलावट की जांच की जा रही है, लेकिन आने वाले समय में यह संख्या 36 तक बढ़ाई जाएगी।
- मिलावटी फैट : फूड प्रोडक्ट में मिलावटी फैट है तो विटामिन ए, डी नहीं मिल पाएंगे।
- एसिडिटी : जब दूध में अम्ल बनने लगता है तो उसमें खटास आ जाती है। जिससे पीएच लेवल भी खराब हो जाता है। ये दूध स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
- लैक्टोज : एनर्जी देने का काम करता है अगर ये कम मात्रा में होगा तो एनर्जी कम मिलेगी।
- पीएच : दूध का स्टैंडर्ड पीएच 6.7-6.9 के बीच होता है। दुध की प्रोसिसिंग नहीं की जाती तो उसमें खट्टापन बढ़ता जाता है और पीएच लेवल बढ़ जाता है, जो हानिकारक है।
- अमोनियम कार्बोनेट : फैट बढ़ाने के लिए एड किया जाता है। इससे मैटाबॉलिज्म पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। डायरिया होने का खतरा रहता है।
- कैल्शियम : ये कम होगा तो हड्डियों पर विपरित प्रभाव पड़ेगा।

जांच पूरी तरह से फ्री होगी और एक दिन में रिपोर्ट उपभोक्ता के वॉट्सऐप पर भेज दी जाएगी।
- मेलामाइन : प्रोटीन को रिप्लेस करने के लिए डाला जाता है। स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है।
- सॉर्बिटोल : ये कफ सिरप में भी उपयोग लिया जाता है। इससे भी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
- स्टार्च : ये कॉर्बोहाइड्रेट है, इसकी मिलावट करना अपराध है।
- सुक्रोज :अगर दुध में थोड़ा बहुत कड़वापन होता है तो मिठास के लिए इसे डाला जाता है। इससे पेट संबधी बीमारियां हो सकती हैं।
- सल्फेट : ये भी शरीर के लिए नुकसानदायक है। कैंसर की वजह बन सकता है।
- यूरिया : किडनी खराब करती है। ब्रेन को डेमेज कर सकती है
- वेजिटेबल ऑयल : शरीर के लिए हानिकारक है।

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