Rajasthan Pashu Parichar Result 2025 Explained | Normalization Formula | पशु परिचर भर्ती- मेरिट में सबसे ज्यादा छठी पारी के: 6433 पदों के लिए 4 लाख की मेरिट क्यों? जानिए- हर सवाल का जवाब – Rajasthan News

Actionpunjab
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राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से पशु परिचर भर्ती परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने के बाद से विवाद बढ़ गया है। बोर्ड ने भर्ती के लिए स्वीकृत 6433 पदों से करीब 60 गुना ज्यादा यानी करीब 4 लाख अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट जारी की है। ऐसे में अभ्यर्थी सिलेक्

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एग्जाम 6 पारियों में अलग-अलग पेपर से हुआ था। इसको लेकर भी विवाद है। अभ्यर्थियों का कहना है कि कुछ पारियों में पेपर जरूरत से ज्यादा सरल था। आरोप है कि छठी पारी से सबसे ज्यादा अभ्यर्थियों का सिलेक्शन किया गया है।

उधर, बोर्ड ने परीक्षा के परिणाम का समान लेवल पर रखने के लिए नॉर्मलाइज़ेशन फाॅर्मूले का उपयोग किया है। अभ्यर्थी इस फाॅर्मूले में भेदभाव और रिजल्ट में धांधली का आरोप लगा रहे हैं।

भास्कर ने विवाद को लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमैन मेजर आलोक राज से बात की। वो सभी सवाल पूछे, जिनके जवाब अभ्यर्थी जानना चाहते हैं।

पढ़िए इस रिपोर्ट में…

सवाल : अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुछ पारियों में पेपर सरल था और कुछ में मुश्किल, सच क्या है? जवाब : पशु परिचर भर्ती परीक्षा 6 पारियों में हुई थी। ऐसे में यह संभव नहीं हो सकता कि हर पारी का पेपर समान तरह से बनाया जा सके। कोई पेपर सरल आ जाता है और कोई पेपर टफ बन जाता है। यही अंदर उनके नम्बर पर नजर आता है। किसी पारी का स्कोर ज्यादा होता है तो किसी पारी के नम्बर का स्कोर कम रह जाता है। इसके चलते नॉर्मलाइजेशन कर सभी पेपर को पेरेलल कर दिया जाता है। उसके लिए एक फाॅर्मूला बना हुआ है। उसी फाॅर्मूला का उपयोग पहले भी राजस्थान में कई परीक्षा में किया जा चुका है।

सवाल : नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला क्या है? जवाब : नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूला में सभी पारियों के मार्क्स को चेक किया जाता है। उनके नम्बर का नील निकाला जाता है। स्टैटिक्स वैलिडेशन निकाला जाता है। उस फॉर्मूले से स्टैटिक्स के एक्सपर्ट नॉर्मलाइजेशन करते हैं और बताते हैं कि किस पारी में कितने नम्बर जुडेंगे और किस पारी में कितने नम्बर को घटाया जाएगा। इस फाॅर्मूले को कर्मचारी चयन बोर्ड पहले भी उपयोग में ले चुका है।

सवाल : फिर फॉर्मूले को लेकर विवाद क्यों है? जवाब : विवाद इसलिए हो रहा है कि अभ्यर्थियों को लगता है कि इस फाॅर्मूले से कुछ शिफ्ट के अभ्यर्थियों को फायदा हो रहा है और कुछ शिफ्ट के अभ्यर्थियों को नुकसान हो रहा है। उनका विचार कुछ हद तक सही हैं, लेकिन दूसरी शिफ्ट के बच्चे भी पास हुए हैं। यह पहले से बनाई हुई प्रणाली है। इसको हमने इस्तेमाल किया है। हम अपनी मर्जी से प्रणाली को बदल नहीं सकते। इसी फाॅर्मूले के आधार पर रिजल्ट जारी किया गया है।

सवाल : कौन-कौन सी भर्ती में पहले भी नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला इस्तेमाल किया जा चुका है? जवाब : राजस्थान में पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, सीईटी परीक्षा में इसका उपयोग किया जा चुका है। इस फाॅर्मूले में थोड़ा डिफरेंस आ जाता है। मुझे लगता है कि इसमें कुछ तो सुधार करने की जरूरत है। आगे की परीक्षा में वह सुधार लाने का भी प्रयास किया जाएगा।

सवाल : पहली पारी में पेपर देने वाले अभ्यर्थी कम सिलेक्ट हुए, जबकि छठी पारी में परीक्षा देने वाले ज्यादा…इसका कारण? जवाब : नॉर्मलाइजेशन किया गया तो एक पारी में अभ्यर्थियों के नम्बर कम हुए और दूसरी पारी वालों के बढ़ गए। इसी वजह से अभ्यर्थियों को लग रहा है कि नॉर्मलाइजेशन की वजह से उनके नम्बर कम हो गए और वह मेरिट से बाहर हो गए।

रिजल्ट के बाद से अभ्यर्थियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दाेबारा रिजल्ट जारी करने की मांग की जा रही है।

रिजल्ट के बाद से अभ्यर्थियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दाेबारा रिजल्ट जारी करने की मांग की जा रही है।

सवाल : पद 6433 हैं और मेरिट लिस्ट में 4 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी हैं। सिलेक्शन कैसे होगा? जवाब : पास तो पहले भी पदों से ज्यादा ही किए जाते थे। इस बार मेरिट लिस्ट को ज्यादा दिखाया है। हर परीक्षा में जो बच्चे क्वालिफाइड करते हैं,उनका रिजल्ट जारी किया जाता है।

2024 से हमने मेरिट की पूरी लिस्ट जारी करना शुरू कर दिया है। यह परिणाम में पारदर्शिता लाने के लिए किया गया है, ताकि हर बच्चे को पता रहे कि वह मेरिट में कहां खड़ा है? उसका लेवल ऑफ प्रिपरेशन कितना था, ताकि आगे परीक्षा और पढ़ाई जारी रखने में उसे मदद मिले। दूसरा अभ्यर्थियों को दलाल झांसा नहीं दे कि उसका सिलेक्शन करा दिया जाएगा।

हमने सभी क्वालीफाई करने वालों का परिणाम जारी किया है। इसका मतलब ये नहीं है कि सबका सिलेक्शन होगा। सिलेक्शन उन्हीं का होगा, जो टॉप में हैं।

सवाल : सभी पेपर में काफी सवाल रिपीट हुए हैं, क्या कारण रहा? जवाब : एक ही परीक्षा के एक से ज्यादा पेपर बनाते हैं, तब यह परेशानी आ जाती है। इससे कुछ बच्चों को इसका नुकसान होता है। इसी नुकसान को रोकने के लिए नॉर्मलाइजेशन का फाॅर्मूला अपनाया जाता है।

हमारी तरफ से इस परीक्षा में पूरी पारदर्शिता थी। हमने इस परीक्षा के लिए 8 पेपर बनाए थे। हर पारी के लिए रेंडम पेपर निकाले थे। किसी भी पारी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया गया है। इसके साथ ही हर पारी में अभ्यर्थियों का परीक्षा और परीक्षा केंद्र का सिलेक्शन भी हमने रेंडम किया है।

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