UK Supreme Court woman based on gender assigned at birth | ब्रिटिश कोर्ट ने कहा- महिला वही जो जन्म से फीमेल: जन्म के समय मिले जेंडर को आधार बनाकर महिला की परिभाषा तय की

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लंदन13 मिनट पहले

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सुनवाई के दौरान महिला अधिकार समूह- फॉर वूमेन स्कॉटलैंड (FWS) की कार्यकर्ता कोर्ट के बाहर मौजूद रहीं। - Dainik Bhaskar

सुनवाई के दौरान महिला अधिकार समूह- फॉर वूमेन स्कॉटलैंड (FWS) की कार्यकर्ता कोर्ट के बाहर मौजूद रहीं।

ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिला की कानूनी परिभाषा पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि समानता कानून के मुताबिक महिला का मतलब उस इंसान से है जो जन्म से महिला यानी बायोलॉजिकल फीमेल है।

ब्रिटिश कोर्ट के इस फैसले को ट्रांसजेंडर अधिकारों के मामले में एक दूरगामी प्रभाव वाले ऐतिहासिक निर्णय के तौर पर देखा जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि ‘समानता अधिनियम 2010’ में ‘महिला’ और ‘लिंग’ शब्द बायोलॉजिकल फीमेल और बायोलॉजिकल जेंडर को बताते हैं। पांचों जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया। जज पैट्रिक हॉज ने यह भी कहा कि यह एक्ट ट्रांसजेंडर लोगों को उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव से संरक्षण देता है।

ब्रिटेन के लंदन में पार्लियामेंट स्क्वायर पर महिला अधिकार समूह के सपोर्ट में खड़ी महिलाएं।

ब्रिटेन के लंदन में पार्लियामेंट स्क्वायर पर महिला अधिकार समूह के सपोर्ट में खड़ी महिलाएं।

ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के लिए महिलाओं ने कोर्ट के बाहर जश्न मनाया।

ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के लिए महिलाओं ने कोर्ट के बाहर जश्न मनाया।

पूरा मामला समझिए 2018 में स्कॉटलैंड की संसद ने कानून पास किया था, जिसमें कहा गया था कि स्कॉटिश सार्वजनिक निकायों की बोर्ड में 50% महिलाएं होनी चाहिए। इस कानून के तहत ट्रांसजेंडर महिलाओं को भी महिला माना गया था।

इसे लेकर महिला अधिकार समूह फॉर वूमेन स्कॉटलैंड (FWS) ने सरकार के खिलाफ स्कॉटिश कोर्ट में केस दायर किया था। स्कॉटिश अदालतों ने इस मामले में सरकार का पक्ष लिया। इसके बाद FWS इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।

FWS की को-डायरेक्टर सुजैन स्मिथ ने कहा कि यह वास्तव में बहुत लंबी यात्रा रही है। हम इस फैसले के लिए बहुत आभारी हैं। उन्होंने कहा-

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आज, कोर्ट ने वही कहा है जो हम हमेशा से मानते आए हैं। महिलाएं अब सुरक्षित महसूस कर सकती हैं कि महिलाओं के लिए तय की सर्विसेज और जगह महिलाओं के लिए ही हैं।

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ट्रांस कार्यकर्ता बोलीं- यह फैसला अपमानजनक ट्रांस ब्राडकास्टर और कार्यकर्ता इंडिया विलोबी का कहना है कि आज सुबह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनका दिल टूट गया है। उन्होंने एक लेख में कहा- समानता अधिनियम के तहत एक महिला के तौर पर मेरे अधिकारों को छीन लिया गया है।

इंडिया विलोबी ने कहा कि मुझे और मेरे जैसे अन्य लोगों को यह बताना कि हम महिला नहीं हैं, ऐतिहासिक अन्याय है और आज ट्रांस-विरोधी आवाजों का जश्न मनाना मेरे लिए यह साबित करता है कि मैं सुरक्षित नहीं हूं। यह फैसला अपमानजनक है। मैं हमेशा एक महिला रही हूं और मैं हमेशा एक महिला ही रहूंगी।

हैरी पॉटर की लेखिका ने फैसले का स्वागत किया हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग ने मामले को लेकर FWS का सपोर्ट किया था। उन्होंने X पर पोस्ट लिखकर इस मामले में शामिल सभी महिलाओं की तारीफ की। उन्होंने कहा- इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने के लिए तीन असाधारण महिलाओं की सेना की जरूरत थी और उन्होंने जीत हासिल करके पूरे ब्रिटेन में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा की है।

हैरी पॉटर की लेखिका जेके रोलिंग ने भी इस फैसले का स्वागत किया।

हैरी पॉटर की लेखिका जेके रोलिंग ने भी इस फैसले का स्वागत किया।

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