अनिल विज ने चंडीगढ़ में बिजली अधिकारियों के साथ मीटिंग ली।
हरियाणा में बिजली बिल ज्यादा आने का मुद्दा चर्चाओं की विषय बना हुआ है। किसी उपभोक्ता के 10 से 20 गुना तो किसी के लाखों राशि के बिल आ गए। इससे उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई है कि इतना बिल कैसे भरें। बिजली निगम ऑफिस में चक्कर लगाने के बावजूद भी यह बिल जल्द
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सूत्रों की मानें तो कारण बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में बिजली बिल बनाने का टेंडर निजी कंपनी के पास है। कंपनी के कर्मचारियों ने बिना फील्ड रिपोर्ट के मैनुअल बिल बना दिए। इसका नतीजा ये हुआ कि आनन-फानन में उपभोक्ताओं के गलत बिल बन गए।
इसका खुलासा तब हुआ, जब उपभोक्ता बिल ज्यादा आने पर बिजली निगम ऑफिस में पहुंचना शुरू हो गए। बाद में फिजिकल वेरिफिकेशन करवाई तो किसी की रीडिंग ज्यादा दी हुई है तो किसी का प्रिंट ही गलत कर दिया गया। इसके बाद संबंधित निगम अधिकारियों ने कंपनी के कर्मचारियों से संपर्क साधा।

सिरसा में खंभे पर लगा बिजली मीटर।
अनिल विज ने बिलों की रिपोर्ट तलब की यह मुद्दा विधानसभा में उठ चुका है। इनेलो विधायक ने बिजली बिल ज्यादा आने का विस में भी उठाया था। इसके बाद बिजली मंत्री अनिल विज ने एक्शन लिया। चार दिन पहले ही मंत्री विज ने प्रदेश के सभी ऑपरेशन सर्कल के अधीक्षक अभियंता (एसई) के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग बुलाई थी।
मीटिंग में मंत्री ने सभी एसई से गलत बिलों की रिपोर्ट तलब की थी। उस रिपोर्ट में पता चला कि 57,717 बिजली बिल गलत बने हुए हैं। इस पर मंत्री भड़क गए और कंपनी को भी फटकार लगाई।
मंत्री की कंपनी को एक माह में बिल ठीक करने की चेतावनी उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) में कंपनियों ने कुल करीब 57, 717 बिल गलत बनाए। यूएचबीवीएन में 39477 और डीएचबीवीएन में 18240 गलत बिल मिले हैं। अब मंत्री ने कंपनी को चेतावनी देते हुए एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। तब तक सभी बिल सही करने होगे।

बिजली बिल 37 हजार रुपए ज्यादा आने पर अधीक्षक अभियंता को दी गई शिकायत की कॉपी
उपभोक्ता को नहीं चलता पता अब गांव और शहरों में सभी उपभोक्ताओं के मीटर घरों के बार खंभे पर लगाए हुए हैं। इस वजह से उपभोक्ताओं को भी पता नहीं चलता कि रीडिंग लेने के लिए कर्मचारी आया है या नहीं और न ये पता चलता कि कितनी रीडिंग आई है। पहले घर में लगे मीटरों की रीडिंग लेने का पता चलता था।
कई गुना बिल बनाए जानकारी के अनुसार एक तरह से कंपनी ने दोगुना से तीन गुना तक बिजली बिल बना दिए। अब यह बिजली ठीक नहीं हो पा रहे। कुछ उपभोक्ताओं के बिल दो से तीन माह तक दफ्तरों में चक्कर काटने के बावजूद बिल तो ठीक हो गए। लेकिन फिर भी समझौता करना पड़ा। आखिर किसी को चार से पांच हजार तो किसी को छह से नौ हजार रुपए तक बिल भरना पड़ा।
यह है सिलसिलेवार उपभोक्ताओं की कहानी शिकायत का जवाब नहीं दिया टीम पहुंची कनेक्शन काटने सिरसा के गांव कुम्हारिया निवासी बलबीर सिंह ने बताया कि वह खेतीबाड़ी करते हैं। उनका 37 हजार बिल आया था। बिल देखते ही होश उड़ गए। पहले अक्सर 1500 से दो हजार रुपए बिल आता था। इसके बाद बिजली निगम ऑफिस में चक्कर काटे। स्टाफ बोला कि मीटर जंप कर दिया।बिल न भरा तो अगले बिल में जुड़कर 59 हजार आ गया।
इसकी शिकायत नाथूसरी कलां सब डिवीजन और एसई ऑफिस में की हुई है। इसका जवाब अभी तक नहीं आया। इससे पहले बिजली निगम की टीम उसके घर पर कनेक्शन काटने पहुंच गई। तब उसने यहीं कहा कि पहले शिकायत का जवाब दें। तभी कनेक्शन काटना। इसके बाद टीम चली गई।

बिजली निगम कंपनी की ओर से उपभोक्ता को थमाया गया 59000 हजार का बिल।
ठीक नहीं हुआ तो उधार लेकर 60 हजार रुपए बिल भरा कुम्हारिया निवासी जयवीर सिंह ने बताया 60 हजार रुपए बिल आया था, जिसे देखते हुए होश उड़ गए। पहले घर का बिल 500 से 1500 रुपए तक अधिकतम आता था। इसका पता करने नाथूसरी कलां बिजली निगम के ऑफिस में गया था।
स्टाफ बोला कि यह रीडिंग मीटर ने निकाली हुई है और बताया कि पहले यूनिट चेक किया बिना ही रीडिंग ली हुई थी और उसी का बिल आता था। कर्मचारियों ने कनेक्शन काटने तक की धमकी दी और टीम भी घर आई। बिल तो ठीक नहीं हुआ, पर मजबूरन किसी से 60 हजार रुपए लेकर बिल भरना पड़ा।
अचानक बिल ज्यादा आया तो बढ़ी टेंशन हिसार के डोगरान मोहल्ला निवासी लक्की ने बताया कि इस बार चार माह का 40 हजार बिजली बिल आया था। उसके लिए कई बार ऑफिस में चक्कर काटे, लेकिन बिल ठीक नहीं हो पाया। ऐसे में किसी से पैसे उधार लेकर बिल भरना पड़ा। अचानक बिल ज्यादा आया तो टेंशन बढ़ गई थी।
गलत प्रिंट से बनाया 78 लाख का बिल हिसार के भिवानी रोहिल्ला निवासी बलजीत सिंह ने बताया कि उसका बिल 78 लाख रुपए आया था। बिल देखते ही हैरान रह गया। अगले ही दिन बिजली निगम ऑफिस में गया। कई दिन चक्कर काटे और बताया कि प्रिंट गलत किया हुआ है। आखिर साढ़े छह हजार रुपए बिल भरना पड़ा।
वहीं नाम न छापने की शर्त पर ऑपरेशन सर्कल के एक एसई ने बताया कि सरकार ने कंपनी को सॉफ्टवेयर दिया हुआ है, जिसमें मीटर की रीडिंग देखकर मशीन से ही बिल बना दिया जाता है। कंपनी के कर्मचारी कई बार फील्ड में नहीं जाते। जाते है तो मीटर मैनुअल दिखाकर बिल बनाते हैं। तब यह दिक्कत आती है।

डीएचबीवीएन के पास बिजली मीटरों की जांच के लिए बनी टेस्टिंग लैब।
बिजली निगम सब डिविजन बालसमंद के एसडीओ दिनेश कुमार ने बताया कि मीटर एप पर डाउनलोड है। डेटा सही उठता है। इसमें एक मैनुअल का ऑप्शन भी दिया हुआ है। इसी से कर्मचारी बिल बनाकर देते हैं। बाद में उपभोक्ता ज्यादा बिल आने की शिकायत लेकर ऑफिस में आते हैं। बाद में उनका बिल ठीक करवाने की कोशिश करते हैं। कई बार मीटरों की लैब में जांच करवाते हैं। पहले रिटायर्ड फौजी लेते थे रीडिंग, अब कंपनी ले रही बता दें कि पहले सरकार द्वारा रिटायर्ड सेना के जवान या फौजी के जरिए मीटरों की रीडिंग लेने और बिल पहुंचाने का काम करवाया जाता था। वह जिम्मेदारी के तौर पर फील्ड में मीटरों की रीडिंग रजिस्ट्रर में दर्ज करते और बाद में बिल बनाते थे। तब ऐसी दिक्कत कम आती थी और ज्यादातर सही बनते थे।
वो ही बिल राशि रिकवरी करते थे यानी उपभोक्ताओं द्वारा भरी जाने वाली बिल राशि लेकर निगम को जमा कराते थे। मगर अब सिर्फ सब डिवीजन या डिवीजन स्तर पर बिल राशि जमा करने का काम है। बाकी रीडिंग और बिल बनाने का काम कई सालों से कंपनी को ठेका दिया हुआ है।