The tradition of planting Tulsi in the courtyard of the house, rituals regarding basil plant in home, tulsi puja vidhi | घर के आंगन में तुलसी लगाने की परंपरा: सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास रोज जलाना चाहिए दीपक, बालगोपाल को तुलसी के बिना न लगाएं भोग

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34 मिनट पहले

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घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। तुलसी को पूजनीय और पवित्र माना जाता है, इसे विष्णुप्रिया भी कहते हैं। धर्म के साथ ही वास्तु और आयुर्वेद में भी तुलसी का विशेष महत्व बताया है। कई दवाइयों में तुलसी का इस्तेमाल होता है, इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं, जो हमें स्वास्थ्य लाभ देते हैं। इसके नियमित सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण जैसे ग्रंथों में तुलसी का जिक्र है। शास्त्रों में बताया गया है कि जिन घरों में तुलसी है, वहां स्वयं भगवान विष्णु और समस्त देवता वास करते हैं, महालक्ष्मी ऐसे घरों की ओर आकर्षित होती हैं, जहां तुलसी का पौधा है। तुलसी का नियमित रूप से पूजन करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है और अक्षय पुण्य मिलता है। जानिए तुलसी से जुड़ी खास बातें…

  • वास्तुशास्त्र के अनुसार तुलसी को घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण), पूर्व, या उत्तर दिशा में लगाना सबसे शुभ माना गया है। ये दिशाएं सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और तुलसी उस ऊर्जा को हमारे घर में फैलाने में सहायक होती है।
  • तुलसी का पौधा दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि ये यमराज की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने से बचना चाहिए।
  • ध्यान रखें तुलसी के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तुलसी को घर की छत पर भी रख सकते हैं, लेकिन उसे एक स्वतंत्र चौकी में स्थापित करना चाहिए।
  • तुलसी को एक दिव्य पौधा माना जाता है, इसलिए इसकी देखभाल करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रोज सुबह तुलसी को जल अर्पित करें। शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर तुलसी को चढ़ाना चाहिए।
  • रोज सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाना और आरती करना शुभ माना गया है। एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या और कार्तिक माह में तुलसी का विशेष पूजन करना चाहिए।
  • रोज सुबह तुलसी के पास रंगोली या अल्पना बनाना चाहिए। तुलसी को देवी का स्वरूप माना जाता है और जहां तुलसी का पौधा है, उस जगह को मंदिर के समान पवित्र मानते हैं। इसलिए तुलसी के आसपास का हिस्सा सुंदर, पवित्र और स्वच्छ बनाए रखना चाहिए।
  • ध्यान रखें, रविवार, एकादशी, सूर्यास्त के बाद, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण तुलसी के पत्ते न तोड़ें। इन वर्जित दिनों में तुलसी की जरूरत हो तो तुलसी के पास गिरे हुए पत्ते उठाकर उनका इस्तेमाल पूजा में कर सकते हैं। इन वर्जित दिनों में तुलसी की जरूरत हो तो एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए।
  • तुलसी को कभी भी जूते पहनकर, गंदे हाथों से या किसी अपवित्र स्थिति में न छुएं। तुलसी को सूखने न दें। अगर सूख जाए तो उसे सम्मानपूर्वक नदी में प्रवाहित करें। तुलसी को नियमित रूप से जल जरूर चढ़ाएं। तुलसी के गमले में कांटे वाले पौधे जैसे कैक्टस, एलोवेरा नहीं लगाना चाहिए।
  • तुलसी को आयुर्वेद में मदर ऑफ मेडिसिन्स कहा गया है। इसके कई औषधीय गुण हैं: तुलसी की पत्तियों से बना काढ़ा सर्दी-जुकाम, खांसी, और बुखार में बहुत असरकारक होता है।
  • ये इम्यूनिटी बढ़ाने, डायबिटीज नियंत्रित करने, और पाचन सुधारने में सहायक है। तुलसी हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और हानिकारक बैक्टीरिया को सोखती है, जिससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है।
  • तुलसी के पत्तों को भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। ये केवल भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और उनके अवतारों को अर्पित किए जाते हैं।
  • तुलसी के साथ भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम की प्रतिमा भी रखनी चाहिए। इन दोनों की साथ पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, ऐसी मान्यता है।

तुलसी को कभी भी लापरवाही से न तोड़ें, उसे छूने से पहले क्षमा प्रार्थना मंत्र बोलना चाहिए।

त्वं नमामि तुलसी देवी नारायणप्रियं सदा।

पापं मे हर मे देवी पूजा च स्वीकारय॥

ऐसे कर सकते हैं तुलसी की पूजा

तुलसी पूजा के लिए जरूरी चीजें – दीपक, धूप, अक्षत (चावल), रोली, जल पात्र, गंगाजल, तुलसी मंजरी।

सुबह स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें। तुलसी के सामने दीपक और धूप जलाएं। नीचे ये मंत्र बोलें और जल चढ़ाएं:

तुलस्यै नमः। तुलसी श्रीसविन्ध्याय नमः। विष्णुप्रियायै नमः।

तुलसी की परिक्रमा करें।

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