नई दिल्ली10 मिनट पहले
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निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाने हैं तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने CJI पर भी विवादित टिप्पणी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ दायर अवमानना की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा- याचिका दायर करने के लिए कोर्ट की मंजूरी की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके लिए अटॉर्नी जनरल से इजाजत लेनी होगी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा था कि निशिकांत ने CJI और न्यायपालिका का अपमान किया है। क्या वह निशिकांत के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर कर सकता है। इसके बाद एडवोकेट अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना की इजाजत मांगी।
दरअसल, भाजपा सांसद दुबे ने 19 अप्रैल को कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाने हैं तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने CJI पर भी विवादित टिप्पणी की थी। देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।
कांग्रेस बोली- सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने जो किया है वह असंवैधानिक है।

असम सीएम का कांग्रेस पर पलटवार
असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की टिप्पणियां पार्टी की राय नहीं हैं, बल्कि उनके निजी विचार हैं। नड्डा ने नेताओं से ऐसे बयानों से बचने की सलाह भी दी है। कांग्रेस ने कई बार न्यायपालिका को निशाना बनाया है। उन्होंने इसके उदाहरण देते हुए कहा-
- कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ बिना ठोस सबूत के महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जस्टिस रंजन गोगोई को अयोध्या जैसे ऐतिहासिक फैसलों के बाद आलोचना का सामना करना पड़ा।
- जस्टिस अरुण मिश्रा को उनके फैसलों को लेकर निशाना बनाया गया। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ पर भी विवादास्पद मामलों में फैसलों को लेकर सवाल उठाए गए। वहीं, न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की राज्यपाल नियुक्ति पर कांग्रेस ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए।
निशिकांत ने हिमंत की पोस्ट शेयर कर शायरी लिखी…

अब भाजपा सांसद निशिकांत के हालिया में दिए बयान पढ़ें…
19 अप्रैलः निशिकांत बोले- कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 19 अप्रैल को कहा कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘संसद इस देश का कानून बनाती है। क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे। देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।’ पूरी खबर पढ़ें….

20 अप्रैलः निशिकांत ने कहा- कुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 20 अप्रैल को कहा कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी पर निशाना साधा। भाजपा सांसद ने कहा, ‘वे चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि मुस्लिम आयुक्त थे।’
निशिकांत का यह बयान कुरैशी के वक्फ कानून की आलोचना करने वाली एक पोस्ट के जवाब में आया। कुरैशी ने 17 अप्रैल को X पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘वक्फ संशोधन मुसलमानों की जमीन हड़पने की सरकार की भयानक और शैतानी चाल है।’ पूरी खबर पढ़ें…
दुबे के बयानों से भाजपा ने किनारा किया
सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ निशिकांत दुबे के बयान से भाजपा ने किनारा कर लिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने X पोस्ट में लिखा- भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तफाक रखती है और न ही कभी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है, क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय समेत देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं। संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।
विवाद पर अब तक क्या हुआ…
8 अप्रैल: विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शुरू हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के केस में गवर्नर के अधिकार की सीमा तय कर दी थी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था, ‘राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया था।
इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल की तरफ से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया। पूरी खबर पढ़ें…
17 अप्रैल: धनखड़ बोले- अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 17 अप्रैल को राज्यसभा इंटर्न के एक ग्रुप को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर आपत्ति जताई, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समय सीमा तय की थी।
धनखड़ ने कहा था- “अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं।” पूरी खबर पढ़ें…
18 अप्रैल: सिब्बल बोले- भारत में राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कि जब कार्यपालिका काम नहीं करेगी तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा। भारत में राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया है। राष्ट्रपति-राज्यपाल को सरकारों की सलाह पर काम करना होता है। मैं उपराष्ट्रपति की बात सुनकर हैरान हूं, दुखी भी हूं। उन्हें किसी पार्टी की तरफदारी करने वाली बात नहीं करनी चाहिए।’
सिब्बल ने 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा- ‘लोगों को याद होगा जब इंदिरा गांधी के चुनाव को लेकर फैसला आया था, तब केवल एक जज, जस्टिस कृष्ण अय्यर ने फैसला सुनाया था। उस वक्त इंदिरा को सांसदी गंवानी पड़ी थी। तब धनखड़ जी को यह मंजूर था। लेकिन अब सरकार के खिलाफ दो जजों की बेंच के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं।’ पूरी खबर पढ़ें…
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