Pope Francis Red Shoes Story; Jesus – Vatican City Interesting Facts | Catholic Church | पोप दुनिया के सबसे छोटे देश के राजा: 130 करोड़ ईसाइयों के धर्मगुरु; लाल जूते क्यों पहनते हैं, इसका जीसस से क्या कनेक्शन

Actionpunjab
9 Min Read


वेटिकन22 मिनट पहलेलेखक: लक्ष्मीकांत राय

  • कॉपी लिंक

कैथोलिक ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को ब्रेन स्ट्रोक से निधन हो गया। वे ईसाइयों के धर्मगुरु होने के साथ-साथ वेटिकन देश के राजा भी थे।

वेटिकन दुनिया का सबसे छोटा देश है। आकार सिर्फ 0.49 स्क्वायर किमी, आबादी महज 764 लोगों की। ये इटली की राजधानी रोम के अंदर बसा है। ये इतना छोटा देश है कि दिल्ली में 3 हजार से ज्यादा वेटिकन समा सकते हैं।

ये छोटा सा देश दुनिया की 130 करोड़ कैथोलिक आबादी की आस्था का केंद्र है। पोप यहां के राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं। यानी लगभग भारत की आबादी जितने लोगों के धर्मगुरु। वेटिकन एक साम्राज्य है और पोप यहां के राजा।

पोप कौन होते हैं, इस पद की क्या अहमियत है, वेटिकन देश ही कैथोलिक चर्च का मुख्य केंद्र क्यों है… जानेंगे इस स्टोरी में…

सवाल 1. पोप कौन हैं और क्यों इतने खास होते हैं?

जवाब: पोप कैथोलिक ईसाई धर्म के सबसे बड़े धार्मिक नेता होते हैं। दुनिया में ईसाइयों की संख्या 240 करोड़ है। इनमें से 130 करोड़ कैथोलिक हैं। पोप को सेंट पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। सेंट पीटर को ईसा मसीह ने अपने अनुयायियों का नेतृत्व करने के लिए चुना था। वे पहले पोप बने।

पोप के प्रमुख दायित्वों में दुनिया के नेताओं से मिलकर धार्मिक संवाद करना और शांति के लिए प्रयास करना शामिल है। वे कार्डिनल (पोप के सलाहकारों का समूह), बिशप और चर्च के अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं। पोप दुनिया भर में कैथोलिक समुदाय के लोगों से मिलते हैं और ईसाई धर्म का प्रचार भी करते हैं।

सवाल 2: पोप पद का इतिहास क्या है?

जवाब: पोप पद की शुरुआत सेंट पीटर से हुई है। वे ईसा मसीह के बारह शिष्यों में से एक थे। कैथोलिक मान्यताओं के मुताबिक, ईसा मसीह ने सेंट पीटर को अपने अनुयायियों का नेता बनाया था। इससे वह रोम (इटली की राजधानी) के पहले बिशप बने। रोम के सम्राट नीरो के शासनकाल में 64 से 68वीं सदी के बीच सेंट पीटर की हत्या कर दी गई थी। उनकी समाधि पर ही बाद में सेंट पीटर्स बेसिलिका (वेटिकन सिटी की चर्च) बनी।

शुरुआत में पोप को बिशप ही कहा जाता था। सम्राट कॉन्सटेंटीन ने 313वीं ईस्वी में ईसाई धर्म को मान्यता दी। इसके बाद पोप का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ। 380वीं ईस्वी में सम्राट थियोडोसियस प्रथम ने ईसाई धर्म को रोमन साम्राज्य का आधिकारिक धर्म घोषित कर दिया। इससे पोप की ताकत और बढ़ गई।

1309 ईस्वी में पोप का ऑफिस फ्रांस के एविग्नन में शिफ्ट हो गया था। हालांकि 1377 ईस्वी में वापस इसे रोम शिफ्ट कर दिया गया। 756 ईस्वी से 1870 तक सेंट्रल इटली में रोमन कैथोलिक प्रभाव वाले इलाकों (पैपल स्टेट्स) पर पोप का शासन रहा।

सवाल 3. वेटिकन क्या है और यह खास क्यों है?

जवाब: वेटिकन कैथोलिक चर्च के प्रमुख यानी पोप का निवास स्थान है। पोप यहां के एपोस्टोलिक पैलेस में रहते हैं। वेटिकन इटली की राजधानी रोम से घिरा हुआ है। यहां कई देशों के पादरी और नन रहते हैं। आबादी 764 है।

1929 में स्वतंत्र देश बना वेटिकन

  1. 19वीं सदी में इटली में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन जारी था। तब वेटिकन रोम का हिस्सा था। इस दौरान कैथोलिक चर्च और इटली के एकीकरण की ताकतों के बीच तनाव होने लगा।
  2. 1870 में इटली के एकीकरण के बाद पोप का पैपल राज्यों के ऊपर राजनीतिक नियंत्रण खत्म हो गया। उनका अधिकार सिर्फ वेटिकन तक सीमित रह गया।
  3. 1929 में लेटरन संधि को तहत वेटिकन सिटी को एक अलग देश के तौर पर स्थापित किया गया। इसे एक अलग साम्राज्य के तौर पर भी मान्यता मिली। पोप को इसका राजनीतिक-धार्मिक नेता और किंग यानी राजा माना गया।​​​​​​
  4. इस संधि में ये भी तय किया गया कि रोम को कैथोलिक सोसाइटी के केंद्र में खास जगह दी जाएगी और तीर्थस्थल माना जाएगा।

सवाल 4: रोमन कैथोलिक चर्च बाकी चर्च से अलग कैसे?

जवाब: रोमन कैथोलिक चर्च ईसाई धर्म का सबसे बड़ा संप्रदाय है। इसके अलावा प्रोटेस्टेंट और ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स ईसाई समुदाय के दो अन्य प्रमुख संप्रदाय हैं। रोमन कैथोलिक चर्च ईसा मसीह की शिक्षाओं पर आधारित हैं। बाइबल के साथ-साथ चर्च परंपराओं को भी धर्म और आस्था का आधार मानता है।

कैथोलिक चर्च इन सिद्धांतों को मानता है…

एक ईश्वर: जो तीन स्वरूपों में अस्तित्व रखता है। ये तीन तत्व (Trinity) हैं:

  • पिता (God the Father) – संपूर्ण ब्रह्मांड के सृजनकर्ता
  • पुत्र (Jesus Christ)- ईश्वर के पुत्र और अवतार
  • पवित्र आत्मा (Holy Spirit)- ईश्वर की दिव्य शक्ति

मदर मैरी: कैथोलिक चर्च यीशु की मदर मैरी को विशेष सम्मान देता है। माना जाता है कि वे शरीर सहित स्वर्ग में पहुंची थीं। कैथोलिक प्रार्थनाओं में मैरी को खास जगह दी गई है।

पर्गेटरी: कैथोलिक मान्यता के मुताबिक, मृत्यु के बाद आत्मा को स्वर्ग जाने से पहले पवित्र किया जाता है। ये वो जगह है जहां आत्माएं मृत्यु के बाद अपने पापों का प्रायश्चित करती हैं। अपने पापों से मुक्त होने के बाद आत्माएं स्वर्ग जाती हैं।

पोप और कैथोलिक चर्च से जुड़े विवाद

1. वैटीलीक्स स्कैंडल

2012 में पोप बेनेडिक्ट XVI पोप थे। तब ‘His Holiness’ नाम की एक किताब प्रकाशित हुई, जो उनके गुप्त दस्तावेजों पर आधारित थी। ये निजी दस्तावेज पोप के अपने बटलर ने एक लेखक को लीक कर दिए थे।

इन दस्तावेजों की जांच के बाद एक आंतरिक जांच हुई। इसमें पता चला कि कुछ बाहरी लोग समलैंगिक बिशपों को ब्लैकमेल कर रहे थे, क्योंकि वे अपने ब्रह्मचर्य के नियमों को तोड़ चुके थे। इस विवाद के बाद पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में पोप पद से इस्तीफा दे दिया।

2. कैथोलिक चर्चों में बच्चों के साथ यौन शोषण

कैथोलिक चर्च के ऊपर लंबे समय से आरोप लगते आए हैं कि कई पादरियों और संतों ने बच्चों का शोषण किया है। पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात स्वीकार की और सार्वजनिक माफी भी मांगी। इससे पहले तक किसी पोप की तरफ से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं देने की वजह से वेटिकन की आलोचना की जाती थी।

3. कैथोलिक चर्च के पादरियों ने बच्चे पैदा किए

फरवरी 2019 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक आर्टिकल में बताया था कि वेटिकन के कई पादरियों के अपने बच्चे हैं। वेटिकन ने ऐसे पादरियों के लिए सीक्रेट गाइडलाइन बनाई है।

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, तब वेटिकन के प्रवक्ता ने बताया था, ‘मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि ये गाइडलाइन मौजूद है। ये दस्तावेज वेटिकन के अंदर इस्तेमाल के लिए है। ये पब्लिश करने के लिए नहीं है।’

वेटिकन प्रवक्ता ने बताया था कि इन सीक्रेट गाइडलाइन के तहत बच्चे पैदा करने वाले पादरी को अपना पुजारी का पद त्यागकर एक पिता के तौर पर अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा जाता है।

—————————-

पोप से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…

ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस नहीं रहे:88 साल की उम्र में ब्रेन स्ट्रोक से निधन; भारत में 3 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा

कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वेटिकन के मुताबिक 21 अप्रैल को स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने आखिरी सांस ली। पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *