Udasi Akhara has been traveling for 350 years | 350 वर्षों से भ्रमणशील है उदासीन अखाड़ा: आजमगढ़ में श्रीबड़ा गणेश मंदिर में बोले संत रामनवमी महाराज, धर्म संस्कार के प्रति लोगों को किया जा रहा है जागरूक – Azamgarh News

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आजमगढ़ के श्री बड़ा गणेश मंदिर पर पूजन और भोजन करते धर्म गुरु।

प्रयागराज महाकुंभ के समापन के बाद भ्रमण पर निकला उदासीन अखाड़े का प्रतिनिधिमंडल आजमगढ़ जिले में पहुंच गया है। आजमगढ़ के श्री बड़ा गणेश मंदिर पर जोरदार स्वागत किया गया है इस दौरान फूल मालाओं से स्वागत करने के साथ आरती उतारी गई और संतों का अभिनंदन किया

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लगभग सैकड़ों की संख्या में शामिल धर्म गुरुओं का मुख्य उद्देश्य शहर शहर गांव-गांव जाकर लोगों को धर्म और सनातन के प्रति जागरूक करना है। इसी अभियान के तहत प्रयागराज महाकुंभ के समापन के बाद संतों का यह प्रतिनिधिमंडल भ्रमण पर सनातन धर्म के प्रचार के लिए निकला हुआ है।

आजमगढ़ में प्रसाद ग्रहण करते धर्मगुरु।

आजमगढ़ में प्रसाद ग्रहण करते धर्मगुरु।

350 वर्षों से चली रही है परंपरा

दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए संत रामनवमी दास महाराज ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ के बाद से ही हम लोग भ्रमणशील हो जाते हैं। यह परंपरा 350 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है।

प्रयागराज महाकुंभ के बाद कीडगंज गोपीगंज काशी देवगांव के बाद आजमगढ़ पहुंचे हैं। आजमगढ़ में 10 दिन के भ्रमण के बाद बलिया बिहार उड़ीसा होते हुए नासिक कुंभ में पहुंचेंगे। बड़ा उदासी नखादा की जमा एट लोगों को संदेश देती है धर्म और संस्कार के प्रति जागरूक करती है।

इसके साथ ही लोगों को धर्म से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने का आह्वान भी करती है। जीवन यापन के लिए धन की आवश्यकता है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी संस्कार हैं। आने वाली पीढियां को धर्म और संस्कार से जोड़ना हम सभी का कर्तव्य है। इसी से भविष्य का निर्माण होता है और हमारा समाज संस्कार युक्त रहता है।

पहलगाम की घटना चिंताजनक

दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए संत रामनवमी दास महाराज ने पहलगाम में हुए आतंकी घटना पर कहा कि निश्चित रूप से या घटना बहुत ही चिंताजनक है। देश के प्रधानमंत्री भी इस पर चिंतन कर रहे हैं। हम सभी लोग बिखरे हुए हैं।

इसी कारण हमारा फायदा सभी लोग उठाते हैं या छोटी घटना नहीं है या बहुत बड़ा घात है। हम सभी को अपने सनातन और राष्ट्र के लिए साथ खड़े रहना चाहिए। हिंदू का हृदय बहुत पवित्र होता है।

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