Vrish Sankranti on 14th May, Surya ka vrish rashi me pravesh, surya vrish rashi me, Sun transit in Taurus | वृष संक्रांति 14 मई को: सूर्य का वृष राशि में प्रवेश, सूर्य को जल चढ़ाकर करें दिन की शुरुआत, जल और अन्न का करें दान

Actionpunjab
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11 घंटे पहले

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बुधवार, 14 मई को सूर्य मेष को छोड़कर वृष राशि में प्रवेश करेगा। इस ज्योतिषीय घटना को वृष संक्रांति कहा जाता है। इस पर्व पर नदी स्नान, दान, व्रत और सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक दृष्टि और ऋतु परिवर्तन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वृष संक्रांति पर किया गया तीर्थ स्नान मन, वचन और कर्म से हुए पापों के फल को कम करता है। जिन श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ जाना संभव नहीं होता, वे घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। नहाने के जल में तिल मिलाकर स्नान करना बहुत शुभ माना गया है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और जल में कुमकुम, फूल, चावल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।

किसे कहते हैं संक्रांति?

संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। वर्ष भर में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं, क्योंकि सूर्य हर माह राशि बदलता है। ये खगोलीय घटना ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है। विशेष रूप से वृष संक्रांति के साथ ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर पहुंचती है। इस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और इन दिनों में गर्मी बढ़ती है, इसी समय नवतपा भी आता है।

वृष संक्रांति पर दान जरूर करें

वृष संक्रांति का पर्व हमें प्रकृति और समाज के प्रति आभार मानने का संदेश देता है। इस पर्व पर हमें अपने आसपास रहने वाले जरूरतमंद लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। जल और अन्न का दान विशेष रूप से पुण्यदायक माना जाता है। गर्मी के मौसम में अन्य जीवों को जल देने की व्यवस्था करनी चाहिए। जरुरतमंद लोगों को भोजन कराएं। रोगियों की सेवा करें।

वृष संक्रांति पर करें ये शुभ काम

  • पितरों की शांति के लिए तर्पण करें। वृष संक्रांति पितृ कर्म के लिए भी शुभ मानी जाती है।
  • घर में हवन करें या किसी मंदिर में पूजा कराएं। व्रत रखकर सात्विक भोजन करें।
  • वृष संक्रांति गर्मी के मौसम में आती है, इसलिए जलपात्र, पंखा, चप्पल, छाता आदि का दान करना विशेष पुण्यदायक होता है।
  • इस दिन की गई साधना और मंत्र जप जल्दी फल देती है। विशेषकर सूर्य, विष्णु और शिव मंत्र का जप करना चाहिए।
  • गाय को हरा चारा देना, लोगों को भोजन कराएं या दक्षिणा दें।

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