Jyeshtha month significance in hindi, worship Lord Shiva with cold water in jyeshtha month, arrange food and water for birds | ज्येष्ठ मास की परंपराएं: 10 जून तक रहेगा ज्येष्ठ माह, ठंडे जल से करें शिव जी का अभिषेक, पक्षियों के लिए करें दाने-पानी की व्यवस्था

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5 घंटे पहले

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आज (14 मई) हिन्दी पंचांग के तीसरे महीने ज्येष्ठ का दूसरा दिन है। इस महीने में गर्मी पूरे प्रभाव में होती है। ज्येष्ठ मास में वट सावित्रि व्रत, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी जैसे व्रत-पर्व मनाए जाते हैं, जो हमें गर्मी के दिनों में पानी का महत्व बताते हैं। ये महीना गर्मी में जल बचाने और जल के अपव्यय को रोकने का संदेश देता है। जानिए ज्येष्ठ मास से जुड़ी परंपराएं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ महीने में साल की सबसे बड़ी एकादशी यानी निर्जला एकादशी (6 जून) का व्रत किया जाता है। इस एकादशी पर भक्त दिनभर पानी भी नहीं पीते हैं। गर्मी के समय में दिनभर भूखे-प्यासे रहकर भगवान विष्णु की भक्ति की जाती है। इसलिए इस व्रत को एक तप की तरह माना जाता है। ये व्रत हमें पानी की एक-एक बूंद की कीमत समझाता है।

  • रोज सुबह जल्दी उठें और सूर्य पूजा करें

ज्येष्ठ मास में रोज सुबह सूर्योदय से पहले जागना चाहिए। स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। अर्घ्य चढ़ाने के बाद तुलसी को भी जल चढ़ाएं।

  • इष्टदेव के मंत्रों का करें जप

सूर्य को जल चढ़ाने के बाद घर के मंदिर में पूजा करें और पूजा में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। जैसे शिव जी के लिए ऊँ नम: शिवाय, विष्णु जी के लिए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, श्रीकृष्ण के लिए कृं कृष्णाय नम:, श्रीराम के लिए रां रामाय नम:, हनुमान जी के लिए श्री रामदूताय नम:, देवी मां के लिए दुं दुर्गायै नमः मंत्र का जप कर सकते हैं।

  • शिवलिंग पर चढ़ाएं ठंडा जल

भगवान शिव का ठंडे जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। भोग लगाएं। आरती करें। भगवान के मंत्रों का जप करें।

  • पूजा के बाद ध्यान जरूर करें

मंत्र जप के बाद घर के मंदिर में ध्यान करना चाहिए। दोनों आंखें बंद करके अपना ध्यान दोनों भौंहों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। सांस लेने और छोड़ने की गति सामान्य रखें। आप चाहें तो ध्यान करते समय मंत्र जप भी कर सकते हैं। ध्यान करने से मन शांत होता है।

  • जल का दान करें

ज्येष्ठ मास में दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। इस महीने में जल का दान करने का महत्व काफी अधिक है। किसी मंदिर में या किसी अन्य पब्लिक प्लेस पर प्याऊ लगा सकते हैं, किसी प्याऊ में मटके का या धन का दान कर सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े और छाते का दान करना चाहिए। किसी गौ शाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं।

इस महीने में पशु-पक्षियों के खाने-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। गर्मी की वजह से पशु-पक्षियों को खाना-पानी आसानी से नहीं मिल पाता है। ऐसे में हमें अपने घर के आसपास पशु-पक्षियों के लिए जल और खाना रखना चाहिए। घर के आसपास पेड़-पौधों को पानी जरूर डालें।

  • तीर्थ यात्रा करने की परंपरा

ज्येष्ठ मास में तीर्थ यात्रा करने की परंपरा है। इन दिनों में उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री की यात्रा कर सकते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश जा सकते हैं। गर्मी के दिनों में की गई तीर्थ यात्रा सकारात्मकता बढ़ाती है।

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